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उत्तराखंड में होगा इस 'सुपर फूड' का उत्पादन, सरकार को किसानों की तलाश, जानें संभावनाएं


उत्तराखंड में होगा इस ‘सुपर फूड’ का उत्पादन (ETV Bharat)

धीरज सजवाण

देहरादून: मखाना को सुपर फूड माना जाता है. हाल के दिनों में पीएम मोदी ने इस स्वदेशी सुपर फूड को लेकर लोगों को जागरूक किया है. अब उत्तराखंड में पहली बार मखाना सुपर फूड के उत्पादन को लेकर कवायद शुरू की जा रही है. मखाना उत्पादन को लेकर क्या कुछ प्लानिंग है और क्या संभावनाएं हैं, साथ ही इसे सुपर फूड कैटेगरी में क्यों रखा जाता है, पेश है खास रिपोर्ट…

उत्तराखंड में मखाना उगाने की कवायद: भारत सरकार में सेंट्रल मखाना बोर्ड द्वारा देश में सुपर फूड्स यानी ऐसे खाद्य पदार्थ, जो की कम कैलोरी और ज्यादा पोषक तत्व वाले गुण रखते हैं, जिनमें विटामिन मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, उन्हें बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके तहत देश भर में मखाना उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसी को लेकर अब पहली दफा उत्तराखंड में भी मखाना उत्पादन की कवायद शुरू की जा रही है.

उत्तराखंड में होगा इस ‘सुपर फूड’ का उत्पादन (ETV Bharat)

सुपर फूड है मखाना: मखाना आज हर एक घर और रसोई का हिस्सा है. इसके गुणकारी होने की वजह से इसे सुपर फूड कैटेगरी में रखा जाता है. लेकिन भले ही हम सबने मखाने का स्वाद चखा है, और हम इसके गुणों के बारे में भी जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि मखाने का उत्पादन कैसे किया जाता है. इसकी पैदावार किस तरह से की जाती है. इसे खाने लायक किस तरह से बनाया जाता है. तो सबसे पहले आपको मखाना तैयार करने की क्या प्रक्रिया होती है ये बताते हैं.

Makhana Superfood

मखाना को सुपर फूड कहा जाता है (ETV Bharat)

कैसे बनता है मखाना? मखाना कमल के पौधे से तैयार किया जाता है. इसकी खेती तालाबों में की जाती है. मखाने की खेती अक्टूबर ओर नवंबर से शुरू होती है, जब इसके बीज बोए जाते हैं. अप्रैल-मई में यह कांटेदार फल के रूप में तैयार हो जाता है. तैयार होने के बाद यह फल फटकर बीज पानी में तैरने लगते हैं. किसान इन्हीं बीजों को निकाला कर उन्हें सुखाते हैं. अच्छे से सूख जाने के बाद इन बीजों को चूल्हे पर भूना जाता है. ठीक उसी समय जब बीज गरम होते हैं, तो उन्हें हथौड़े से पीटकर सफेद मखाने में बदला जाता है. मखाना उत्पादन में 7-8 महीने लगते हैं. अभी फिलहाल देश में बिहार राज्य इसका सबसे बड़ा उत्पादक है. सामान्य तौर पर देखा जाए तो मखाना कमल के फूल का बीज है, जिसे ‘वॉटर लिली’ (Water Lily) भी कहते हैं. भारत में, खासकर बिहार (दरभंगा, मधुबनी) में इसका सबसे ज़्यादा उत्पादन होता है.

Makhana Superfood

मखाना उत्पादन बहुत मेहनत का काम है (ETV Bharat)

उत्तराखंड में मखाना उत्पादन की संभावनाएं और तैयारी: उत्तराखंड उद्यान विभाग उत्तराखंड में मखाना उत्पादन को लेकर काम करेगा. विभाग में स्टेट कोऑर्डिनेटर बागवानी मिशन डॉक्टर सुरभि पांडे ने बताया कि-

सभी जनपदों को निर्देशित किया गया है कि जितने भी किसान मखाना उत्पादन को लेकर उत्सुक हैं, उनसे आवेदन लिया जाए. इस योजना को प्रभावी तौर पर धरातल पर उतरने के लिए काम शुरू किया जाए. साथ ही मखाना उत्पादन को लेकर आने वाली नई योजना को लेकर इसकी प्रक्रियाओं के बारे में भी किसानों को जानकारी दी जाए.
-डॉक्टर सुरभि पांडे, स्टेट कोऑर्डिनेटर, बागवानी मिशन, उद्यान विभाग-

डॉक्टर सुरभि पांडे ने बताया कि-

अभी मखाना शब्द ही उत्तराखंड के किसानों के लिए बिल्कुल नया होगा. अब तक उत्तराखंड में इसका उत्पादन नहीं किया जाता है, तो निश्चित तौर से इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए किसानों को जागरूक करना, उन्हें प्रशिक्षित करना एक सबसे बड़ी चुनौती रहेगी. यह विभाग के लिए भी बिल्कुल नई चुनौती है.
-डॉक्टर सुरभि पांडे, स्टेट कोऑर्डिनेटर, बागवानी मिशन, उद्यान विभाग-

