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NISAR Mission: ISRO और NASA का सबसे बड़ा मिशन, 21 जुलाई को नासा देगा लेटेस्ट अपडेट!


हैदराबाद: NISAR सैटेलाइट के बारे में आजकल काफी चर्चाएं हो रही है. अब इस सैटेलाइट को लॉन्च करने वक्त भी नजदीक आ रहा है. इस मिशन के लिए भारत की स्पेस एजेंसी यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिका की स्पेस एजेंसी यानी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) मिलकर काम कर रहे हैं. इन दोनों स्पेस एजेंसियों ने मिलकर एक ऐसा सैटेलाइट बनाया है, जो अंतरिक्ष में रहते हुए पृथ्वी की सतह को पहले से कहीं ज्यादा बारीकी से देख पाएंगे. इसे दूसरे शब्दों में कहें तो निसार सैटेलाइट पूरी पृथ्वी पर काफी पैनी नज़र रखेगा और उसे 3D रूप में दिखाएगा.

दरअसल, NISAR का फुल फॉर्म NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar है. यह दोनों देशों और उनकी स्पेस एजेंसियों के लिए एक ऐतिहासिक मिशन है. इस मिशन को जुलाई 2025 के अंत तक में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है, लेकिन अभी तक लॉन्च की पक्की तारीख का ऐलान नहीं किया गया है. इस सैटेलाइट को भारत के आंध्र-प्रदेश में स्थित श्रीहरिकोटा में मौजूद सतीश धवन स्पेस सेंटर (Satish Dhawan Space Centre) से लॉन्च किया जाएगा. इसे लॉन्च करने और अंतरिक्ष तक पहुंचाने के लिए ISRO का GSLV-F16 रॉकेट का उपयोग किया जाएगा.

निसार सैटेलाइट के लिए होगी ब्रिफिंग

नासा इस खास मिशन के लिए 21 जुलाई 2025 को एक प्रेस कॉफ्रेंस का आयोजन करने जा रहा है. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन 21 जुलाई 2025, सोमवार को 12 बजे EDT (भारतीय समयानुसार रात 9:30 बजे IST) किया जाएगा. इसे NASA JPL के सोशल मीडिया चैनल्स – YouTube, Facebook, X अकाउंट्स पर जाकर देखा जा सकेगा. इस मिशन में नासा की ओर से Nicky Fox, Karen St. Germain जबकि NASA JPL की ओर से Wendy Edelstein और Paul Rosen बातचीत करेंगे.

यह एक बेहद खास प्रॉजेक्ट है, जिसके लिए 1.5 बिलियन डॉलर की लागत लगाई गई है. इस मिशन के लिए पिछले दस सालों से काम किया जा रहा है और इसे भारत और अमेरिका के बीच अभी तक के सबसे बड़े वैज्ञानिक कॉलेबरेशन में से एक माना जा रहा है. इस सैटेलाइट की खासयित सिर्फ इसकी एडवांस टेक्नोलॉजी ही नहीं है, बल्कि यह ऊपर से पृथ्वी के लोगों को खेती, बाढ़ के क्षेत्रों और जंगल क्षेत्रों के साथ-साथ क्लाइमेट चेंज के बारे में कई बेहद जरूरी जानकारी शेयर करेगा.

विशेषता विवरण
वजन लगभग 3 टन (3000 किलोग्राम)
रडार एंटीना का आकार 12 मीटर चौड़ा – बहुत बड़ा और शक्तिशाली
स्कैनिंग क्षमता सेंटीमीटर स्तर तक ज़मीन की हलचल पकड़ सकता है
काम करने की स्थिति बादल, तूफान, रात और बिना रोशनी के भी काम करता है
तकनीक Synthetic Aperture Radar (SAR) – NASA का L-band + ISRO का S-band
मौजूदा सैटेलाइट्स से फर्क मौजूदा सैटेलाइट्स सूरज की रोशनी पर निर्भर हैं, NISAR नहीं
प्राकृतिक आपदाओं में मदद बाढ़, भूकंप, तूफान जैसी घटनाओं पर अंतरिक्ष से नज़र रखेगा
किसानों के लिए उपयोगी फसल की स्थिति, मिट्टी की नमी और जलवायु बदलाव की जानकारी देगा
सरकारी सेवाओं में योगदान आपातकालीन सेवाओं और नीति निर्माण में डेटा सपोर्ट
क्लाइमेट चेंज की निगरानी ग्लेशियर, जंगल, समुद्री तटों में हो रहे बदलावों को ट्रैक करेगा
डेटा की उपलब्धता पूरी दुनिया के लिए मुफ्त और ओपन एक्सेस डेटा
लॉन्च स्थल ISRO का Satish Dhawan Space Centre, श्रीहरिकोटा
लॉन्च समय जुलाई 2025 के अंत तक (संभावित)

निसार सैटेलाइट की खास बातें

  • इसमें ड्यूल रडार सिस्टम दिया गया है, जिनमें NASA का L-band और ISRO का S-band मिलकर काम करेंगे और सभी जानकारी मुहैया कराएंगे.
  • इसमें Synthetic Aperture Radar (SAR) टेक्नोलॉजी दी गई है, जो बादलों को पार करके भी जमीन पर हो रही हलचल को सेंटीमीटर के स्तर पर भी पकड़ सकेंगे.
  • यह सैटेलाइट हर 12 दिन में पूरे धरती की स्कैनिंग करेगा और नियमित रूप से हरेक हलचल या बदलावों पर भी नज़र रखेगा.
  • निसार सैटेलाइट से मिलने वाले डेटा पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों और सरकारों के लिए मुफ्त में उपलब्ध होगा.
  • नासा निसार सैटेलाइट से मिलने वाले डेटा को क्लाउड में स्टोर करेगा ताकि कोई भी आसानी से उसे चुरा ना सके.
क्षेत्र उद्देश्य
भूकंप, ज्वालामुखी ज़मीन की हलचल और दरारों की पहचान
ग्लेशियर और बर्फ की चादरें पिघलने की गति और जलवायु परिवर्तन का असर
जंगल और खेती वनस्पति की स्थिति और कार्बन चक्र की निगरानी
बाढ़ और तटीय बदलाव आपदा प्रबंधन और जलस्तर की जानकारी

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