हाईटेक इक्विपमेंट से लैस उत्तराखंड SDRF (ETV Bharat)
धीरज सजवाण की रिपोर्ट
देहरादून: एक जमाने बेसिक संसाधनों के साथ जूझती SDRF आज दुनिया के सबसे आधुनिक तकनीकों वाली हाईटेक रेस्क्यू फोर्स के रूप में पूरे देश के लिए मिशाल बन रही है. आज उत्तराखंड एसडीआरएफ हाईटेक ड्रोन और अत्यधिक इक्विपमेंट्स से लैस है.आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से एसडीआरएफ की कार्यक्षमता बढ़ी है. उत्तराखंड एसडीआरएफ के पास आज ऐसी-ऐसी मशीनरी हैं जो आसपास के राज्यों के पास भी मौजूद नहीं हैं.
आपदाओं की अग्रिम पंक्ति के प्रहरी: उत्तराखंड: विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य है. उत्तराखंड से आपदा का चोली दामन का साथ है. साल 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद प्रदेश में रेस्क्यू फोर्स की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हुई. जिसके बाद एसडीआरएफ की स्थापना की गई. आज उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स बीते कुछ सालों में हर मायने में बेहद हाईटेक और सुदृढ़ हुआ है. उत्तराखंड में आपदाओं के अलग-अलग स्वरूप है.
हाईटेक इक्विपमेंट से लैस उत्तराखंड SDRF (ETV Bharat)
मुख्य तौर पर बात करें तो फ्लड रेस्क्यू, कॉलेप्स स्ट्रक्चर रेस्क्यू और हाई एल्टीट्यूड रेस्क्यू उत्तराखंड की आपदाओं के मुख्य स्वरूप हैं. इन्हीं विशेष तरह के आपदाओं से पार पाने के लिए एसडीआरएफ ने अपने आप को पिछले कुछ सालों में सक्षम किया है. जिसके बाद आज एसडीआरएफ आपदाओं की अग्रिम पंक्ति में प्रहरी के रूप में खड़ा रहता है.

हाईटेक इक्विपमेंट से लैस उत्तराखंड SDRF (ETV Bharat)
स्कूबा सेट और वॉटर ड्रोन से अभेद अंडर वॉटर रेस्क्यू: उत्तराखंड में आपदाओं के अलग-अलग स्वरूप देखने को मिलते हैं. इन आपदाओं में सबसे ज्यादा बाढ़ और नदियों से जुड़े अभियान महत्वपूर्ण हैं. इसके लिए एसडीआरएफ के पास अब वह सभी हाईटेक उपकरण मौजूद हैं जो पानी के नीचे की दुनिया को देखने में कारगर हैं. एसडीआरएफ कांस्टेबल रविंद्र सिंह बताते हैं-

एसडीआरएफ के हाईटेक उपकरण (ETV Bharat)
फ्लड रेस्क्यू के दौरान सबसे पहले पानी के नीचे की स्थिति को जानने के लिए साइट स्कैनर का इस्तेमाल किया जाता है. यह पानी के अंदर उसी तरह से काम करता है जैसे हवा में रडार काम करता है. पानी के अंदर कोई भी ऑब्जेक्ट अगर है तो उसकी जानकारी के लिए यह सोनार सिस्टम काम करता है. इसके अलावा अंडर वाटर ड्रोन जो पानी के अंदर जाकर उस जगह के विजुअल फुटेज दिखता है. वहां की स्थिति को वास्तविक रूप से जवानों के सामने रखता है. मौके की विजुअल फुटेज देखने के बाद जवान अपना स्कूबा सेट पहनकर उस जगह पर जाते हैं. जिसके बाद वहां रेसक्यू किया जाता है. स्कूबा सेट के साथ कम्युनिकेशन सेट और ऑक्सीजन सिलेंडर भी इसका हिस्सा है. जिसकी वजह से जवान को पानी के नीचे मदद पहुंचाने के लिए ज्यादा समय मिलता है. जवान को पानी में अच्छा कंट्रोल मिले इसके लिए स्कूबा सूट और विंग भी एसडीआरएफ के पास मौजूद हैं.
रविंद्र सिंह,एसडीआरएफ कांस्टेबल
SDRF कांस्टेबल रविंद्र सिंह बताते हैं अंडरवाटर रेस्क्यू के लिए उनकी एक टीम हर टाइम तैयार रहती है. विशेष तौर पर यह टीम हरिद्वार और ऋषिकेश में डेप्लॉय रहती है. गंगा जैसी बड़ी नदी में किसी भी वक्त इसकी जरूरत पड़ने पर तुरंत एसडीआरएफ जवान अपने काम पर लग जाते हैं.

