नई दिल्ली: भारत और यूनाइटेड किंगडम ने तीन साल की बातचीत के बाद 24 जुलाई को एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में सालाना लगभग 34 अरब डॉलर की बढ़ोतरी होगी. समझौते के डिटेल्स के अनुसार, स्कॉच व्हिस्की, कार, चॉकलेट, एयरोस्पेस पार्ट्स और कई अन्य उत्पादों की लागत कम हो जाएगी. यह कदम भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए यूके यात्रा के बाद उठाया गया है.
भारत-यूनाइटेड किंगडम मुक्त व्यापार समझौते से स्पिरिट पर आयात शुल्क कम होने की उम्मीद है, जिससे प्रीमियम अंतर्राष्ट्रीय शराब ब्रांड भारतीय उपभोक्ताओं के लिए अधिक किफायती हो जाएंगे. हालांकि विशेषज्ञों ने कहा है कि इसका प्रभाव मामूली हो सकता है. कीमत में कटौती की सीमा प्रति बोतल लगभग 300 रुपये तक हो सकती है.
इस सौदे से स्कॉच व्हिस्की की कीमतों में कमी आएगी. हालांकि इसका बाजार के स्वरूप पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा. टैरिफ आधे से भी कम होने से अब ब्रिटिश कंपनियों के लिए भारत को व्हिस्की निर्यात करना आसान हो जाएगा.
स्कॉच व्हिस्की की कीमत
अब टैरिफ 150 फीसदी से तुरंत 75 फीसदी हो जाएगी और फिर अगले दस वर्षों में और भी कम होकर 40 फीसदी हो जाएगी. स्कॉच के प्रीमियम सेगमेंट में, जहां कीमतें 3500 रुपये प्रति बोतल से शुरू होती हैं, जॉनी वॉकर, ब्लैक लेबल और चिवास रीगल 12 इयर्स जैसे ब्रांड 200-300 रुपये प्रति बोतल तक कम हो सकते हैं.
इस बीच स्टैंडर्ड सेगमेंट, जिसकी कीमत 1700 रुपये से 2000 रुपये के बीच है, रेड लेबल और बैलेंटाइन जैसे ब्रांड 100-150 रुपये तक कम हो सकते हैं.
शराब व्यापार विशेषज्ञ के अनुसार अधिकांश भारतीय व्हिस्की उत्पादक घरेलू व्हिस्की में मिश्रण के लिए स्कॉच व्हिस्की का आयात करते हैं. सीमा शुल्क में कमी से इन भारतीय उत्पादकों को मदद मिलेगी.