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भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौते से जन स्वास्थ्य को खतरा नहीं: सरकार


सौरभ शुक्ला

नई दिल्ली: भारत और ब्रिटेन ने 24 जुलाई को एक व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते (सीईटीए) पर हस्ताक्षर किए जिसे भारत का अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी व्यापार समझौता माना जा रहा है.

शुल्क से लेकर प्रौद्योगिकी तक 26 क्षेत्रों को कवर करने वाले इस मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का लक्ष्य दोनों देशों के बीच वस्तुओं एवं सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार को 56 अरब डॉलर के मौजूदा स्तर से दोगुना कर 112 अरब डॉलर तक पहुंचाना है.

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) जन स्वास्थ्य और पेटेंट नीति पर भारत की मूल प्राथमिकताओं के प्रति भी समर्पित है. यह दवाओं के लिए अनिवार्य लाइसेंस जारी करने या भारतीय पेटेंट कानून द्वारा निर्धारित संतुलन को बदलने के सरकार के अधिकार को नहीं छीनता. पेटेंट के उपयोग के बारे में सालाना डिस्क्लोजर की बजाय तीन साल में एक बार डिस्क्लोजर का उद्देश्य केवल अनुपालन के बोझ को कम करना है.

खासकर तब जब एक उत्पाद में अक्सर कई ओवर लैपिंग पेटेंट शामिल होते हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि अधिकारी अब भी जरूरत पड़ने पर कभी भी यह जानकारी मांग सकते हैं.

वाणिज्य मंत्रालय के नोट के मुताबिक, भारतीय कानून को ग्लोबल नियमों (ट्रिप्स) के तहत पहले से ही प्रतिबद्ध नियमों से आगे ले जाने का कोई दबाव नहीं है. पेटेंट कार्यालयों के बीच सहयोग के प्रावधान बाध्यकारी बदलाव करने से ज़्यादा बेस्ट प्रेक्टिस को साझा करने पर केंद्रित हैं. कुल मिलाकर, यह समझौता एक ऐसे आश्वस्त और संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है जो आवश्यक दवाओं तक पहुंच की रक्षा करते हुए और जनहित को सर्वोपरि रखते हुए नवाचार और व्यापार का समर्थन करता है.

नोट से पता चलता है कि एफटीए (अनुच्छेद 13.6) में वोलुएंटरी लाइसेंसिंग का मतलब केवल उन सबसे बेहतर ग्लोबल प्रैक्टिस को स्वीकार करता है जो आपसी तौर से सहमत शर्तों पर टैक्नोलॉजी ट्रांसफर प्राप्त करने के संदर्भ में सहयोगात्मक समाधानों को आगे लेकर जाती है. यह भारतीय पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 84 के तहत अनिवार्य लाइसेंस (सीएल) जारी करने के भारत के सुस्थापित अधिकार को सीमित या कम नहीं करता है, जो ट्रिप्स समझौते के अनुरूप है और ट्रिप्स एवं जन स्वास्थ्य पर दोहा घोषणा में इसकी पुष्टि की गई है.

इस नोट से पता चलता है कि, एफटीए लाइसेंस जारी करने के लिए कोई नई पूर्व शर्त नहीं रखता. मौजूदा कानून के मुताबिक, ऐसे लाइसेंस जारी करने का संप्रभु अधिकार पूरी तरह से भारत सरकार के पास है. भारत के पेटेंट कानून को जन स्वास्थ्य आवश्यकताओं और नवाचार प्रोत्साहनों के बीच संतुलन बनाने के लिए वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है. एफटीए इस संतुलन को नहीं बदलता है. वास्तव में, यह भारत की नीतिगत स्वायत्तता की पुष्टि करता है.

