उत्तराखंड में प्री SIR प्रक्रिया शुरू (PHOTO- ETV Bharat)
देहरादून: भारत निर्वाचन आयोग की ओर से देश के 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर (SIR) यानी विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम (Special Intensive Revision) चल रहा है. ऐसे में जल्द ही उत्तराखंड राज्य में भी विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू होने की संभावना है. इसके मद्देनजर, उत्तराखंड मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की ओर से प्रदेश में प्री एसआईआर की गतिविधियां शुरू कर दी गई हैं. जिसके तहत आगामी विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर शुरुआती तैयारियां की जाएंगी, साथ ही एसआईआर के दौरान मतदाताओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसको देखते हुए ‘प्रत्येक मतदाता तक पहुंच, समन्वय और संवाद’ अभियान पर काम किया जा रहा है.
बूथ स्तर पर अभियान शुरू: मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की ओर से हर मतदाता तक पहुंच बनाए जाने को लेकर बूथ स्तर पर अभियान शुरू कर दिया गया है. इस अभियान के तहत बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर), रोजाना घर-घर जाकर 30 मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं. ताकि साल 2003 से साल 2025 की मतदाता सूची से मिलान किया जा सके.
उत्तराखंड में प्री SIR प्रक्रिया शुरू (VIDEO-ETV Bharat)
| जिन मतदाताओं के नाम 2025 की मतदाता सूची में है और साल 2003 की मतदाता सूची में भी था, ऐसे मतदाताओं से कोई भी डॉक्यूमेंट नहीं लिए जाएंगे. इसका फायदा यह होगा कि 2003 और 2025 की मतदाता सूची में जिन मतदाताओं के नाम हैं, उनकी एक अलग रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी, जिससे एसआईआर के दौरान बीएलओ को ज्यादा मेहनत नहीं करना पड़ेगा. |
आखिरी बार 2003 में किया गया था एसआईआर: मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग की ओर से अलग-अलग सालों में 11 बार विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम (एसआईआर) पूरे देश में कराया जा चुका है. इसी तरह आखिरी बार साल 2003 में उत्तराखंड समेत देशभर में एसआईआर किया गया था. साल 2025 में भारत निर्वाचन आयोग ने पहले चरण में बिहार और दूसरे चरण में 12 अन्य राज्यों में एसआईआर की प्रक्रिया संचालित कर रही है. ताकि हर पात्र मतदाता को मतदाता सूची में शामिल किया जा सके.
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा जारी दिशा निर्देशों के क्रम में उत्तराखण्ड राज्य में प्री SIR गतिविधियां शुरु कर दी गई हैं। इस चरण में आगामी SIR (विशेष गहन पुनरीक्षण) को लेकर प्रारम्भिक तैयारियां की जाएंगी, साथ ही SIR के दौरान मतदाताओं को किसी प्रकार की असुविधा ना हो इसके… pic.twitter.com/VIDqDPFydZ
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) December 4, 2025
प्री एसआईआर की प्रक्रिया शुरू: प्री एसआईआर फेज में प्रदेश की वर्तमान मतदाता सूची में शामिल लगभग 40 साल तक की आयु के ऐसे मतदाता, जिनके नाम 2003 की मतदाता सूची में दर्ज थे, उनकी सीधे बीएलओ एप से मैपिंग की जाएगी. इसके साथ ही 40 साल या उससे अधिक उम्र के ऐसे मतदाता जिनके नाम 2003 की मतदाता सूची में किसी कारणवश नहीं हैं, तो उनके माता-पिता या फिर दादा-दादी के नाम के आधार पर प्रोजनी (संतान) के रूप में मैपिंग की जाएगी.
सभी जिलों में जिलाधिकारी, ईआरओ (इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर) और बीएलओ को मतदाताओं के बीच अपनी पहुंच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं. जिला एवं ईआरओ स्तर पर एक हेल्प डेस्क स्थापित की जा रही है, ताकि मतदाताओं को आसानी से मदद मिल सके. इसके अलावा, साल 2003 की मतदाता सूची www.ceo.uk.gov.in या www.voters.eci.gov.in पर देखा जा सकता है.
– डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम, मुख्य निर्वाचन अधिकारी –
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि भविष्य में होने वाले विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम से पहले ही तैयारियां शुरू कर दी है. सभी बीएलओ को रोजाना 30 मतदाताओं से बातचीत करने के निर्देश दिए गए हैं. ऐसे में अगले 1 महीने के भीतर बीएलओ प्रदेश के सभी मतदाताओं से संपर्क कर लेंगे. वर्तमान समय में जो अभियान चल रहा है, उसके तहत बीएलओ घर-घर जाकर सिर्फ इस बात को देख रहे हैं कि वह मतदाता, वहां मौजूद हैं या फिर नहीं हैं.
