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आपके लिए खुशखबरी…2 साल बाद देश की थोक महंगाई निचले स्तर पर, क्या होगा असर


नई दिल्ली: भारत सरकार ने सोमवार को जून के थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के आंकड़े जारी किए. जून का WPI 20 महीने के निचले स्तर -0.13 फीसदी पर रहा. सरकार का कहना है कि महंगाई की नकारात्मक रेट का कारण खाद्य पदार्थों, खनिज तेलों, मूल धातुओं के निर्माण, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस आदि की कीमतों में कमी है. पिछले महीने भारत की थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई 0.39 फीसदी थी. यह लगातार तीसरा महीना है जब यह आंकड़ा 1 फीसदी से नीचे रहा है.

थोक खाद्य मुद्रास्फीति, जो 19 महीने के निम्नतम स्तर 1.72 फीसदी पर आ गई थी, और दो वर्ष के निम्नतम स्तर -0.26 फीसदी पर आ गई. विनिर्मित वस्तुओं, जिनका सूचकांक में दो तिहाई से अधिक हिस्सा है, में 1.97 फीसदी मुद्रास्फीति दर्ज की गई, जो मई में 2.04 फीसदी थी.

साल की शुरुआत से ही भारत की महंगाई कम बनी हुई है, जिससे केंद्रीय बैंक को ब्याज दरों में और कटौती की गुंजाइश मिल गई है.

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने जून में रेपो दर को 50 आधार अंकों से घटाकर 5.5 फीसदी कर दिया था.

थोक महंगाई क्या है?
थोक मूल्य सूचकांक या WPI, उन वस्तुओं की कीमतों में बदलाव को मापता है जिन्हें थोक व्यापारी अन्य कंपनियों को बेचते हैं और उनके साथ थोक में व्यापार करते हैं. CPI के विपरीत जो उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर नजर रखता है. WPI खुदरा कीमतों से पहले फैक्टरी गेट कीमतों पर नजर रखता है.

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