नई दिल्ली, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। डांस या नृत्य परफॉर्म करने वालों को ही इसका फायदा नहीं पहुंचता बल्कि लाभ उनको भी मिलता है जो ध्यान से इसे देखते हैं। एक जापानी रिसर्च तो कम से कम यही कहती है। इसके मुताबिक नृत्य देखने से हमारे दिमाग में कुछ हलचल होती है। ऐसी जो पूरे दिमाग में पॉजिटिव तरंग पैदा करती है। नतीजतन इमोशनल और एस्थेटिक प्रोसेसिंग बेहतर होती है।
हाल ही में यह रिसर्च प्रोजेक्ट यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो के प्रोफेसर हिरोशी इमामिज़ु, नागोया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर यू ताकागी और उनकी टीम के नेतृत्व में किया गया।
वैज्ञानिकों ने रिसर्च के जरिए जानने की कोशिश की कि डांस देखने से दिमाग पर क्या असर पड़ता है। टीम ने 14 भागीदारों को इसमें शामिल किया, जिसमें सात वो थे जिन्होंने सीखना शुरू किया था और सात वो थे जो अपनी कला में निपुण थे। इन सभी को पांच घंटे डांस वीडियो दिखाया गया और फिर इनके दिमाग को स्कैन किया गया।
इन वीडियो में 30 से ज्यादा डांसर्स ने हिप-हॉप, ब्रेकडांस, स्ट्रीट जैज और बैले सहित 60 से ज्यादा तरह के संगीत पर 10 अलग-अलग शैली के डांस किए।
रिसर्चर्स ने डांस वीडियो के एक बड़े कलेक्शन पर ट्रेन किए गए एक एडवांस्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल का इस्तेमाल किया। भागीदारों के ब्रेन डेटा का विश्लेषण करने के लिए भी उसी एआई मॉडल का इस्तेमाल किया गया।
इस अप्रोच से टीम को यह समझने में मदद मिली कि डांस मूवमेंट, संगीत की धुन, सौंदर्य और चेहरे के हाव-भाव जैसे फीचर्स इंसान के दिमाग के अंदर डांस की मैपिंग को कैसे प्रभावित करते हैं।
नतीजों से पता चला कि अपनी शैली में निपुण डांसर्स के पास हर डांस स्टाइल के लिए ज्यादा अलग और अनोखे न्यूरल मैप थे। उनके दिमाग ने शुरुआती लोगों की तुलना में मूवमेंट और संगीत पर अलग तरह से प्रतिक्रिया दी।
स्टडी में यह भी बताया गया कि जब कोई व्यक्ति डांस देखता है तो उसका दिमाग भावनात्मक और संगीतमय इशारों के साथ कोऑर्डिनेशन में काम करता है। रिसर्चर्स ने कहा कि यह कनेक्शन इस बात में अहम भूमिका निभाता है कि इंसान मूवमेंट-बेस्ड आर्ट को कैसे समझते हैं और बनाते हैं।
सबसे खास नतीजों में से एक यह था कि लंबे समय तक डांस ट्रेनिंग दिमाग के स्ट्रक्चर को बदल सकती है। यह जानकारी इस बात की गहरी समझ देती है कि लोग डांस कैसे सीखते हैं, बनाते हैं, और इमोशनली उससे जुड़ते हैं।
–आईएएनएस
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