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10 घंटे की शिफ्ट को मंजूरी, तमिलनाडु के बाद अब इस राज्य ने में भी कार्य घंटे में बदलाव किया


हैदराबाद: तेलंगाना सरकार ने राज्य में कामकाज को अधिक लचीला और उद्योग अनुकूल बनाने के लिए एक नई श्रम नीति की घोषणा की है. इस नीति के तहत अब राज्य के सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों (दुकानों को छोड़कर) में कर्मचारी प्रतिदिन 10 घंटे तक कार्य कर सकेंगे. हालांकि, इस सुविधा के साथ श्रमिकों की सुरक्षा के लिए कुछ अहम नियम भी तय किए गए हैं.

साप्ताहिक कार्य सीमा और ओवरटाइम की व्यवस्था
नई नीति के अनुसार, कर्मचारियों का कुल कार्य समय सप्ताह में 48 घंटे से अधिक नहीं हो सकता. यदि कोई कर्मचारी इस सीमा से अधिक कार्य करता है, तो उसे कानूनी रूप से ओवरटाइम वेतन देना अनिवार्य होगा. इसके अतिरिक्त, किसी भी दिन कुल कार्य समय (ओवरटाइम सहित) 12 घंटे से अधिक नहीं हो सकता.

विश्राम का प्रावधान और ओवरटाइम की सीमा
सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि यदि कोई कर्मचारी एक दिन में 6 घंटे से अधिक काम करता है, तो उसे कम से कम 30 मिनट का विश्राम (ब्रेक) दिया जाना अनिवार्य होगा. इसके अलावा, एक तिमाही में किसी भी कर्मचारी से अधिकतम 144 घंटे से ज्यादा ओवरटाइम नहीं लिया जा सकता है. ये उपाय श्रमिकों की सेहत और संतुलित जीवन शैली को ध्यान में रखते हुए तय किए गए हैं.

देश में कार्य घंटे को लेकर चल रही बहस
तेलंगाना सरकार का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब देशभर में कार्य घंटों को लेकर बहस तेज हो रही है. हाल ही में महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने कहा था कि काम की गुणवत्ता अधिक मायने रखती है, मात्रा नहीं. वहीं, इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति और एलएंडटी के चेयरमैन एस. एन. सुब्रमण्यम ने लंबे कार्य सप्ताह की वकालत की, जिससे सोशल मीडिया और कॉर्पोरेट सर्किल्स में वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर तीखी बहस शुरू हो गई.

तमिलनाडु का उदाहरण: चार दिन काम, तीन दिन छुट्टी
तेलंगाना से पहले तमिलनाडु सरकार ने भी अप्रैल 2023 में फैक्ट्री (संशोधन) अधिनियम पारित किया था, जिसमें फैक्ट्री श्रमिकों को प्रतिदिन 12 घंटे कार्य की अनुमति दी गई थी. हालांकि, सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि सप्ताह में कुल कार्य समय वही रहे. इस संशोधन के तहत कर्मचारियों को सप्ताह में चार दिन काम करने और तीन दिन की छुट्टी लेने का विकल्प भी दिया गया है.

वैश्विक स्तर पर भी हो रहे हैं बदलाव
भारत के साथ-साथ कई देशों में भी कार्य प्रणाली को लेकर नए प्रयोग किए जा रहे हैं. कुछ देशों ने चार दिन के कार्य सप्ताह को सफलतापूर्वक लागू किया है, जिससे न केवल कर्मचारियों की उत्पादकता बढ़ी है, बल्कि उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत में भी सुधार देखा गया है.

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