  • अनिवार्य लाइसेंसिंग और जनहित अपवाद जैसे ट्रिप्स-अनुपालन सुरक्षा उपाय अपरिवर्तित रहेंगे.
  • मुक्त व्यापार समझौते में ऐसा कुछ भी नहीं है जो जन स्वास्थ्य के खतरे में होने पर भारत की विनियमन या हस्तक्षेप करने की क्षमता को कम करता हो.
  • अनुच्छेद 13.50 TRIPS के तहत किसी भी पक्ष के लचीलेपन को सही ढंग से संरक्षित करता है. साथ ही यह सुनिश्चित करते हुए कि पेटेंट के उपयोग में जनहित सबसे ऊपर रहे. यह स्वास्थ्य आपात स्थितियों और उसके बाद भारत के संप्रभु अधिकारों की एक महत्वपूर्ण पुष्टि है.

पेटेंट वर्किंग डिस्क्लोजर
पेटेंट के कमर्शियल वर्किंग ऑफ डिस्क्लोजर संबंधी प्रावधान (अनुच्छेद 13.56) में केवल यह नियम है कि सालाना डिस्क्लोजर के बजाय, पेटेंट के कार्य की जानकारी तीन साल में एक बार दी जाएगी. यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह केवल यूके एफटीए तक सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना भारत में प्रदान किए गए सभी पेटेंट पर लागू होता है.

इसके अलावा, डिस्क्लोजर दायित्व केवल फार्मास्युटिकल पेटेंट तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सभी क्षेत्रों के पेटेंट तक विस्तारित है. यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आर्टिकल का पैरा 2 एक स्पष्ट अपवाद प्रदान करता है कि जहां आवश्यक हो, संबंधित प्राधिकारी द्वारा किसी भी समय ऐसा डिस्क्लोजर मांगा जा सकता है और पैरा 1 में कुछ भी पक्षों के विवेकाधिकार को समाप्त नहीं करता है कि वे आवश्यकता पड़ने पर ऐसी जानकारी मांगें, जिसमें अनिवार्य लाइसेंसिंग के लिए आवेदन प्राप्त होने की स्थिति भी शामिल है.

यह प्रावधान भारत की मौजूदा कानूनी व्यवस्था और आधुनिक नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की उभरती जरूरतों के साथ पूरी तरह से फिट बैठती है. साथ ही किसी दिए गए उदाहरण में पेटेंट के वाणिज्यिक कामकाज के संबंध में डिस्क्लोजर की मांग के लिए नीतिगत जगह और स्वतंत्रता को बरकरार रखता है. फॉर्म 27 के तहत वार्षिक डिस्क्लोजर करने की आवश्यकता को हाल ही में पेटेंट नियमों में बदलाव के माध्यम से बदलाव किया गया था. यह कदम अलग-अलग क्षेत्रों के हितधारकों के साथ महत्वपूर्ण विचार-विमर्थ के बाद उठाया गया था, जहां फॉर्म 27 के तहत प्रत्येक व्यक्तिगत पेटेंट के वाणिज्यिक कामकाज के बारे में वार्षिक डिस्क्लोजर के लिए अनुपालन आवश्यकता को कम करने की मजबूत आवश्यकता की जानकारी दी गई थी.

जटिलता और तेजी से बदलती तकनीक को देखते हुए, अक्सर एक उत्पाद में कई पेटेंट अंतर्निहित होते हैं, जैसे स्मार्ट फोन, स्मार्ट टेलीकॉम और आईटी उपकरण, दवाएं वगैरह..वगैरह. इसलिए, प्रत्येक पेटेंट के लिए उत्पाद राजस्व को विभाजित करना और वाणिज्यिक कामकाज का विवरण प्रदान करना बहुत कठिन माना गया और उसके हिसाब से उसमे बदलाव किए गए.

ऐसी जानकारी दाखिल न करना पहले भी एक आपराधिक अपराध था, जिसे जन विश्वास अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था. कार्यशील जानकारी प्रदान करने के लिए तीन साल की अवधि, पेटेंट के लिए वैधानिक दायित्व के अनुरूप है और जनहित में कार्य करने की सरकार की क्षमता से समझौता किए बिना, इनोवेटर्स को पूर्वानुमान की सुविधा प्रदान करती है.

