इस डिजिटल युग में, मोबाइल फोन हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है. कई लोगों के लिए, खासकर रात को सोने से पहले, मोबाइल फोन देखना एक हैबिट बन गई है. हालांकि, यह आदत हमारे शरीर के नेचुरल स्लीप साइकिल को पूरी तरह से बाधित कर देती है. इससे अगले दिन नींद की गुणवत्ता में कमी, नींद ना आना, थकान, चिड़चिड़ापन और लो कंसंट्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
आंखों पर दबाव, ब्रेन पर प्रभाव
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, रात में मोबाइल फोन का इस्तेमाल आंखों पर बहुत ज्यादा दबाव डाल सकता है. मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी हमारे दिमाग को अभी मत सोओ, जागते रहो का संकेत देती है. इससे दिमाग एक्टिव रहता है और जिसके कारण नींद नहीं आ पाती. अगर नींद लंबे समय तक बाधित रहे, तो यह हमारी याददाश्त, सही फैसले लेने की क्षमता और मानसिक स्थिरता पर गंभीर असर डाल सकता है.
युवाओं में इसका अधिक खतरा
यह आदत किशोरों में ज्यादा आम है. वे देर रात तक गेम खेलते रहते हैं और सोशल मीडिया पर चैट करते रहते हैं. इस उम्र में दिमाग अभी पूरी तरह डेवलप नहीं होता है. ऐसे समय में नींद की कमी दिमाग के विकास में बाधा डाल सकती है. इसके परिणामस्वरूप एकाग्रता में कमी, पढ़ाई में रुचि कम होना और आत्मविश्वास में कमी जैसी समस्याएं होती हैं.
दिन-रात फोन चलाने से बच्चों का दिमाग हो रहा है सुस्त! नुकसान जानकर चौंक जाएंगे आप (ETV Bharat)
छोटे बच्चों पर गंभीर प्रभाव…
छोटे बच्चों में मोबाइल फोन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. जो बच्चे रात को सोने से पहले कार्टून या वीडियो देखते हैं, वे अक्सर चिड़चिड़े और हाइपरएक्टिव हो जाते हैं. उनकी नींद का समय पूरी तरह से बिगड़ जाता है. इसका उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
मोबाइल फोन के अत्यधिक इस्तेमाल से सोशल स्किल में भी कमी आ सकती है. जो बच्चे फोन पर ज्यादा समय बिताते हैं, उन्हें दूसरों के साथ बातचीत करने और सोशल स्किल डेवलप करने में कठिनाई हो सकती है. इससे सहानुभूति और सामाजिक संकेतों की समझ में कमी आ सकती है.
मोबाइल फोन के अत्यधिक इस्तेमाल से Academic Performance खराब हो सकता है. मोबाइल फोन के कारण होने वाला ध्यान भटकाव ध्यान भटकने और प्रोडक्टिविटी में कमी का कारण बन सकता है. इसके परिणामस्वरूप ग्रेड और Academic Performance में कमी आ सकती है.
लंबे समय तक फोन को पकड़े रहने से पीठ और गर्दन में दर्द हो सकता है. यह गलत मुद्रा या फोन के वजन के कारण हो सकता है. मोबाइल फोन के लंबे समय तक इस्तेमाल से पुराना दर्द और बेचैनी हो सकती है.
समाधान, स्वस्थ जीवन...
कुल मिलाकर, रात में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने की यह आदत हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है. हमें इसे गंभीरता से लेना चाहिए और मोबाइल फोन का इस्तेमाल कम करना चाहिए. खासकर सोने से एक घंटा पहले मोबाइल फोन को पूरी तरह से अलग रखना जरूरी है. नियमित नींद का पालन करना और रात में शरीर और मस्तिष्क को पूरा आराम देना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है. यह सिर्फ आदत बदलने जैसा नहीं है, बल्कि एक स्वस्थ जीवनशैली की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है.
(डिस्क्लेमर: यह सामान्य जानकारी केवल पढ़ने के उद्देश्य से प्रदान की गई है. ईटीवी भारत इस जानकारी की वैज्ञानिक वैधता के बारे में कोई दावा नहीं करता है. अधिक जानकारी के लिए कृपया डॉक्टर या विशेषज्ञों से सलाह लें.)