नई दिल्ली, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। आयुर्वेद में कई ऐसी औषधिया हैं, जिन्हें जीवनवर्धक माना गया है। ऐसी ही एक औषधि है शतावरी। शतावरी को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है।
कहीं इसे सतावर, सतावरि, सतमूली, शतावरी और सरनोई भी कहते हैं। शतावरी महिलाओं के लिए अमृत की तरह काम करती है और पुरुषों के लिए भी उतनी ही लाभकारी है।
शतावरी एक पौधा है, जिसकी जड़े गुणों से भरपूर होती हैं। शतावरी का सेवन शरीर को अंदर से मजबूत बनाता है, महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है, और पुरुषों के लिए भी वीर्यवर्धक है। इसके अलावा, शतावरी को अन्य रोगों की रोकथाम में भी इस्तेमाल करते आए हैं। शतावरी की तासीर ठंडी और स्वाद में मधुर होती है। ठंडी तासीर होने की वजह से शतावरी शरीर के रूखेपन को कम करती है, शरीर में नमी बनाए रखती है, और हार्मोन को बैलेंस रखती है।
शतावरी की जड़ का पाउडर स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए लाभकारी है। जिन माओं को डिलीवरी के बाद दूध आने में परेशानी होती है, अगर उन्हें दूध के साथ रात के समय शतावरी पाउडर दिया जाए तो मां के शरीर में दूध बनना शुरू हो जाता है। ये प्राकृतिक रूप से माओं में दूध की क्षमता को बढ़ाती है। इसके साथ ही प्रसव के बाद की कमजोरी में भी राहत देती है।
जिन महिलाओं या लड़कियों को पीरियड में अनियमितता या हार्मोन असंतुलन की समस्या रहती है, उनके लिए भी शतावरी अमृत है। शतावरी महिलाओं में एस्ट्रोजन के स्तर में सुधार लाती है। बता दें कि महिलाओं में एस्ट्रोजन के सही स्तर की वजह से ही गर्भावस्था ठीक से हो पाती है। अगर एस्ट्रोजन का स्तर कम है तो गर्भपात होने की संभावना ज्यादा रहती है। इसके लिए सुबह खाली पेट दूध के साथ शतावरी का सेवन करना चाहिए।
वहीं जिन पुरुषों को कमजोरी महसूस होती है, शुक्राणु की कमी है या शीघ्रपतन जैसी समस्या होती है, वे भी शतावरी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए शतावरी के साथ अश्वगंधा और कौंच बीज को दूध में एक साथ उबालकर लेना चाहिए। इससे पुरुषों में वीर्यवर्धक होता है और शारीरिक कमजोरी दूर होती है।
जिन महिलाओं और पुरुषों को बार-बार यूरिन इंफेक्शन का खतरा रहता है, यूरिन में जलन होती है, या यूरिन की बूंदें अपने आप टपक जाती हैं, उनके लिए भी शतावरी का सेवन लाभकारी है। इसके लिए दूध और शतावरी रात के समय लें।
–आईएएनएस
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