सामंजस्य के संबंध में, एफटीए में ऐसे कोई प्रावधान नहीं हैं जो भारतीय पेटेंट कानून को ट्रिप्स प्रतिबद्धताओं से परे अंतरराष्ट्री. मानकों के साथ सुसंगत बनाते हों. एफटीए में पेटेंट संबंधी प्रावधान उन अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को प्रतिबिंबित करते हैं जो पहले ही ली जा चुकी हैं और जो वर्तमान कानूनी ढांचे के अनुरूप हैं.

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न, द्विपक्षीय सुरक्षा उपाय

प्रश्न: ब्रिटेन के साथ इस एफटीए में भारतीय घरेलू उद्योगों के लिए क्या सुरक्षा उपाय उपलब्ध हैं?
उत्तर: इस मुक्त व्यापार समझौते में द्विपक्षीय सुरक्षा उपाय शामिल हैं. यह भारत को कुछ वस्तुओं पर टैरिफ अस्थायी रूप से बढ़ाने या टैरिफ रियायतें निलंबित करने की अनुमति देता है. यदि ब्रिटेन से आयात में उल्लेखनीय वृद्धि होती है जिससे भारतीय घरेलू उद्योगों को गंभीर नुकसान पहुंचता है या पहुंचने का खतरा होता है.

प्रश्न: इस सुरक्षा उपाय का उपयोग करने के लिए ट्रिगर प्वाइंट क्या है?
उत्तर: जब इस एफटीए के तहत टैरिफ रियायत के कारण घरेलू उत्पादन के सापेक्ष या पूर्ण मात्रा में यूके से किसी मूल वस्तु के आयात में वृद्धि होती है, जिससे घरेलू उद्योग को गंभीर नुकसान होता है.

प्रश्न: इस द्विपक्षीय सुरक्षा उपायों के अंतर्गत भारत क्या कार्रवाई कर सकता है?
उत्तर: भारत शुल्क में कटौती को स्थगित कर सकता है या शुल्क में वृद्धि कर सकता है. इस सीमा के साथ कि वह वर्तमान या समझौते से पूर्व लागू MFN दर में से जो भी कम हो, उससे अधिक नहीं हो सकता.

प्रश्न: ऐसे सुरक्षा उपायों की अवधि कितनी है?
उत्तर: इस मुक्त व्यापार समझौते के अंतर्गत द्विपक्षीय सुरक्षा उपायों की अवधि प्रारंभ में अधिकतम दो वर्ष है. यदि जांच से यह पता चलता है कि गंभीर नुकसान को रोकने या उसका समाधान करने तथा घरेलू उद्योग के लिए समायोजन को सुगम बनाने हेतु सुरक्षा उपायों की अभी भी आवश्यकता है, तो इस अवधि को अतिरिक्त दो साल के लिए बढ़ाया जा सकता है. इस प्रकार, द्विपक्षीय सुरक्षा उपायों की कुल अधिकतम अवधि चार साल है.

प्रश्न: द्विपक्षीय सुरक्षा उपाय लागू करने का अधिकार कितनी अवधि के लिए उपलब्ध है?
उत्तर: द्विपक्षीय सुरक्षा उपाय लागू करने का अधिकार संबंधित वस्तु पर टैरिफ उन्मूलन (संक्रमण अवधि) के बाद 14 साल के लिए लागू है.

प्रश्न: यदि भारत द्विपक्षीय सुरक्षा उपाय लागू करता है, तो क्या ब्रिटेन जवाबी कार्रवाई कर सकता है?
उत्तर: यदि द्विपक्षीय सुरक्षा उपाय केवल दो साल तक लागू होता है, तो पक्षों को जवाबी कार्रवाई का कोई अधिकार नहीं है. यदि इस उपाय को चार साल तक बढ़ाया जाता है, तो पक्षों को जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार है.

प्रश्न: सुरक्षा उपाय समाप्त होने के बाद सीमा शुल्क का क्या होता है?
उत्तर: जब द्विपक्षीय सुरक्षा उपाय समाप्त हो जाता है, तो वस्तु पर सीमा शुल्क उस दर पर वापस आ जाता है जो समझौते के टैरिफ अनुसूची के तहत लागू होता है जैसे कि सुरक्षा कभी लागू नहीं की गई थी.