एसडीआरएफ के हाईटेक कटर (ETV Bharat)
ताजा घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया हाल ही में ऋषिकेश में गुड़गांव का एक व्यक्ति नदी में डूब रहा था. उस समय एसडीआरएफ की अंडरवाटर रेस्क्यू टीम ने उसे व्यक्ति को गंगा नदी से रेस्क्यू किया. इस रेस्क्यू के दौरान स्कूबा डाइविंग के सभी इक्विपमेंट का इस्तेमाल किया गया. इसके अलावा उन्होंने बताया अंडरवाटर ड्रोन ज्यादातर डैम एरिया में इस्तेमाल होता है. जिसकी टिहरी झील में सबसे ज्यादा संभावनाएं हैं. वहीं इसके अलावा नदियों में रेस्क्यू के लिए कायक एसडीआरएफ का बेसिक इक्विपमेंट है.

SDRF के हाईटेक उपकरण (ETV Bharat)
CSSR आपदा में हाथ में हाईटेक हथियार: CSSR (collapse structure research and rescue) आपदाएं जो विशेष तौर पर भूकंप और भूस्खलन के दौरान देखने को मिलती हैं. यहां बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें ध्वस्त हो जाती हैं. लोग उनके नीचे फंस जाते हैं. ऐसी आपदाओं में रेस्क्यू अभियान के लिए अब तक हथौड़े सब्बल, मैनुअल आरी का इस्तेमाल किया जाता था. अब SDRF के पास ऐसा इलेक्ट्रिक हथौड़ा है जो चंद मिनटों में पूरे लेंटर को तोड़ने की क्षमता रखता है.

बर्फीले हिमालय के उपकरणों (ETV Bharat)
इसी तरह से एसडीआरएफ के पास ऐसे कटर भी मौजूद हैं जो लोहा, लकड़ी और आईसीसी तीनों को काटने में सक्षम है. कई बार भूस्खलन के बाद मार्ग बाधित हो जाते हैं. बड़े-बड़े देवदार के पेड़ सड़कों को बाधित कर देते हैं. इन परिस्थितियों से निपटने के लिए बहुत ही पावरफुल कार्बाइड चेन-सॉ और विक्टिम लोकेटर कैमरे भी मौजूद हैं.

एसडीआरएफ सूट टेंट (ETV Bharat)
बर्फीले हिमालय पर इन उपकरणों से बचती हैं जानें: वहीं, इसके अलावा उत्तराखंड एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पर हाई एल्टीट्यूड रेस्क्यू की सबसे कुशल टीम है. एसडीआरएफ ने अपनी हाई एल्टीट्यूड रेस्क्यू टीम पर पिछले कुछ सालों में बहुत ज्यादा काम किया है.
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि केवल उत्तराखंड के पास पूरे हिमालय राज्यों में हाई एल्टीट्यूड रेस्क्यू के लिए सबसे अव्वल टीम मौजूद है. हाई एल्टीट्यूड रिस्क में उसके इक्विपमेंट उसके सबसे मजबूत कड़ी हैं. एसडीआरएफ के हाई इक्विपमेंट पर रेस्क्यू करने वाले हेड कांस्टेबल सूर्यकांत ने अपने उपकरणों के बारे में जानकारी दी.

क्लाइंबिंग बूट (ETV Bharat)
हमारे पास हाई एल्टीट्यूड पर माइंस टेंपरेचर में काम करने वाले सूट टेंट मौजूद होते हैं, जो एक पर्वतारोही के पास भी होते हैं. हमारे पास लाइटवेटेड टेंट मौजूद हैं. जिसमें तीन से चार लोग आसानी से रात बिता सकते हैं. 8000 फीट से ऊपर रेस्क्यू करते हुए हम अपना विशेष फेदर डांगरी शूट इस्तेमाल करते हैं. बर्फीले पहाड़ पर चढ़ने के लिए क्लाइंबिंग बूट, जिसमें क्रैम्पोन भी लगे रहते हैं, इनका इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा क्लाइंबिंग में इस्तेमाल होने वाला एसेंडर, रॉक पिटओन का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा आइसएक्स, और अन्य सभी वह उपकरण जो की बर्फीले पहाड़ों पर ऊपर जाने के लिए और नीचे उतरने के लिए जरूरी होते हैं, वह सब एसडीआरएफ के पास मौजूद हैं.
सूर्यकांत,हेड कांस्टेबल
हाई एल्टीट्यूड रेस्क्यू दल के सदस्य हेड कांस्टेबल सूर्यकांत बताते हैं कि एसडीआरएफ की एक माउंटेनियरिंग टीम 24 घंटे हेलीपैड पर तैनात रहती है. यह टीम 24 घंटे अलर्ट पर रहती है. यह टीम रेस्क्यू अभियान चलाकर लोगों की जान बचाती है.
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