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केवल 3% गैर-किराया राजस्व…अब भारतीय रेलवे अलग-अलग देशों के मॉडल को करेगा फॉलो


नई दिल्ली: नीति आयोग ने 14 पेज का एक लेटर ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) जारी किया है. जिसकी शुरुआत एक चौंकाने वाले आंकड़े से हुई है. वित्त वर्ष 2025 के पहले दस महीनों में भारतीय रेलवे के कुल राजस्व का केवल 3 फीसदी गैर-किराया स्रोतों से आया है. यह आंकड़ा वैश्विक मानकों की तुलना में बहुत कम है. जर्मनी की ड्यूश बान 34 फीसदी, जापान रेलवे 30 फीसदीऔर फ्रांस की एसएनसीएफ 10 फीसदी राजस्व प्राप्त करती है.

इस अंतर को कम करने के लिए भारतीय रेलवे और नीति आयोग अनुसंधान संस्थानों, थिंक टैंकों और सलाहकारों को छह महीने के अध्ययन का प्रस्ताव देने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं. जिसका उद्देश्य भारतीय रेलवे के गैर-किराया राजस्व (एनएफआर) की को उजागर करने के लिए एक व्यापक खाका तैयार करना है.

अब नीति आयोग समर्थित एक नई पहल इसमें बदलाव ला सकती है.

आंकड़े क्या कहते हैं?
वित्त वर्ष 2025 में अब तक गैर-किराया राजस्व 686.86 करोड़ रुपये रहा. इसका एक बड़ा हिस्सा ट्रेनों, प्लेटफार्मों और पुलों पर विज्ञापनों से आया, जबकि बाकी पार्किंग स्लॉट, कियोस्क, स्क्रैप और एटीएम की ई-नीलामी से आया. इसके अलावा आरएलडीए ने भूमि और पुनर्विकास से 1,371.03 करोड़ रुपये कमाए है.

नई, अभिनव गैर-किराया राजस्व विचार योजना (एनआईएनएफआरआईएस) के तहत किए गए प्रयोगों में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग, सामान लपेटने वाले कियोस्क और ऑक्सीजन पार्लर शामिल हैं जो महत्वाकांक्षी तो हैं, लेकिन छिटपुट हैं और अक्सर रेड टेप के कारण अटक जाते हैं.

विदेश से सबक
हांगकांग के एमटीआर कॉर्पोरेशन का एक उदाहरण दिया जाता है. अपने रेल + संपत्ति मॉडल के तहत, एमटीआर को अपने स्टेशनों के ऊपर और आसपास अचल संपत्ति के विकास के अधिकार मिलते हैं. मैकिन्से एंड कंपनी की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह संयुक्त विकास के लिए निजी कंपनियों के साथ साझेदारी करता है. एकमुश्त भुगतान, लाभ में हिस्सेदारी या दीर्घकालिक किराये की आय के माध्यम से कमाई करता है. 2023 में, एमटीआर ने संपत्ति से 5.1 बिलियन हांगकांग डॉलर कमाए—जो उसके 5.9 बिलियन हांगकांग डॉलर के किराया राजस्व के लगभग बराबर है.

एक नजर