नई दिल्ली: यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के जरिए पेमेंट करना न सिर्फ आसान है बल्कि इसके लिए यूजर्स को पैसा खर्च नहीं करना होता है. यह सुविधा पूरी तरह से फ्री है. इसके बावजूद गूगल-पे और फोन-पे ने पिछले साल तक मिलकर करोड़ों रुपये की कमाई की.
ऐसे में लोग हैरान है कि आखिर फ्री में यूज होने वाले इन डिजिटल ऐप्स ने बिना किसी प्रोडक्ट की बिक्री के इतना पैसा कैसे कमाया? अगर आप भी यह ही सोच रहे हैं तो बता दें कि इन डिजिटल दिग्गज ऐप की कमाई एक अनोखे बिजनेस मॉडल से हुई है, जो ट्रस्ट, स्केल और इनोवेशन पर टिका है.
वॉयस-ऑपरेटिंग स्पीकर सर्विस से कमाई
इस संबंध में आइस वीसी के फाउंडिंग पार्टनर मृणाल झवेरी ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट शेयर किया है. इस पोस्ट में उन्होंने गूगल पे और फोन पे के रेवेन्यू मॉडल के बारे में डिटेल से बताया है. मृणाल के मुताबिक इन कंपनियों की ज्यादातर कमाई छोटे-छोटे किराना स्टोर्स से होती है. उन्होंने बताया कि ये डिजिटल ऐप्स किराना दुकानों पर इस्तेमाल होने वाली वॉयस-ऑपरेटिंग स्पीकर सर्विस से पैसा कमा रहे हैं.
आप जब भी किसी दुकान पर सामान खरीदने के बाद पेमेंट करते हैं तो आपको ‘फोन-पे पर 50 रुपये प्राप्त हुए’ जैसा अनाउंसमेंट करने वाली अवाज सुनाई देती होगी. कंपनी दुकानदारों को यह स्पीकर 100 रुपये प्रति महीना किराए पर देती है. झवेरी के अनुसार यह स्पीकर करीब 30 लाख से ज्यादा दुकानों को उपलब्ध कराया गया है, जिससे मासिक 30 करोड़ और सालाना 360 करोड़ रुपये की कमाई हो रही है.
स्क्रैच कार्ड्स से कमाई
इसके अलावा यह कंपनियां स्क्रैच कार्ड्स से भी कमाई कर रही हैं. यह कार्ड्स कस्टमर्स को कैशबैक या कूपन का लालच देकर लुभाते हैं. हालांकि, यह महज ग्राहकों को खुश करने के लिए नहीं दिए, बल्कि यह ब्रांड्स के लिए विज्ञापन तरीका भी है. ब्रांड्स अपनी विजिबलिटी और लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए इन कार्ड्स के लिए पेमेंट करते हैं. इससे गूगल-पे और फोन-पे को दोहरा फायदा होता है.
सॉफ्टवेयर और लोन से मुनाफा
इन कंपनियों ने UPI की विश्वसनीयता को सॉफ्टवेयर ए ए सर्विस (SaaS) लेयर में तब्दील कर दिया है. इनके जरिए छोटे-छोटे बिजनेसमैन के लिए GST हेल्प, इनवॉइस मेकर और माइक्रो-लोन जैसी फैसलिटीज उपलब्ध करवाई जा रही हैं.UPI बेसिक ढांचा बस एक आकर्षण है. इसका रियल कमाई सॉफ्टवेयर और फाइनेंशियल सर्विस से हो रही है. इस मॉडल में ऐडमिसिबल कोस्ट जीरो है, जो इसे और ज्यादा इफेक्टिव बनाती है.
मृणाल का कहना है कि यह सब सिर्फ स्केल, ट्रस्ट और इनोवेसन पर बेस्ड है. गूगल-पे और फोन-पे ने UPI के फ्री प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए एक ऐसी अर्थव्यवस्था खड़ी कर दी, जो बिना प्रोडक्ट बेचे भी मुनाफा देती है.
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