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देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक आज लॉन्च करेगा ₹25 हजार करोड़ का QIP! जानें क्या है खास


मुंबई: भारतीय स्टेट बैंक 16 जुलाई तक 25,000 करोड़ रुपये का क्यूआईपी लॉन्च कर सकता है. सीएनबीसी-आवाज की ये रिपोर्ट है. रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय जीवन बीमा निगम 7,000 करोड़ रुपये की बोली के साथ प्रमुख निवेशक हो सकता है.

योग्य संस्थागत प्लेसमेंट (क्यूआईपी) की कीमत 790-800 रुपये प्रति शेयर होने की संभावना है. आज खबर लिखते समय एसबीआई के शेयर 0.3 फीसदी बढ़कर 820.4 रुपये प्रति शेयर पर कारोबार कर रहे. एसबीआई ने अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है.

क्यूआईपी क्यों लॉन्च हो रहा है?
संभावित क्यूआईपी एसबीआई की लोन बढ़ोतरी को बढ़ावा देने और अपनी बैलेंस शीट को मजबूत करने और नियामक आवश्यकताओं को पूरा करने की व्यापक योजनाओं का हिस्सा है. 2017 के बाद यह पहली बार है जब सरकार के स्वामित्व वाले इस लेंडर ने शेयर बाजार में कदम रखा है.

ब्लूमबर्ग न्यूज ने पहले बताया था कि एसबीआई ने लेनदेन के प्रबंधन के लिए छह निवेश बैंकों को चुना है, जिनमें सिटीग्रुप इंक और एचएसबीसी होल्डिंग्स पीएलसी की भारतीय शाखाएं और साथ ही आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज लिमिटेड, कोटक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग, मॉर्गन स्टेनली और एसबीआई कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड शामिल हैं.

एसबीआई क्यूआईपी के जरिए कितनी राशि जुटाने की योजना बना रहा है?
मई 2025 में बैंक ने कहा कि उसे वित्त वर्ष 2026 के दौरान क्यूआईपी/अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) या किसी अन्य स्वीकृत माध्यम से एक या एक से अधिक किस्तों में 25,000 करोड़ रुपये तक की इक्विटी पूंजी जुटाने के लिए बोर्ड की मंजूरी मिल गई है.

यह घरेलू पूंजी बाजारों में सबसे बड़ा क्यूआईपी होने की संभावना है, जो 2015 में लॉन्च किए गए कोल इंडिया के 22,560 करोड़ रुपये के क्यूआईपी को पीछे छोड़ देगा. 2017 के बाद यह पहली बार है जब एसबीआई इक्विटी बिक्री के जरिए पैसे जुटा रहा है. बैंक ने जून 2017 में 15,000 करोड़ रुपये जुटाए थे.

एसबीआई के 25,000 करोड़ रुपये के क्यूआईपी के परिणामस्वरूप लेंडर में सरकार की हिस्सेदारी कम हो जाएगी. 31 मार्च, 2025 तक एसबीआई में सरकार की हिस्सेदारी 57.43 फीसदी थी.

योग्य संस्थागत प्लेसमेंट (QIP) क्या है?
योग्य संस्थागत प्लेसमेंट (QIP) सूचीबद्ध कंपनियों के लिए बाजार नियामकों को कानूनी दस्तावेज जमा किए बिना पूंजी जुटाने का एक तरीका है. यह भारत और अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में आम है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने कंपनियों की विदेशी पूंजी संसाधनों पर निर्भरता से बचने के लिए यह नियम बनाया है.

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