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एक्सप्लेनर: भारत-इंग्लैंड मुक्त व्यापार समझौता, दोनों देशों पर क्या होगा असर?


हैदराबाद: हाल ही में भारत और ब्रिटेन के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते (Comprehensive Economic Partnership Agreement – CEPA या SETA) को दोनों देशों के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है. यह समझौता न केवल व्यापार की बाधाओं को कम करने में सहायक होगा, बल्कि तकनीकी सहयोग, नवाचार और निवेश के नए अवसर भी खोलेगा. आइए इस समझौते के विभिन्न पहलुओं और उसके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करें.

टैरिफ कम करने का प्रभाव
भारत और ब्रिटेन ने इस समझौते के तहत दोनों तरफ से कई उत्पादों पर लगने वाले आयात शुल्कों (टैरिफ) को कम करने का निर्णय लिया है. ब्रिटिश स्कॉच व्हिस्की पर भारत का आयात शुल्क 150% से घटाकर तुरंत 75% किया जाएगा, और 2035 तक यह 40% तक कम हो जाएगा. इससे ब्रिटेन के व्हिस्की उत्पादकों को भारतीय बाजार में व्यापक पहुंच मिलेगी.

भारतीय ऑटोमोबाइल पर वर्तमान में 110% तक आयात शुल्क है, जिसे अगले पांच वर्षों में घटाकर केवल 10% किया जाएगा. इसके बदले में ब्रिटेन में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के लिए भारतीय निर्माताओं को कोटा के अनुसार पहुंच मिलेगी. यह कदम दोनों देशों के लिए स्वच्छ और पर्यावरण हितैषी वाहन उद्योग को बढ़ावा देने में सहायक होगा.

ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार से बढ़ेगा भारत का तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ETV Bharat)

भारतीय उत्पादों को ब्रिटेन में बेहतर अवसर

  • भारत के कई महत्वपूर्ण उत्पादों को ब्रिटेन के बाजार में शुल्क-मुक्त या कम शुल्क पर आयातित किया जाएगा, जिससे भारतीय निर्यातकों को बड़ा लाभ होगा.
  • कृषि उत्पादों जैसे फल, सब्जियां, मसाले (हल्दी, काली मिर्च, इलायची), प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (रेडी-टू-ईट खाद्य, आम का गूदा, अचार) पर शुल्क हटाया जाएगा.
  • समुद्री उत्पाद (झींगा, टूना, मछली का चारा) पूरी तरह से शुल्क-मुक्त होंगे, जो मछुआरों और समुद्री उत्पादकों के लिए नई संभावनाएं खोलेंगे.
  • कपड़ा और हस्तशिल्प क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे घरेलू उद्योगों और एमएसएमई को अधिक बाजार मिलेगा. इसमें सिले-सिलाए कपड़े, कालीन, घरेलू वस्त्र प्रमुख हैं.
  • इसके अलावा, चमड़ा, फार्मा, रासायनिक उत्पाद, और जेनेरिक दवाइयों के निर्यात में भी वृद्धि संभव है.

सेवा क्षेत्र और तकनीकी सहयोग

  • यह समझौता केवल वस्तुओं के व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि सेवा क्षेत्र में भी नए अवसर पैदा करेगा.
  • भारतीय पेशेवरों, खासकर आईटी, तकनीकी सेवाओं, और विशेषज्ञ कर्मचारियों को ब्रिटेन में तीन वर्षों तक सामाजिक सुरक्षा अंशदान (सोशल सिक्योरिटी कॉन्ट्रिब्यूशन) से छूट दी जाएगी. इससे लगभग 75,000 से ज्यादा भारतीय कर्मचारियों और 900 कंपनियों को फायदा होगा.
  • इससे भारतीय तकनीकी सेवाओं का विस्तार होगा, और दोनों देशों के बीच तकनीक, नवाचार और अनुसंधान में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा.

आर्थिक और रणनीतिक महत्व

दोनों देशों पर क्या होगा असर (ETV Bharat)

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता भारत के लिए एक बड़ा अवसर है. यह समझौता भारत की अर्थव्यवस्था को विविधता प्रदान करेगा, खासकर उन क्षेत्रों में जहां भारत तकनीक और पूंजी का आयात करना चाहता है. यह ब्रिटेन को भी नए बाजार और निवेश के अवसर प्रदान करता है, खासकर जब ब्रेक्जिट के बाद वह नए आर्थिक साझेदार तलाश रहा है. एमएसएमई सेक्टर के लिए यह समझौता विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इनके उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी. ऊर्जा क्षेत्र (विशेषकर नवीकरणीय और हरित ऊर्जा), रक्षा, फार्मा और उन्नत विनिर्माण जैसे क्षेत्र भी इस सहयोग से लाभान्वित होंगे.

चुनौतियां
व्यापार समझौतों का सफल क्रियान्वयन आवश्यक है, जिसमें दोनों देशों के नियमों और प्रक्रियाओं में सामंजस्य जरूरी होगा. भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि घरेलू उद्योगों को आवश्यक समर्थन मिले ताकि वे प्रतिस्पर्धा में टिक सकें. यह समझौता भारत के लिए वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अपनी भागीदारी को मजबूत करने का अवसर है, साथ ही साथ अपने निर्यात को बहुआयामी बनाना होगा.

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