नई दिल्ली: जैसे-जैसे अमेरिका के पारस्परिक टैरिफ से बचने की 9 जुलाई की समय सीमा नजदीक आ रही है. सरकार ने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ बेरोकटोक सौदेबाजी करने का संकेत दिया है. लेकिन साथ ही भारत के किसानों और पशुपालकों के हितों में निश्चित लक्ष्मण रेखा खींचने की स्पष्ट प्रतिबद्धता भी जताई है.
पिछले सप्ताह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कि नई दिल्ली के साथ होने वाला अंतरिम द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए) अमेरिका के लिए भारतीय बाजार को खोल देगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हां, हम एक समझौता करना चाहेंगे, एक बड़ा, अच्छा, सुंदर क्यों नहीं?
फाइनेंशियल एक्सप्रेस के साथ इंटरव्यू में निर्मला सीतारमण ने कहा कि हम जिस मोड़ पर हैं, और हमारे विकास लक्ष्यों और 2047 तक विकसित भारत बनने की महत्वाकांक्षा को देखते हुए, जितनी जल्दी हम मजबूत अर्थव्यवस्थाओं के साथ ऐसे समझौते करेंगे, उतना ही वे हमारे लिए बेहतर होंगे.
वित्त मंत्री के अनुसार कृषि और डेयरी क्षेत्र बहुत बड़ी लाल रेखाओं में शामिल रहे हैं, जहां अमेरिका के साथ बीटीए वार्ता के दौरान अत्यधिक सावधानी बरती गई है.
वित्त मंत्री ने आगे क्या कहा?
निजी क्षेत्र के निवेश में कथित मंदी के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि चीजें बेहतर के लिए बदलने लगी हैं. कम से कम पिछले छह महीनों में, एक स्पष्ट संकेत है कि निजी निवेश और क्षमता विस्तार हो रहा है… निजी कंपनियों के पास निश्चित रूप से अधिशेष नकदी है, और वे शायद निष्क्रिय आय अर्जित कर रही हैं. लेकिन हम बदलाव के संकेत देख सकते हैं.
शहरी मंदी को दूर करने के लिए सरकार क्या करने की योजना बना रही है. इस बारे में पूछे जाने पर सीतारमण ने कहा कि निश्चित रूप से धारणा बदल रही है. उन्होंने कहा कि अप्रैल से, (आयकर छूट के कारण) सकारात्मक उपभोक्ता भावना के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं.
निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को संरचनात्मक बढ़ावा देने के लिए जल्द ही शुरू किए जाने वाले दूसरी पीढ़ी के सुधारों की एक श्रृंखला की रूपरेखा तैयार की, जिसमें बैंकों को बेहतर स्थिति में लाना और परमाणु ऊर्जा में निजी निवेश को बढ़ावा देना शामिल है. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि आठ साल पुराने व्यापक अप्रत्यक्ष कर की दरों और स्लैब के पुनर्गठन के हिस्से के रूप में भारित औसत माल और सेवा कर (जीएसटी) मौजूदा स्तरों से नीचे आ सकता है.