नई दिल्ली: देश का एक सरकारी बैंक IDBI बिकने जा रहा है. इस बैंक के निजीकरण का अंतिम चरण चल रहा है. शेयर खरीद समझौते को IMG ने मंजूरी दे दी है. इसका मतलब है कि यह बैंक जल्द ही निजी हो जाएगा. इसे खरीदने के लिए कई कंपनियां आगे आई हैं.
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक दुबई का एमिरेट्स एनबीडी बैंक इनमें सबसे आगे है. हालांकि, कंपनी ने अभी तक डील के बारे में पुष्टि नहीं की है.
बैंक बिकने को मिली मंजूरी
सरकार ने आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया को और तेज कर दिया है. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) ने दो बैठकों के बाद शेयर खरीद समझौते (एसपीए) को मंजूरी दे दी है. अब इसे विनिवेश पर सचिवों के कोर ग्रुप को भेजा जाएगा. इसके बाद सितंबर के पहले हफ्ते में वित्तीय बोली शुरू होने की उम्मीद है. रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि एसपीए को अंतिम मंजूरी मिलने के बाद वित्तीय बोली प्रक्रिया शुरू होगी.
इसके लिए एक आरक्षित मूल्य तय किया जाएगा, जो गोपनीय रहेगा और बोलीदाताओं को नहीं बताया जाएगा. पहले तीन शॉर्टलिस्ट किए गए बोलीदाताओं ने एसपीए के मसौदे पर कुछ सवाल उठाए थे, जिसके कारण थोड़ी देरी हुई थी. लेकिन अब सरकार को भरोसा है कि प्रक्रिया सुचारू रूप से चलेगी. बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद सरकार का मानना है कि इन चक्रीय मुद्दों का विनिवेश की समयसीमा पर असर नहीं पड़ेगा.
कितने की होगी डील?
सरकार इस डील को इसी वित्त वर्ष में पूरा करने की योजना बना रही है. सरकार को इस डील से 40,000 से 50,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद है. फिलहाल केंद्र सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के पास IDBI बैंक की 95 फीसदी हिस्सेदारी है. इसमें से 60.72 फीसदी हिस्सेदारी इस विनिवेश प्रक्रिया के जरिए बेची जा रही है.
आम आदमी पर क्या होगा असर?
अगर कोई भी बैंक सरकारी से प्राइवेट हो जाता है तो उसके कई फायदे और नुकसान हो सकते हैं. ग्राहकों को पहले से बेहतर सुविधाएं मिल सकती हैं. बैंक की पेमेंट से लेकर दूसरी सभी सुविधाओं में सुधार होने के आसार हैं. ब्याज दरों और शुल्कों के मामले में प्राइवेट बैंक ज्यादा लचीले हो सकते हैं, जो ग्राहकों के लिए फायदेमंद या नुकसानदेह हो सकता है.