देहरादून: अप्रैल 2015 में अस्तित्व में आए राजाजी टाइगर रिजर्व में अब जाकर राजाजी टाइगर रिजर्व कंजर्वेशन फाउंडेशन के गठन को मंजूरी मिल पाई है। कैबिनेट ने रविवार को इससे संबंधित प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी। अब शीघ्र ही इसकी अधिसूचना जारी होगी।
फाउंडेशन के अस्तित्व में आने पर राजाजी में पर्यटन से प्रतिवर्ष होने वाली ढाई से तीन करोड़ का राजस्व इसमें जमा होगा। फाउंडेशन के माध्यम से ही राजाजी में बाघ समेत दूसरे वन्यजीवों के प्रबंधन के दृष्टिगत होने वाले कार्यों पर यह राशि खर्च की जाएगी। साथ ही रिजर्व से लगे ग्रामीण क्षेत्रों की ईको डेवलपमेंट समितियों के कौशल विकास को कदम उठाए जाएंगे।
यही नहीं, फाउंडेशन अब विभिन्न कंपनियों व संस्थाओं से सीएसआर फंड से भी वन्यजीव संरक्षण के दृष्टिगत मदद हासिल कर सकेगा। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की स्पष्ट गाइडलाइन है कि प्रत्येक टाइगर रिजर्व का अपना टाइगर रिजर्व कंजर्वेशन फाउंडेशन होगा। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम में भी इसका प्रविधान है, लेकिन राजाजी टाइगर रिजर्व के कंजर्वेशन फाउंडेशन का विषय तमाम कारणों से लटकता आ रहा था।
यद्यपि, इसे लेकर कई दौर की बैठकें शासन स्तर पर हुई, लेकिन इसे अंतिम रूप नहीं मिल पा रहा था। वन मंत्री सुबोध उनियाल के निर्देश पर अन्य राज्यों के टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन का अध्ययन कर फाउंडेशन के गठन का प्रस्ताव तैयार किया गया। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद इसे कैबिनेट में रखा गया था, जिसे मंजूरी भी मिल गई।