प्रश्न: क्या भारत आपातकालीन स्थिति में अपने घरेलू उद्योग की सुरक्षा के लिए अस्थायी सुरक्षा उपाय कर सकता है?

उत्तर: हां, घरेलू उद्योग को भारी नुकसान से बचाने के लिए गंभीर या आपातकालीन स्थितियों में अस्थायी उपाय किए जा सकते हैं. शुरुआती साक्ष्य के आधार पर इन्हें 200 दिनों तक के लिए लागू किया जा सकता है, लेकिन इसके बाद पूरी जांच होनी चाहिए.

प्रश्न: क्या एक ही वस्तु पर एक साथ कई प्रकार के सुरक्षा उपाय लागू किए जा सकते हैं?
उत्तर: नहीं, समझौते के तहत एक द्विपक्षीय सुरक्षा उपाय और GATT 1994 के अनुच्छेद XIX और उससे संबंधित समझौते के तहत एक सुरक्षा उपाय, एक ही वस्तु पर एक साथ लागू नहीं किए जा सकते. इससे एक ही उत्पाद के लिए दोहरी सुरक्षा को रोका जा सकता है.

  • भारत-यूके सीईटीए सरकारी खरीद चैप्टर

प्रश्न: भारत यूके सीईटीए जीपी चैप्टर में यूके के आपूर्तिकर्ताओं को क्या पेशकश की गई है?

उत्तर: भारत ने यूके के आपूर्तिकर्ताओं को केंद्रीय स्तर की खरीद (CPSEs सहित) की पेशकश की है। भारत की बाजार पहुँच अनुसूची (Annex 15A) में 51 केंद्रीय सरकारी संस्थाओं और 28 CPSEs की सांकेतिक सूची दी गई है.

प्रश्न: यूके के बाजार पहुंच प्रस्ताव में क्या शामिल है?
उत्तर: यूके की बाजार पहुंच अनुसूची (Annex 15B) में 48 केंद्र सरकार की संस्थाओं के साथ-साथ उपयोगिता स्तर की संस्थाओं की सांकेतिक सूची भी शामिल है. यूके ने बेलफास्ट मेट्रोपॉलिटन कॉलेज, नॉर्दर्न रीजनल कॉलेज, नॉर्थ वेस्ट रीजनल कॉलेज जैसी संस्थाओं को भी शामिल किया है, जिन्हें सभी व्यापारिक साझेदारों को नहीं दिया गया है. इसके अलावा, यूके अनुसूची में उन सेवाओं को भी सूचीबद्ध किया गया है जो भारतीय आपूर्तिकर्ताओं को दी गई हैं.

प्रश्न: भारतीय आपूर्तिकर्ताओं को क्या लाभ उपलब्ध हैं?
उत्तर: मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के तहत, भारतीय आपूर्तिकर्ताओं को केंद्रीय सरकार और कुछ उपयोगिताओं के स्तर पर की जा रही यूके की खरीद तक पहुँच की गारंटी दी गई है.

आपूर्तिकर्ता प्रमुख सरकारी संस्थाओं जैसे कैबिनेट कार्यालय; व्यापार और व्यापार विभाग; राष्ट्रीय राजमार्ग; स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल विभाग; विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय; शिक्षा विभाग, आदि द्वारा की जाने वाली खरीद में भाग ले सकेंगे। इसके अलावा, भारतीय आपूर्तिकर्ता बेलफास्ट मेट्रोपॉलिटन कॉलेज, नॉर्दर्न रीजनल कॉलेज, नॉर्थ वेस्ट रीजनल कॉलेज जैसी संस्थाओं द्वारा की जाने वाली सरकारी खरीद में भाग ले सकते हैं, जो सभी व्यापारिक साझेदारों को नहीं दी जाती हैं। सरकारी खरीद अध्याय भारतीय आपूर्तिकर्ताओं के लिए सार्थक बाजार पहुंच सुनिश्चित करेगा.

