ओलंपिक कांस्य पदक विजेता पूर्व पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि पिछले साल विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया का एशियाई खेलों के ट्रायल्स से छूट लेने का फैसला उनके विरोध प्रदर्शन की छवि को प्रभावित करता है। इस स्थिति के कारण उनका अभियान स्वार्थी दिखने लगा। साक्षी इस विरोध प्रदर्शन के तीन मुख्य पहलवानों में से एक थीं और उन्होंने हाल में रिलीज हुई अपनी किताब ‘विटनेस’ में अपने करियर के संघर्षों के बारे में भी लिखा है।
साक्षी ने अपनी किताब में बताया कि जब बजरंग और विनेश के करीबी लोगों ने उनके मन में लालच भरना शुरू किया, तो उनके विरोध प्रदर्शन में दरार आने लगी। इसके अलावा, साक्षी ने बबीता फोगाट पर भी आरोप लगाया कि उन्होंने अपने स्वार्थ के लिए विरोध प्रदर्शन का फायदा उठाने की कोशिश की। उनके इस खुलासे ने कुश्ती की दुनिया में कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं।
साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर अपने कार्यकाल के दौरान महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है, और यह मामला दिल्ली की अदालत में चल रहा है।
डब्ल्यूएफआई के निलंबन के बाद, एक तदर्थ समिति ने कुश्ती का कामकाज संभाला, जिसने बजरंग और विनेश को 2023 एशियाई खेलों के ट्रायल्स में छूट दी। हालांकि, साक्षी ने अपने साथियों के सुझाव के बावजूद इस छूट का लाभ नहीं उठाने का फैसला किया।
अंततः, साक्षी एशियाई खेलों में हिस्सा नहीं ले सकीं, जबकि विनेश खेलों से पहले चोटिल हो गईं और बजरंग पदक जीतने में असफल रहे। इन घटनाओं ने भारतीय कुश्ती की स्थिति को और जटिल बना दिया है।
साक्षी मलिक की आत्मकथा के सह लेखक जोनाथन सेल्वाराज हैं। इस किताब में साक्षी ने उन लोगों के नाम का खुलासा नहीं किया, जिन्होंने बजरंग और विनेश को प्रभावित किया। साक्षी ने लिखा, “पहले की तरह स्वार्थी सोच फिर से हावी होने लगी। बजरंग और विनेश के करीबी लोगों ने उनके दिमाग में लालच भरना शुरू कर दिया। वे खेलों के लिए ट्रायल्स से छूट लेने की बात करने लगे।”
उन्होंने आगे लिखा, “बजरंग और विनेश के ट्रायल्स से छूट लेने का अच्छा असर नहीं पड़ा। इससे हमारे विरोध प्रदर्शन की छवि बुरी तरह प्रभावित हुई। इससे हम ऐसी स्थिति में पहुंच गए, जिसमें कई समर्थकों ने यह सोचना शुरू कर दिया कि हम अपने स्वार्थ के लिए यह विरोध कर रहे हैं।”
विनेश और बजरंग इस महीने की शुरुआत में हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी से जुड़ गए। विनेश जुलाना विधानसभा से जीत गईं, जबकि बजरंग पार्टी की राष्ट्रीय किसान इकाई के प्रमुख बने।