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अपनाएंगे जरुरत, चाहत और बचत का फॉर्मूला, तो आपके पास होंगे पैसे ही पैसे, जानिए कैसे


हैदराबाद: आज के जमाने में नौकरी पेशा वाला हर आदमी बचत के बारे में सोचता रहता है, लेकिन इन लोगों को एक ही बात की शिकायत रहती है कि सैलरी आते ही खत्म हो जाती है. पता नहीं चलता कि कहां खर्च हो जाती है. लोग इंवेस्ट करने की सोचते हैं और पता चतला है कि सैलरी समाप्त हो गई. ऐसे में सैलरीड क्लास के लोग परेशान हो जाते हैं. यहां आपको परेशान होने की जरुरत नहीं है. बस आप लोगों को हर महीने एक काम करना है. उसके बाद आप सैलरी बचा ही पाएंगे और भविष्य के लिए पैसे भी जोड़ पाएंगे. आइये डालते हैं एक नजर.

जैसे ही आपके खाते में सैलरी आए वैसे ही महीने का एक बजट बना लें. सबसे पहले जरूरी खर्चों की लिस्ट. उसके बाद निवेश की और सबसे आखिरी में बचत की लिस्ट तैयार करें. इसमें नौकरीपेशा वाला आदमी 50-30-20 का फॉर्मूला अपना सकता है. चलिए जानते हैं ये फॉर्मूला क्या है.

कहां से आया यह फॉर्मूला
इस 50-30-20 के फॉर्मूले की शुरूआत अमेरिकी सीनेट एलिजाबेथ वॉरेन ने की थी. जानकारी के मुताबिक उन्होंने अपनी एक किताब में इसका जिक्र किया था. उन्होंने कहा कि सैलरी को तीन हिस्सों में बांटना चाहिए. जरुरत, चाहत और बचत.

समझते हैं पहला नियम क्या है
एलिजाबेथ वॉरेन के मुताबिक सैलरी का आधा यानी 50 फीसदी हिस्सा घर की जरुरत पर खर्च करना चाहिए. इनमें वे चीजें शामिल हैं, जिनके बिना हमारा गुजारा नहीं हो सकता. जैसे- घर का राशन, मकान का किराया, तमाम बिल, फीस, बीमे की किस्त आदि-आदि.

अब बारी आती है दूसरे नियम की
इसके बाद बारी आती है दूसरे नियम की. इसमें अपनी चाहतों पर करीब 30 फीसदी खर्च करने की बात कही गई है. इनमें वे खर्च शामिल हैं, जिन्हें आप कम भी कर सकते हैं. ये खर्चे जरूरी नहीं होते, लेकिन सैलरीड क्लास का आदमी अपने शौक के पूरा करने के लिए खर्च करता है. शौक में जैसे- कपड़े खरीदना, मूवी देखना, रेस्टोरेंट में खाना खाना, आदि.

तीसरा और अंतिम नियम
इस नियम के तहत सैलरी का 20 फीसदी खर्च करने को कहा गया है. इसे बचत के लिए बनाया गया है. इस नियम में बचे पैसों से रिटायरमेंट की प्लानिंग, बच्चों की हायर एजूकेशन, शादी-विवाह और इमरजेंसी खर्च आ जाए वो सभी शामिल हैं.

इस उदाहरण से समझना होगा आसान
मान लीजिए किसी सैलरीड क्लास की मंथली इनकम 30 हजार रुपये है. ऐसे में सबसे पहले उसे 15 हजार घर की जरुरतों के लिए अलग कर देना चाहिए. इसमें घर का राशन, बच्चों की फीस, बिजली और पानी का बिल, पेट्रोल आदि शामिल हैं.

अब 30 फीसदी के मुताबिक 9 हजार रुपये होते हैं. इसमे आप अपने शौक पर खर्च करिए. जैसे कि पहले बताया इसमें घूमना, बाहर खाना खाना, कपड़े खरीदना आदि शामिल है. इन सबके बाद 20 फीसदी की बारी आती है. 20 फीसदी यानि 6 हजार रुपये का निवेश करिए. आप चाहे एसआईपी या म्युचुअल फंड में निवेश करें, पीपीएफ में डालें या फिर एनपीएस में निवेश कर सकते हैं.

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