दिल्ली में केदारनाथ धाम के नाम से बनने वाले केदारनाथ मंदिर के निर्माण को रोक दिया गया है। उत्तराखंड में इसके खिलाफ जोरदार विरोध के चलते दिल्ली के केदारनाथ धाम ट्रस्ट ने यह निर्णय लिया है। शिलान्यास के अगले ही दिन राज्य में भारी विरोध का सामना करना पड़ा। उत्तराखंड सरकार अब धामों के नाम के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक कानून बनाने की योजना बना रही है।
दिल्ली के बुराड़ी में अब श्री केदारनाथ धाम के नाम से कोई मंदिर नहीं बनेगा। हाल ही में इस मुद्दे पर उत्तराखंड के कई धर्मावलंबियों ने विरोध जताया था। इसी वजह से श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण का निर्णय वापस ले लिया है।
राज्य की धामी सरकार ने भी जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए धामों के नाम के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने का निर्णय कैबिनेट के माध्यम से लिया है।
अगले दिन से ही उत्तराखंड में इस मुद्दे पर तीव्र विरोध शुरू हो गया
हाल ही में, दिल्ली में श्री केदारनाथ धाम के समान एक मंदिर बनाने का निर्णय श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट ने लिया था और इसके लिए शिलान्यास भी कर दिया गया था। हालांकि, अगले ही दिन उत्तराखंड में इस फैसले के खिलाफ तीव्र विरोध शुरू हो गया।
चार धामों के पंडा-पुरोहितों ने इस पर गहरी आपत्ति जताई कि केदारनाथ धाम के नाम का उपयोग करके कहीं और दूसरा मंदिर कैसे बनाया जा सकता है। इस विरोध को देखते हुए राज्य सरकार को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा।
देश में केवल एक ही केदारनाथ धाम है, और वह हमेशा के लिए वही रहेगा
धर्मावलंबियों की भावनाओं को समझते हुए राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने कैबिनेट के माध्यम से निर्णय लिया कि भविष्य में उत्तराखंड के धामों का दुरुपयोग रोकने के लिए जल्द ही एक कानून बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने स्वयं यह स्पष्ट किया कि देश में एक ही केदारनाथ धाम है और वह हमेशा के लिए वही रहेगा।
अब, श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट की अध्यक्ष सुमन मित्तल ने बताया कि पहले ट्रस्टी बुराड़ी के बख्तावरपुर रोड, हिरणकी में मंदिर का निर्माण शुरू करने की योजना बना रहे थे। लेकिन आपत्तियों के बाद दिल्ली में केदारनाथ धाम मंदिर बनाने का विचार अब छोड़ दिया गया है।
इसके साथ ही, इस नाम से किसी भी नए मंदिर के निर्माण का निर्णय रद्द कर दिया गया है। दान की प्रक्रिया के लिए आनलाइन क्यूआर कोड का इस्तेमाल भी बंद कर दिया गया है।