भारतीय आपूर्तिकर्ता वस्तुओं, सेवाओं और निर्माण सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए यूके की खरीद में प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे. इसमें निर्माण सेवाएं, आईटी सेवाएं, वित्तीय और बीमा सेवाएं, दूरसंचार सेवाएं, और वास्तुकला सेवाएं, अन्य व्यावसायिक सेवाएं शामिल हैं. ये भारतीय आपूर्तिकर्ताओं के लिए रुचिकर हो सकती हैं.

प्रश्न: भारत ने अपने संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा कैसे की है?
उत्तर: भारत की पेशकश में केवल केंद्रीय स्तर पर गैर-संवेदनशील खरीद शामिल है. इसमें रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, अंतरिक्ष विभाग आदि जैसे संवेदनशील मंत्रालय,भाग भी शामिल नहीं हैं. भारत ने ब्रिटिश आपूर्तिकर्ताओं को राज्य,स्थानीय सरकार स्तर पर पहुंच की पेशकश नहीं की है.

प्रश्न: ब्रिटेन का खरीद बाजार किस प्रकार अधिक सुलभ होगा?
उत्तर: भारतीय आपूर्तिकर्ताओं को ब्रिटेन के खरीद बाजार में न केवल गैर-भेदभावपूर्ण व्यवहार प्रदान किया जाएगा, बल्कि खरीद प्रक्रियाओं के भीतर सामाजिक मूल्य के संदर्भ में भी उनके साथ ब्रिटेन के आपूर्तिकर्ताओं के समान व्यवहार किया जाएगा. जिससे भारतीय व्यवसायों के लिए निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा करने के लिए समान अवसर मिलेंगे.

प्रश्न: भारत ने भारतीय व्यवसायों और एमएसएमई की सुरक्षा के लिए क्या सुरक्षा उपाय किए हैं?
उत्तर: नीतिगत स्थान का संरक्षण: भारत ने अपनी एमएसएमई तरजीही खरीद नीति के लिए पूर्ण छूट ले ली है. मेक इन इंडिया नीति के संबंध में, यूके के आपूर्तिकर्ताओं के लिए पहुँच सहमत थ्रेसहोल्ड से ऊपर घरेलू टेंडर में ‘क्लास- II स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं’ के रूप में भाग लेने की पात्रता तक ही सीमित है. भारतीय आपूर्तिकर्ताओं को ‘क्लास- I स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं’ के रूप में अधिमान्य उपचार प्राप्त होता रहेगा.

विस्तारित अवसरों की अनुमति देने के लिए एसिमेट्रिक थ्रेसहोल्ड:
यूके ने भारत के पक्ष में एसिमेट्रिक थ्रेसहोल्ड को स्वीकार कर लिया है. वस्तुओं और सेवाओं के लिए यूके की थ्रेसहोल्ड WTO GPA स्तर SDR 130,000 (लगभग INR 1.6 करोड़) है, जबकि भारत में वस्तुओं और सेवाओं के लिए SDR 450,000 (लगभग INR 5.5 करोड़) की उच्च सीमा होगी.

ब्रिटेन और भारत ने निर्माण सेवाओं के लिए 5 मिलियन एसडीआर (लगभग 62 करोड़ रुपये) की समान सीमा रखने पर सहमति व्यक्त की। भारतीय लघु व्यवसायों के लिए सुविधाजनक उपाय: अध्याय के पाठ में खरीद में लघु व्यवसायों की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने पर एक लेख शामिल है.

इनमें टेंडर दस्तावेज़ निःशुल्क उपलब्ध कराना, आपूर्तिकर्ताओं को शीघ्र भुगतान आदि शामिल हैं. मूल देश के मुद्दे की सुरक्षा के लिए सुरक्षा उपाय: श्रेणी-II के स्थानीय आपूर्तिकर्ता के रूप में भाग लेने की पात्रता मूल देश की आवश्यकता द्वारा और भी सीमित है. यह बताता है कि, केवल ब्रिटेन का कोई आपूर्तिकर्ता ही इस तरह के व्यवहार के लिए पात्र है जो ब्रिटेन को अपना मूल देश मानकर वस्तुएं या सेवाएं प्रदान करता है.

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