शारदीय नवरात्र के नवमी तिथि पर माता दुर्गा के अंतिम स्वरूप, मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की गई। नवरात्र के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है, और महा अष्टमी तथा नवमी तिथि पर कन्या पूजन के साथ मां की विदाई होती है। शुक्रवार को घरों और मंदिरों में कन्यापूजन का आयोजन किया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शासकीय आवास पर शारदीय नवरात्र के नवम् दिवस पर अष्ट सिद्धियों की दात्री मां सिद्धिदात्री की आराधना की और समस्त लोक कल्याण के लिए प्रार्थना की। उन्होंने सम्पूर्ण विधि-विधान से देवी स्वरूपा कन्याओं का पूजन भी किया।
इस बार शारदीय नवरात्रि पर दो तिथियां एक ही दिन पड़ने के कारण अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई थी। इस स्थिति ने श्रद्धालुओं को पूजा और कन्या पूजन के समय को लेकर संदेह में डाल दिया। हालांकि, भक्तों ने अपनी श्रद्धा के अनुसार पूजा-अर्चना की और मां दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति प्रकट की।
इस दौरान उन्होंने कहा कि आदिशक्ति मां भगवती सभी प्रदेशवासियों का कल्याण करें और उन्हें सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करें, ऐसी कामना करता हूं।लोगों के मन में यह भ्रम बना हुआ है कि महा अष्टमी और नवमी तिथि को 11 अक्टूबर को मनाएं या 12 अक्टूबर को। शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के दौरान अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इन तिथियों पर मां दुर्गा की आराधना करने से भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए, श्रद्धालुओं को अपनी श्रद्धा और मान्यता के अनुसार पूजा करने की सलाह दी जा रही है।