हैदराबाद: नौकरीपेशा आदमी इस समय इनकम टैक्स फाइल करने में जुटा है. उसकी कोशिश यही रहती है ज्यादा से ज्यादा बचत दिखाकर टैक्स भरने से कैसे बचा जाए, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता. लोगों को भारी-भरकम टैक्स चुकाना ही पड़ता है. वहीं, इनकम टैक्स विभाग हर बार आईटीआर फाइल करने के लिए सरल से सरल फॉर्म लाता है. इसके पीछे यही उद्देश्य रहता है कि मैक्सिमम लोग टैक्स फाइल करें. इसी सिलसिले में विभाग ई-फाइलिंग को भी आसान बनाने में लगा है.
बात जब ई-फाइलिंग की आई है तो Pre-Filled ITR को भी जानना जरूरी है. इस फॉर्म का मकसद सिर्फ गलतियां कम से कम हों और समय भी कम लगे. इसमें भी लगातार सुधार का प्रक्रिया जारी है. बता दें, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट हर साल इसको सरल बनाने के लिए नए-नए फीचर्स लेकर आता है.
आइये जानते हैं क्या होता है Pre-Filled ITR
- पर्सनल डिटेल्स, जैसे- नाम, पैन कार्ड, एड्रेस और आपका मोबाइल नंबर
- इनकम की डिटेल्स: फॉर्म 16 जरूरी है.
- बैंक के ब्याज के लिए: फॉर्म 26AS और AIS के आधार पर
- डिविडेंड इनकम: अगर म्यूचुएल फंड या कंपनियों की ओर से कोई रिपोर्ट की गई हो.
- कैपिटल गेंस: शेयर बाजार या म्युचुअल फंड में निवेश किया हो.
- टैक्स बचत: धारा 80C या 80D.
- टीडीएस या टीसीएस कटौती: फॉर्म 26 AS से
अब बारी आती है कि जो डेटा पहले भरे गए थे, उनकी जांच और वेरिफाइ करने की
- डिविडेंड इनकम या कैपिटल गेंस
- एफडी से मिले ब्याज
- 80C या 80D के तहत कटौती
बिना सत्यापन के फाइल करना
इनकम टैक्स फाइल करना लास्ट ऑप्शन नहीं है. इसे आधार ओटीपी, नेट बैंकिंग समेत तमाम उपायों से सत्यापित किया जा सकता है. ऐसा नहीं करेंगे तो इसे अधूरा ही माना जाएगा. जानकारी के मुताबिक इनकम टैक्स विभाग ने आईटीआर फाइल करने की डेडलाइन को 15 सितंबर 2025 तक बढ़ा दी है, लेकिन असुविधाओं से बचने के लिए जल्द से जल्द फाइल करना चाहिए. यहां यह भी बहुत महत्वपूर्ण है कि फॉर्म-1 से लेकर 4 तक की यूटिलिटीज खुलने के साथ आयकरदाता टैक्स भर सकते हैं.
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