हाल ही में, एक गांव की सीमा पर एक बोर्ड लगाया गया है, जिसमें फेरी वालों और बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक का संकेत दिया गया है। यह कदम स्थानीय समुदाय की सुरक्षा और शांति बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।
गांव के निवासियों ने इस निर्णय का समर्थन किया है, क्योंकि इससे स्थानीय संसाधनों का संरक्षण होगा और बाहरी तत्वों के दखल को कम किया जा सकेगा। बोर्ड पर स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि केवल गांव के निवासी ही प्रवेश कर सकते हैं।
इस पहल से गांव की संस्कृति और परंपराओं को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी और स्थानीय लोगों को एक सुरक्षित वातावरण में रहने का अवसर प्रदान करेगा।
जखोली ब्लॉक के ग्राम पंचायत कांडा-भरदार के ग्रामीणों ने फेरी करने वाले और बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी है।
इस संबंध में गांव की सीमा पर तीन अलग-अलग स्थानों पर सूचना बोर्ड भी लगाए गए हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यह कदम उनकी स्थानीय संस्कृति और संसाधनों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
इसके अलावा, ग्राम पंचायत मेदनपुर ने भी बाहरी लोगों के गांव में प्रवेश पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। इस पहल से स्थानीय निवासियों को एक सुरक्षित और शांत वातावरण प्रदान करने में मदद मिलेगी। ग्रामीणों का कहना है कि इससे गांव की परंपराओं को संरक्षित रखा जा सकेगा।
ग्रामीणों का कहना है कि बाहरी लोग फेरी, मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान की मरम्मत के नाम पर गांवों में पहुंच रहे थे, जिससे सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो रहा था। इस संदर्भ में ग्राम पंचायत स्तर पर यह पहल की गई है। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद सूचना बोर्ड को संशोधित कर स्पष्ट किया गया है कि बाहरी और फेरी वालों का गांव में प्रवेश और व्यापार प्रतिबंधित है।
ग्राम प्रधान अमित रावत ने बताया कि ग्रामीणों की सहमति से तीन स्थानों पर सूचना बोर्ड लगाए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में पहाड़ के अलग-अलग कस्बों में घटित घटनाओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
यदि कोई फेरी वाला या बाहरी व्यक्ति गांव में घूमता पाया गया, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और पांच हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया जाएगा। यह कदम गांव की सुरक्षा और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।