अल्मोड़ा :गेवाड़ घाटी के हाट गांव के नौला गधेरे में प्राचीन शिवलिंग मिला है। पुरातत्व विभाग की टीम ने शिवलिंग का अवलोकन करने के बाद इसके नौवीं-दसवीं शताब्दी का होने का अनुमान लगाया है। इधर शिवलिंग के दर्शन करने को श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। यह मूर्ति करीब चार फीट लंबी व छह क्विंटल वजनी है। ग्रामीणों की सहमति से इसे पवित्र स्थान पर प्रतिस्थापित किया जाएगा।
गेवाड़ घाटी के हाट गांव के नौला गधेरे में प्राचीन शिवलिंग मिला है। पुरातत्व विभाग की टीम ने शिवलिंग का अवलोकन करने के बाद इसके नौवीं-दसवीं शताब्दी का होने का अनुमान लगाया है। इधर, शिवलिंग के दर्शन करने को श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। यह शिवलिंग करीब चार फीट लंबी व छह क्विंटल वजनी है। ग्रामीणों की सहमति से इसे पवित्र स्थान पर प्रतिस्थापित किया जाएगा। इसके लिए स्थल चयन का कार्य चल रहा है।14 सितंबर को चौखुटिया के हाट गांव के गधेरे में प्राचीन एकमुखी शिवलिंग मिला। ग्रामीणों के अनुसार करीब चार दशक पूर्व यह मूर्ति नौला गधेरे में आई बाढ़ के चलते मलबे में दब गई थी। इस बार बरसात में गधेरे के भू-कटाव से शिवलिंग का ऊपरी हिस्सा फिर प्रकट हो गया।
ग्रामवासियों ने खोदाई कर शिवलिंग के एक बड़े भाग को बाहर निकाल लिया, लेकिन अधिक वजनी के चलते शिवलिंग पूरी तरह जमीन से बाहर नहीं निकल सका। इसके बाद मानव जनकल्याण समिति ने लोडर की मदद से शिवलिंग को जमीन से सुरक्षित निकाल लिया।
ग्रामीणों के अनुसार, शिवलिंग वाले स्थान को मोतीद्यौ के नाम से जाना जाता था। तब ग्रामीण पूरे श्रद्धाभाव से शिवलिंग की पूजा करते थे। शिवलिंग के पुरातत्व टीम के अवलोकन के बाद लोगों की जिज्ञासा बढ़ गई है।
कत्यूरी राजाओं की राजधानी रही है लखनपुर
हाट गांव के ठीक ऊपर करीब डेढ़ किमी की चढ़ाई के बाद एक पहाड़ी में लखनपुर का पौराणिक किला है। कहा जाता है कि यह क्षेत्र 11-12वीं शताब्दी में कत्यूरी राजाओं की उप राजधानी रही है।
शिवलिंग को संग्रहालय में रखने को तैयार नहीं हैं ग्रामीण
क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डा. सीएस चौहान के नेतृत्व में मूर्ति का अवलोकन करने गई टीम ने ग्रामीणों को इस शिवलिंग को अल्मोड़ा संग्रहालय में रखने का सुझाव दिया लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि शिवलिंग लोगों की श्रद्धा व मान्यता से जुड़ा है।