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सदन में हंगामे के बीच मुख्यमंत्री के सलाहकार ने पूछा- उच्च न्यायालय विधानसभा को कैसे निर्देश दे सकता है

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जयपुर, 31 जनवरी (आईएएनएस)। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी और विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ के बीच विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव के मुद्दे पर वाकयुद्ध देखने को मिला।

निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा, जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार भी हैं, उन्होंने राठौड़ के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया, राठौड़ ने 25 सितंबर को इस्तीफा देने वाले 91 विधायकों के इस्तीफे के संबंध में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।

स्पीकर ने लोढ़ा को विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर बोलने की इजाजत दी, लेकिन राठौर ने इसका विरोध किया, जिससे विवाद शुरू हो गया। जब राठौड़ ने उनके बयान पर आपत्ति जताई तो लोढ़ा ने सवाल किया था कि हाई कोर्ट विधानसभा को कैसे डिक्टेट कर सकता है।

इस पर अध्यक्ष ने कहा, आप मेरे अधिकार को चुनौती नहीं दे सकते। सदन नियमों से चलता है और अगर आप वरिष्ठ हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि सदन आपके हिसाब से चले। राठौड़ ने विधानसभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों का हवाला देते हुए कहा, आप मुझ पर हुक्म नहीं चला सकते।

जोशी ने जवाब दिया, नियम 157 के तहत विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की पूरी प्रक्रिया दी गई है। मुझे इन नियमों के तहत बोलने का अधिकार है। इन्हीं नियमों के तहत मैंने संयम लोढ़ा को बोलने की अनुमति दी है। लेकिन, राठौड़ ने यह कहते हुए बहस जारी रखी कि वह विशेषाधिकार हनन के मुद्दे को उठाने की सीधे अनुमति दे रहे हैं और उन्हें भी इस पर बोलने का मौका मिलना चाहिए।

राठौर ने जब विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव को लाने की प्रक्रिया पर नियमों पर चर्चा करने को कहा तो अध्यक्ष ने उन्हें बीच में ही रोक दिया और कहा कि वह स्वीकृति नहीं दे सकते। लेकिन राठौर ने कहा, ऐसा करके आप सत्ता पक्ष की आंतरिक लड़ाई को छुपा नहीं सकते। 13 फरवरी को हाईकोर्ट में फैसला आएगा और विशेषाधिकार प्रस्ताव पर टुकड़ों-टुकड़ों में फैसला देकर आप क्या साबित करना चाहते हैं?

जैसा कि राठौर ने नियमों का हवाला दिया, जोशी ने कहा, मैं अनपढ़ नहीं हूं, मैं सभी नियमों को जानता हूं। इन नियमों के अनुसार ही सदन चलेगा। आपके कहने पर सदन नहीं चलेगा। जब उन्होंने नियम 161 का हवाला दिया, तो अध्यक्ष ने कहा कि कंगारू कूदना काम नहीं करता है, और नियम 160 को देखने के लिए कहा। राठौड़, आधा साक्षर होने से कुछ नहीं होता, पूरी पढ़ाई करनी पड़ती है।

उन्होंने कहा कि नियम 160 में प्रावधान है कि अध्यक्ष विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव की अनुमति दे सकते हैं और इसके बाद अगर उन्हें कोई आपत्ति होती है तो उन्हें बोलने की अनुमति दी जाएगी। अभी लोगों को पता नहीं है कि विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव कैसे लाया जाता है। राजेंद्र राठौर का कहना है कि विशेषाधिकार हनन का कोई प्रस्ताव नहीं है। इसलिए मैंने विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव की अनुमति दी है, इस पर आगे चर्चा की जाएगी। सभी को बोलने का समय मिलेगा।

इस बीच, लोढ़ा ने कहा, क्या हम इस सदन में बैठकर अपने ही घर को कमजोर करने का काम करेंगे? क्या राजस्थान उच्च न्यायालय विधानसभा को निर्देश देगा? यदि विधानसभा में हमारे प्रश्न का उत्तर नहीं आया तो क्या हम उच्च न्यायालय जाएंगे? यदि उच्च न्यायालय में किसी मामले का निर्णय नहीं होता है, तो क्या विधानसभा को निर्णय लेने के लिए कहा जाएगा? यदि विधानसभा यह नहीं कह सकती है, तो उच्च न्यायालय विधानसभा को कैसे निर्देश दे सकता है? राजेंद्र राठौर के आचरण से सदन का अपमान हुआ है।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

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