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भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात जून में 11 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा


नई दिल्ली: भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात जून में 11 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया. वैश्विक कमोडिटी बाजार विश्लेषण फर्म केप्लर के पोत ट्रैकिंग डेटा के अनुसार, भारत ने जून में 2.08 मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) रूसी कच्चे तेल का आयात किया. जुलाई 2024 के बाद से सबसे अधिक है.

यूरोपीय थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर ने कहा कि जून में भारत के कच्चे तेल के वैश्विक आयात में 6 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि रूस के आयात में महीने-दर-महीने 8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. जुलाई 2024 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. रूस से इनमें से आधे से अधिक आयात भारत की तीन रिफाइनरियों द्वारा किए गए.

भारत अपनी ज़रूरत का 85 प्रतिशत से ज़्यादा कच्चा तेल आयात करता है. परंपरागत रूप से, मध्य पूर्व इसका मुख्य स्रोत था, लेकिन पिछले लगभग तीन वर्षों से रूस इसका मुख्य आपूर्तिकर्ता बना हुआ है. फरवरी 2022 में मास्को द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद, जब पश्चिमी देशों ने रूसी कच्चे तेल से दूरी बना ली, तो रूस ने वैकल्पिक खरीदारों को आकर्षित करने के लिए भारी छूट की पेशकश शुरू कर दी.

भारतीय रिफाइनरियों ने इस अवसर का लाभ उठाया. रूस, भारत के लिए कच्चे तेल का सबसे बड़ा स्रोत बन गया. पश्चिम एशिया के पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं को पीछे छोड़ दिया. अब भारत के तेल आयात में रूस का योगदान 40 प्रतिशत तक है. जून में, भारत ने अपने दूसरे सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता इराक से लगभग 8,93,000 बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) कच्चा तेल आयात किया. जो महीने-दर-महीने 17.2 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है.

सऊदी अरब से आयात 5,81,000 बैरल प्रतिदिन (मई से लगभग अपरिवर्तित) रहा. जबकि संयुक्त अरब अमीरात से आयात 6.5 प्रतिशत बढ़कर 4,90,000 बैरल प्रतिदिन हो गया. भारत के तेल आयात में इराक का योगदान 18.5 प्रतिशत था. उसके बाद सऊदी अरब का 12.1 प्रतिशत और संयुक्त अरब अमीरात का 10.2 प्रतिशत है.

केप्लर के अनुसार, अमेरिका भारत का पांचवा सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बना हुआ है. आयात की मात्रा लगभग 3,03,000 बैरल प्रतिदिन और बाजार हिस्सेदारी 6.3 प्रतिशत है. सीआरईए ने कहा कि जून में रूस के कच्चे तेल निर्यात का 47 प्रतिशत चीन ने खरीदा, उसके बाद भारत (38 प्रतिशत), यूरोपीय संघ (6 प्रतिशत) और तुर्की (6 प्रतिशत) का स्थान रहा.

एसएंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स के अनुसार, अमेरिका से भारत के कच्चे तेल के प्रवाह में 2024 की पहली छमाही की तुलना में 2025 की पहली छमाही में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. जबकि इसी अवधि में ब्राजील से प्रवाह 80 प्रतिशत बढ़ा है. जो गैर-ओपेक कच्चे तेल के लिए इसके रिफाइनरों की बढ़ती आत्मीयता का संकेत देता है. क्योंकि, नई दिल्ली आपूर्ति के अपने स्रोत को व्यापक बनाने की कोशिश कर रही है.

एसएंडपी ग्लोबल कमोडिटीज एट सी के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने वर्ष की पहली छमाही में अमेरिका से 2,71,000 बीपीडी कच्चे तेल का आयात किया, जो 2024 की इसी अवधि में आयातित 1,80,000 बीपीडी से लगभग 51 प्रतिशत अधिक है. भारतीय रिफाइनरियां अतीत में अपेक्षाकृत बड़ी मात्रा में अमेरिकी कच्चे तेल का उपयोग करती रही हैं, लेकिन पिछले दो-तीन वर्षों में जब भारत ने रूसी कच्चे तेल की ओर रुख किया तो यह मात्रा धीमी हो गई.

नई अमेरिकी सरकार के साथ नए सिरे से कूटनीति के बीच अमेरिकी कच्चे तेल के लिए भारत की रुचि में फिर से सुधार के संकेत दिखाई दे रहे हैं. ब्राजील से कच्चे तेल के प्रवाह में छह महीने की अवधि में सबसे तीव्र वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 80 प्रतिशत बढ़कर 41,000 बीपीडी से 73,000 बीपीडी हो गई.

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