ये है उत्तराखंड में मखाना उत्पादन का प्लान: उत्तराखंड उद्यान विभाग में स्टेट कोऑर्डिनेटर बागवानी मिशन डॉक्टर सुरभि पांडे ने बताया कि केंद्र के निर्देशों के क्रम में सबसे पहले प्रदेश में मखाना उत्पादन को लेकर उद्यान विभाग में निदेशक स्तर पर नोडल अधिकारी का चयन किया जाएगा. इसके बाद इस योजना को धरातल पर उतरने के लिए कार्य योजना तैयार की जाएगी. इस कार्य योजना में उत्तराखंड के सभी 13 जनपदों में मखाना उत्पादन की संभावनाओं को लेकर डाटा तैयार किया जाएगा. डॉक्टर सुरभि ने बताया कि-

Makhana Superfood

मखाना की कीमत बहुत ज्यादा है (ETV Bharat)

किस जनपद में कितने जलाशय और कमल उत्पादन की कितनी संभावनाएं हैं, इसको लेकर स्टडी की जाएगी. योजना के तहत काम करने में रुचि रखने वाले किसानों के आवेदन लिए जाएंगे. प्राप्त किसानों के आवेदन में किस तरह से उन्हें योजना में लाभान्वित किया जाना है, किस तरह से विभाग किसानों को मदद करेगा, इसको लेकर प्राप्त आवेदनों को भारत सरकार की मखाना पॉलिसी के तहत केंद्र को भी भेजा जाएगा.
-डॉक्टर सुरभि पांडे, स्टेट कोऑर्डिनेटर, बागवानी मिशन, उद्यान विभाग-

उत्तराखंड के मैदानी जनपदों में मखाना उत्पादन की अपार संभावनाएं: जैसा कि अब हम जान चुके हैं कि मखाना उत्पादन कमल के बीज से होता है, तो निश्चित तौर से मखाना उत्पादन के लिए बड़े-बड़े जलाशय की आवश्यकता होती है. जिस तरह से कमल जलाशय में खिलता है और वहां पर मिट्टी की भी अधिकता रहती है, वहीं उसका बीज भी होता है. कमल कीचड़ में खिलता है और इस कीचड़ में कमल का बीज भी होता है और उस बीज को इकट्ठा करके मखाना उत्पादन किया जाता है. डॉक्टर सुरभि पांडे के अनुसार उत्तराखंड के मैदानी जिलों में इसकी अपार संभावनाएं हैं. देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिलों में मौजूद बड़े-बड़े तालाबों में मखाना उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं. विशेष तौर से काशीपुर इसका एक मुख्य केंद्र बन सकता है.

स्थानीय महिला वंदना गुप्ता कहती हैं कि-

मखाना बहुत ही ज्यादा गुणकारी होता है. लोगों को इसके बारे में पहले जानकारी नहीं थी, लेकिन अब लोग जागरूक हो रहे हैं, क्योंकि इसमें बहुत ज्यादा मात्रा में कैल्शियम होता है. एक महिला होने के नाते मैं जानती हूं कि महिलाओं को कैल्शियम की बहुत ज्यादा जरूरत होती है जो कि मखाना पूरी करता है. मखाना महिलाओं को कमर दर्द में आराम देता है. यह हमारे घर की रसोई में भी कई जगह काम आता है.
-वंदना गुप्ता, स्थानीय महिला-

वहीं एक और मखाना यूजर विपिन मेहंदी रत्ता कहते हैं कि-

बुजुर्गों में मखाना उनकी ताकत बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण ड्राई फ्रूट है. यदि उत्तराखंड राज्य में भी मखाना उत्पादन होता है, तो यह ग्राहकों के लिए अच्छा होगा क्योंकि उससे मखाना सस्ता होगा.
-विपिन मेहंदी रत्ता, मखाना के शौकीन-

एक और मखाने के शौकीन मनीष शर्मा बताते हैं कि-

हम मखाना इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अभी तक मार्केट में यह केवल पैकेट में मिलता है. खुले रूप में यहां नहीं मिलता है. पैकेट में होने की वजह से यह काफी महंगा होता है. हमें अगर लोकल मखाना मिले, तो यह काफी बेहतर होगा. अगर उत्तराखंड में इसका प्रोडक्शन होता है, तो यह काफी अच्छा रहेगा और इसकी क्वालिटी भी अच्छी रहेगी.
-मनीष शर्मा, मखाना यूजर-

महिलाओं के लिए सबसे गुणकारी है मखाना: आरएमएल अस्पताल दिल्ली की डॉक्टर आयुषी जोशी ने मखाना खाने के फायदे बताए…

मखाना एक सुपर फूड हैं. इसमें कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं. ये तत्व हड्डियों को मजबूत बनाते हैं. थकान व कमजोरी को कम करते हैं. त्वचा को स्वस्थ व चमकदार बनाए रखने में मदद करते हैं. मखाना महिलाओं के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है. महिलाओं में होने वाली हार्मोनल असंतुलन की समस्या को संतुलित करने में भी मखाना सहायक माना जाता है. साथ ही यह मासिक धर्म के दौरान होने वाली कमजोरी और ब्लड लॉस की पूर्ति में भी मदद करता है. इसके अलावा, मखाना लो-कैलोरी व हाई-फाइबर फूड है. इस कारण ये वजन नियंत्रित रखने, पाचन सुधरने और ब्लड शुगर लेवल संतुलित रखने में भी खास भूमिका निभाता है.
-डॉक्टर आयुषी जोशी, डॉ राममनोहर लोहिया अस्पताल, दिल्ली-

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