देश में मानसून का मौसम किसानों और नेचर लवर्स के लिए एक वरदान की तरह होता है, लेकिन भारत के कुछ इलाकों में यह मौसम प्रकृति प्रेमियों के लिए दुःस्वप्न भी बन सकता है. दरअसल, हिमालय में भूस्खलन से लेकर महानगरों में बाढ़ तक, इस मौसम में बारिश अक्सर गंभीर समस्याएं पैदा करती है. अगर आप भी बारिश के मौसम (जून से सितंबर) में घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो यहा भारत की 10 खास जगहों की सूची दी गई है, जहां मानसून के दौरान जाने से बचना ही बेहतर है. बता दें, यहां दी गई जगहों की लिस्ट सरकारी सलाह और सच्ची घटनाओं के आधार पर है…
केदारनाथ और बद्रीनाथ, उत्तराखंड
केदारनाथ और बद्रीनाथ गढ़वाल हिमालय में प्रमुख तीर्थस्थल हैं. लेकिन, मानसून के मौसम में, इन तीर्थस्थलों तक जाने वाली सड़कें अचानक बाढ़ और भूस्खलन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती हैं. हाल के वर्षों में, 2013 केदारनाथ बाढ़ आपदा और बार-बार होने वाले मौसमी भूस्खलन जैसी त्रासदियों के कारण उत्तराखंड सरकार को मूसलाधार बारिश के दौरान चार धाम यात्रा को अस्थायी रूप से स्थगित करना पड़ा है. इस वर्ष भी, अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों को सलाह दी है कि यदि भारी बारिश का पूर्वानुमान हो तो वे अपनी यात्राएं स्थगित या रद्द कर दें.
मनाली, हिमाचल प्रदेश
भारत के सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशनों में से एक, मनाली में मानसून के दौरान भूस्खलन, सड़कें जाम और नदियां उफान पर रहती हैं. अटल सुरंग और रोहतांग दर्रे की सड़क भूस्खलन या बर्फ पिघलने से होने वाली बाढ़ के कारण नियमित रूप से बंद रहती है. जुलाई बता दें, 2023 में, भारी बारिश के कारण पुलों के ढहने और सड़कों के धंसने से सैकड़ों पर्यटक कुल्लू और मनाली में फंस गए थे.
चेरापूंजी और मौसिनराम, मेघालय
ये दोनों गांव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक बारिश के लिए प्रसिद्ध हैं. मानसून में, मौसिनराम और चेरापूंजी में इतनी भारी बारिश होती है कि सड़कें और रास्ते फिसलन भरे, धुंध भरे और लगभग दुर्गम हो जाते हैं. हालांकि यहां का नजारा बेहद खूबसूरत होता है, लेकिन लगातार बारिश के कारण कमजोर बुनियादी ढांचे वाले ग्रामीण इलाकों में घूमना चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरा भी हो जाता है.
मुंबई, महाराष्ट्र
भारत का आर्थिक केंद्र, मुंबई, हर मानसून के दौरान लगभग ठप्प हो जाता है. यह शहर जलभराव वाली सड़कों, रेल सेवाओं में देरी और नालों के जाम होने के लिए बदनाम है. अंधेरी, दादर, कुर्ला और सायन कुछ ऐसे इलाके हैं जहां मानसून में भारी तबाही होती है. भारतीय मौसम विभाग (IMD) मानसून के चरम पखवाड़े के दौरान मुंबई के लिए लगातार लाल चेतावनी जारी करता है.
काजीरंगा नेशनल पार्क, असम
असम में मानसून की बाढ़ ने भारत के सबसे महत्वपूर्ण वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, काजीरंगा को बुरी तरह प्रभावित किया है. 2023 में, बाढ़ ने उद्यान के 60 फीसदी से ज्यादा हिस्से को जलमग्न कर दिया था, जिससे जानवरों को पलायन करना पड़ा और पर्यटन पूरी तरह से बंद हो गया.
मुन्नार और वायनाड, केरल
हालांकि, केरल मानसून के मौसम में अपने मनमोहक बैकवाटर और हरियाली के लिए प्रसिद्ध है, फिर भी मुन्नार और वायनाड जैसे कुछ पहाड़ी जिले लैंडस्लाइड प्रोन क्षेत्र हैं. पिछले कुछ वर्षों में कुछ इलाकों में बड़े पैमाने पर लैंडस्लाइड, रोड लैंडस्लाइड और बाढ़ दर्ज की गई है. केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (केएसडीएमए) भारी बारिश के दौरान अक्सर इन इलाकों में भूस्खलन की चेतावनी जारी करता है. इसलिए, योजना बनाने से पहले अपडेट रहें.
स्पीति घाटी, हिमाचल प्रदेश
स्पीति घाटी एक रेन शैडो क्षेत्र है, लेकिन मनाली से कुंजुम दर्रे होते हुए वहां जाने वाले रास्ते, खासकर मानसून के दौरान, भूस्खलन और अचानक बाढ़ के कारण खतरनाक हो सकते हैं. हिमाचल प्रदेश पर्यटन बोर्ड आमतौर पर पर्यटकों को जून से सितंबर के दौरान स्पीति की सड़क यात्राएं आयोजित करने के विरुद्ध चेतावनी देता है.
हैवलॉक द्वीप (स्वराज द्वीप), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
ये द्वीप समुद्र तट पर छुट्टियां बिताने और स्नॉर्कलिंग के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन मानसून के दौरान तेज हवाएं, ऊंची लहरें और समुद्र उबड़-खाबड़ होता है, इसलिए वहां जल-क्रीड़ाएं खतरनाक हो जाती हैं. हैवलॉक द्वीप पर अक्सर फेरी रद्द हो जाती हैं, इसलिए एक द्वीप से दूसरे द्वीप तक यात्रा करना मुश्किल हो जाता है. भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) इस अवधि के दौरान नियमित रूप से हाई-सी एलर्ट जारी करता है.
दार्जिलिंग और कलिम्पोंग, पश्चिम बंगाल
उत्तर बंगाल का एक खूबसूरत हिल स्टेशन, दार्जिलिंग, मानसून के दौरान काफी असुरक्षित हो जाता है. सिलीगुड़ी-दार्जिलिंग और कलिम्पोंग को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग, NH-10, अक्सर भूस्खलन के कारण बंद रहता है, खासकर तीस्ता बाजार और मेल्ली के आसपास. सड़क जाम के कारण यात्री होटलों में सीमित भोजन के साथ फंस जाते हैं.
वाराणसी और पूर्वी उत्तर प्रदेश बाढ़ क्षेत्र
मानसून में, गंगा नदी वाराणसी, इलाहाबाद (प्रयागराज) और बलिया के कुछ हिस्सों को जलमग्न कर देती है. घाटों पर पानी भर जाना, सड़कों पर पानी भर जाना और ट्रेनों की धीमी गति आम समस्याएं इस मौसम में दिखाई देती हैं.