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सुंदर पिचाई बने अरबपति! जानें तमिलनाडु से सिलिकॉन वैली तक का सफर, कैसे हुई कमाई?


नई दिल्ली: अल्फाबेट इंक के सीईओ सुंदर पिचाई ने एक बड़ी वित्तीय उपलब्धि हासिल कर ली है. ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के अनुसार उनकी कुल संपत्ति अब 1.1 बिलियन डॉलर को पार कर गई है. पिचाई की संपत्ति में बढ़ोतरी के पीछे अल्फाबेट के स्टॉक मूल्य में बढ़ोतरी एक प्रमुख कारण रही है.

सुंदर पिचाई अरबपति कैसे बने?
2023 की शुरुआत से ही अल्फाबेट के शेयरों में भारी उछाल आया है, जिससे कंपनी का बाजार मूल्य 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा हो गया है. इस दौरान कंपनी के शेयर ने निवेशकों को लगभग 120 फीसदी रिटर्न दिया है और अब यह अपने सर्वकालिक उच्चतम स्तर के करीब कारोबार कर रहा है. इससे पिचाई समेत कई टॉप अधिकारियों को फायदा हुआ है, जो अब दस अंकों की नेटवर्थ वाले गैर-संस्थापक टेक सीईओ के क्लब में शामिल हो गए हैं.

अल्फाबेट में सुंदर पिचाई की हिस्सेदारी
आपको बता दें कि 53 साल के सुंदर पिचाई के पास अल्फाबेट में 0.02 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसका वर्तमान मूल्य लगभग 440 मिलियन डॉलर है. उन्होंने पिछले दस वर्षों में अल्फाबेट के 650 मिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के शेयर भी बेचे हैं. अगर उन्होंने अपने सभी शेयर अपने पास रखे होते, तो ब्लूमबर्ग का अनुमान है कि आज की कीमतों पर उनकी हिस्सेदारी की कीमत 2.5 बिलियन डॉलर से अधिक होती.

2024 में सैलरी कम हुई लेकिन नेटवर्थ बढ़ी
2022 में उनकी कमाई की तुलना में 2024 में सुंदर पिचाई का सैलरी काफी कम हो गया. अल्फाबेट की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार पिचाई के वेतन में भारी गिरावट आई क्योंकि सीईओ को 10.72 मिलियन डॉलर मिले. यह 2022 में उन्हें मिले 226 मिलियन डॉलर के वेतन से काफी कम है.

लेकिन इस गिरावट के पीछे कुछ कारण हैं. 2022 में, सुंदर पिचाई को एक बड़ा स्टॉक पुरस्कार मिला, जो हर तीन साल में एक बार ही दिया जाता है. हालांकि, इन वर्षों में उनका मूल वेतन 2 मिलियन डॉलर ही रहा. गूगल के सीईओ ने बाकी की राशि स्टॉक से जुड़ी आय और कंपनी के अन्य लाभों से कमाया.

साधारण शुरुआत से तकनीकी दिग्गज तक
भारत के तमिलनाडु में जन्मे सुंदर पिचाई का प्रारंभिक जीवन सिलिकॉन वैली के कॉर्पोरेट कार्यालयों से दूर रहा. वे सीमित संसाधनों वाले एक साधारण दो कमरों वाले घर में पले-बढ़े है. उनके परिवार के पास कार नहीं थी, और उनका पहला लैंडलाइन फोन तब लगा जब वे 12 साल के थे. अमेरिका की उनकी यात्रा 1993 में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में छात्रवृत्ति के साथ शुरू हुई. उनके प्लेन के टिकट के लिए उनके परिवार को उनके पिता की 1,000 डॉलर की वार्षिक आय से भी ज्यादा खर्च करना पड़ा था.

पिचाई 2004 में गूगल में शामिल हुए और लगातार तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए. उन्होंने क्रोम ब्राउजर के विकास में अहम भूमिका निभाई और एंड्रॉइड डिवीजन का नेतृत्व किया. 2015 में उन्हें गूगल का सीईओ नियुक्त किया गया और बाद में 2019 में उन्होंने गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट इंक. के सीईओ का पदभार संभाला है.

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