नई दिल्ली: आज के दौर में बड़ी तादाद में लोग पैसों के ट्रांजैक्शन के लिए ज्यादातर लोग यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने भी यूपीआई पेमेंट को लेकर इशारों-इशारों में शुक्रवार को कहा कि आने वाले दिनों में यह डिजिटली पेमेंट हमेशा मुफ्त भी नहीं रहेगा. इसके लिए चार्ज देना होगा.
मुंबई में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अभी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) सिस्टम बिना कोई फीस लिए काम कर रहा है, लेकिन ऐसा ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा. इससे सोशल मीडिया पर कुछ खबरें आईं कि इस तरह के पेमेंट पर गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) लग सकता है, लेकिन अब इसको लेकर नई अपडेट सामने आई है.
जीएसटी लगाने की कोई सिफारिश नहीं
वहीं, वित्त मंत्रालय ने पहले ही राज्यसभा में स्पष्ट कर चुके हैं कि सरकार 2000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने की योजना नहीं बना रही है. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने 22 जुलाई को राज्यसभा के मानसून सत्र के दौरान कहा, “जीएसटी काउंसिल ने 2000 रुपये से अधिक के यूपीआई ट्रांजैक्शन पर जीएसटी लगाने की कोई सिफारिश नहीं की है.”
जीएसटी काउंसिल की सिफारिशों के आधार पर छूट
मंत्री ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जीएसटी दरें और छूट जीएसटी काउंसिल की सिफारिशों के आधार पर तय की जाती हैं, जो एक संवैधानिक बॉडी है, जिसमें केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों दोनों के सदस्य होते हैं. बता दें कि मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब जब कर्नाटक के छोटे-छोटे व्यापारियों को यूपीआई लेनदेन के आंकड़ों के आधार पर जीएसटी के नोटिस मिले हैं.
UPI के नियमों में कुछ बदलाव
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने UPI सिस्टम को तेज, सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने के लिए नए नियम लागू करने का फैसला किया है. नए नियमों के तहत अब आप एक दिन में अधिकतम 50 बार ही अपना अकाउंट बैलेंस देख सकेंगे.
इसके अलावा यूजर्स अपने मोबाइल नंबर से जुड़े बैंक अकाउंट्स को मैक्सिम 25 बार प्रतिदिन ही देख सकेंगे. इतना ही नहीं नैटफ्लिक्स, EMI और बिजली के बिल जैसे ऑटो पेमेंट्स तय समय पर ही प्रोसेस होंगे.
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