Homeउत्तराखण्ड न्यूजपंचायत चुनाव: वोटर लिस्ट में कैसे जुड़ गया बाहरियों का नाम, HC...

पंचायत चुनाव: वोटर लिस्ट में कैसे जुड़ गया बाहरियों का नाम, HC ने आयोग से पूछा, मुख्य सचिव को पेश होने को कहा


नैनीताल: उत्तराखंड में इस बार पंचायत चुनाव करना राज्य निर्वाचन आयोग के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग एक मुश्किल से निकलता नहीं की, दूसरी आकर खड़ी हो जाती है. कुछ दिनों पहले ही जहां प्रत्याशी और वोटर का नाम डबल मतदान सूची में होने का मामला सामने आया तो वहीं अब वोटर लिस्ट में बाहरी लोगों के नाम शामिल होना का मामला आ गया. इस मामले में भी उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जनहित याचिका दायर की गई थी, जिस पर शुक्रवार 18 जुलाई को कोर्ट में सुनवाई हुई.

मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में हुई. खंडपीठ ने 28 जुलाई को राज्य चुनाव आयुक्त और मुख्य सचिव को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश होने को कहा है. मामले के आज सुनवाई के दौरान एडीएम विवेक राय और एसडीएम कैंची मौजूद रही, जिनके जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ. कोर्ट ने आज भी उनसे पूछा कि किस आधार व किस दस्तावेज के अनुसार इनको वोटिंग का अधिकार दिया. उसकी कोई प्रतिलिपि है तो कोर्ट में पेश करें.

मामले के अनुसार बुधलाकोट निवासी आकाश बोरा ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. आकाश बोरा ने अपना याचिका ने कहा था कि उनके गांव की मतदान सूची में 82 ऐसे वोटर है, जो उनके क्षेत्र से नहीं आते है. यानी उनके गांव की वोटर लिस्ट में बाहरी लोगों को नाम शामिल किया गया है. जिन बाहरी लोग का नाम गांव की वोटर लिस्ट में शामिल किया गया है, वो अधिकांश उड़ीया और अन्य राज्यों के है.

आकाश बोरा का कहना है कि उनकी इसकी शिकायत एसडीएम से भी थी. इसके बाद एसडीएम ने भी जांच कमेटी गठित की थी. जांच कमेटी ने वोटर लिस्ट का अवलोकन कर के पाया कि इसमे से 18 लोग बाहर के है, लेकिन अंतिम लिस्ट जारी होने के बाद भी चिन्हित 18 लोगों के नाम वोटर लिस्ट से नहीं हटाये गए.

जनहित याचिका दायर करने के बाद आकाश बोरा की तरफ से ऐसे ही 30 अन्य की लिस्ट भी कोर्ट में पेश की गई. शिकायत करने के बाद भी जिस पर कोई कार्रवाही नहीं की गई. सुनवाई के बाद आयोग की तरफ से कहा गया कि कुछ लोगों को चिन्हित किया गया है. वोटर लिस्ट बनाते वक्त बीएलओ ने घर-घर जाकर वोटरों को चिन्हित किया. उसी के आधार पर वोटर लिस्ट बनाई.

इस जवाब पर कोर्ट ने आयोग से पूछा कि जब वोटर लिस्ट बनाई गई तो क्या वोटरों का उस वक्त आधार कार्ड, वोटर आईडी या राशन कार्ड या स्थायी निवास से संबंधित दस्तावेजों की जांच की. अगर की है तो उसका रिकॉर्ड प्रस्तुत करें या फिर ओरली तौर पर नाम बताए जाने के आधार पर उनका नाम वोटर लिस्ट में शामिल किया है.

पढ़ें—

एक नजर