11 हजार से ज्यादा बूथ: अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने कहा कि राज्य में मौजूद सभी पोलिंग पार्टियों के साथ कई दौर की बैठक की जा चुकी हैं. जिस बैठक में पोलिंग पार्टियों से ये अनुरोध किया गया था कि बूथ स्तर पर अपने-अपने पार्टियों से (बूथ लेवल एजेंट) बीएलए नियुक्त कर दें. क्योंकि जब विशेष पुनरीक्षण कार्यक्रम चलाया जाएगा, उस दौरान बीएलओ के साथ बीएलए मिलकर काम करेंगे. जिससे विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम के दौरान बूथ स्तर पर जो भी काम होंगे, पार्टियों को भी उसकी जानकारी उनके बीएलए के माध्यम से होती रहेगी.
- उत्तराखंड राज्य में 11 हजार 733 बूथ हैं.
- जिसके सापेक्ष पोलिंग पार्टियों ने 4155 बीएलए ही नियुक्त किए गए हैं.
- जिसमें से एक पार्टी की ओर से 2836, दूसरी पार्टी की ओर से 1259 और तीसरी पार्टी की ओर से 60 बीएलए ही नियुक्त किए गए हैं.
हालांकि, विधानसभा चुनाव के दौरान पॉलिटिकल पार्टियां जो प्रतिनिधि नामित करते हैं, उसे बीएलए- 1 कहा जाता है. ऐसे में यही बीएलए हर बूथ पर एक बीएलए को नामित करते हैं. जिसे बीएलए- 2 कहा जाता है. इसके अलावा बीएलए- 2 को नामित करने का अधिकार सिर्फ बीएलए- 1 को ही होता है. ऐसे में मुख्य निर्वाचन कार्यालय की ओर से राजनीतिक पार्टियों से लगातार संपर्क किया जा रहा है, ताकि वो जल्द से जल्द बीएलए की नियुक्ति कर दें.
– विजय कुमार जोगदंडे, अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी –
- दिसंबर को प्रदेश के राजनीतिक पार्टियों के साथ बैठक करने जा रहे हैं. जिसमें उनके सहयोग को लेकर चर्चा की जाएगी. राजनीतिक पार्टियों की ओर से बीएलए नियुक्त करने से मुख्य निर्वाचन कार्यालय को काफी अधिक सहूलियत होती है. क्योंकि मौके पर ही शिकायतों और आपत्तियों को दूर कर दिया जाता है.
– विजय कुमार जोगदंडे, अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी –
इन मतदाताओं से नहीं लिया जाएगा डॉक्यूमेंट: विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम के दौरान बीएलओ की ओर से मतदाताओं के सत्यापन की कार्रवाई की जाएगी. ऐसे में जिन व्यक्तियों या उनके परिवार की जानकारी साल 2003 के निर्वाचक नामावली में मिल जाएगी, उनसे कोई भी डॉक्यूमेंट नहीं लिया जाएगा. ऐसे में उनको उम्मीद है कि प्रदेश में लगभग 60 से 70 फीसदी मतदाता ऐसे होंगे, जिसे कोई भी डॉक्यूमेंट नहीं लिए जाएंगे.
ऐसे में एसआईआर होने के बाद जब फाइनल ड्राफ्ट को पब्लिश किया जाएगा. उससे पहले बूथ लेवल एजेंट के साथ सूची साझा की जाएगी, ताकि पोलिंग पार्टियों की ओर से नामित बीएलए, मतदाता सूची के प्रशासन से पहले उसकी जांच लें. हालांकि, मतदाता सूची का फाइनल ड्राफ्ट पब्लिश होने के बाद भी नाम जोड़ा या घटाया जा सकेगा. इसके अलावा किसी भी मतदाता के नाम या किसी एड्रेस में कोई त्रुटि है तो उसको ठीक किया जा सकेगा.
उत्तराखंड राज्य में नेपाल और भूटान के भी तमाम लोग मौजूद हैं, जिनकी शादी देश में हुई है. ऐसे में अगर नेपाल या भूटान के रहने वाले लोगों ने भारत देश की नागरिकता ले ली है तो फिर उन्हें मतदाता सूची में नाम जोड़ने में कोई दिक्कत नहीं होगी. लेकिन अगर उन्होंने नागरिकता नहीं ली है तो उनको पहले विधिक कार्रवाई करनी होगी.
– विजय कुमार जोगदंडे, अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी –
साथ ही उन्होंने बताया कि जब तक विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम की शुरुआत नहीं होती है, तब तक किसी भी मतदाता को कोई भी डॉक्यूमेंट बीएलओ को देने की जरूरत नहीं है. वर्तमान समय में बीएलओ, जो मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं, उसका मकसद बस यही है कि बीएलओ अपने-अपने क्षेत्र में मौजूद मतदाताओं से संपर्क कर उनकी इस जानकारी एकत्र कर लें.
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