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पहाड़ी इलाकों में ही क्यों बढ़ रही हैं बादल फटने की घटनाएं, विशेषज्ञों ने आने वाले वर्षों के लिए भी दी चेतावनी


पिछले कुछ दिनों से पहाड़ी राज्यों में बादल फटने की घटनाओं ने लोगों में काफी दहशत फैला दी है. इन दिनों मानसून की बारिश आफत बनकर बरस रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह बादल फटने की घटनाएं हैं, जो तबाही मचा रही हैं. हाल ही में हिमाचल प्रदेश के मंडी और जम्मू-कश्मीर के पुंछ में बादल लोगों के लिए मुसीबत बन गए हैं. जिससे कई घर तबाह हो गए हैं और जान-माल का भी काफी नुकसान हुआ है. ऐसे में हर किसी के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि बादल क्यों और कब फटते हैं और इसका धरती पर रहने वालों पर क्या असर पड़ता है…

बादल क्यों फटते हैं?
यह विनाशकारी घटना तब होती है जब बढ़ते तापमान के कारण अत्यधिक नमी वाले बादल एक जगह इकट्ठा हो जाते हैं और पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं. इससे बूंदों का भार इतना बढ़ जाता है कि बादल का घनत्व बढ़ जाता है.इन बादलों को क्यूम्यलोनिम्बस भी कहा जाता है, जो खड़े खंभों की तरह होते हैं. ये पर्वत चोटियों से टकराकर बरसते हैं, जिससे एक सीमित क्षेत्र में अचानक भारी बारिश शुरू हो जाती है.

पहाड़ी इलाकों में ही क्यों बढ़ रही हैं बादल फटने की घटनाएं, विशेषज्ञों ने आने वाले वर्षों के लिए भी दी चेतावनी (GETTY IMAGES)

बादल फटने की घटनाएं कब और कैसे होती है?
भारत में, उत्तर पूर्व, ऊपरी और मध्य हिमालय के पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटना काफी आम है. यह जून और जुलाई के महीनों में होता है जब दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवाएं अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आती हैं और मैदानी इलाकों को पार करते हुए भारत के उत्तरी पहाड़ी इलाकों की ओर बढ़ती हैं.

बादल फटने की घटना तब होती है जब नमी से भरे बादल अत्यधिक गर्म हवा के ऊपर की ओर प्रवाह के कारण वर्षा नहीं कर पाते. गर्म हवा के इस प्रवाह के कारण, वर्षा की बूंदें आकार में बड़ी हो जाती हैं और नीचे गिरने के बजाय ऊपर की ओर बढ़ती रहती हैं. इसके अलावा, हाई रिलेटिव ह्यूमिडिटी, कम तापमान और स्लो विंड स्पीड के कारण, बादलों का Condensation बिजली की गति से होता है. नीचे की गर्म हवा इन बादलों से पानी गिरने से रोकती है, और समय के साथ इन बादलों में नमी का स्तर इतना बढ़ जाता है कि यह अचानक कुछ ही मिनटों में एक सीमित भौगोलिक क्षेत्र में भारी बारिश के रूप में बरसने लगता है. बादल फटने का एक प्रमुख कारण क्यूम्यलोनिम्बस बादलों का बनना है.

Why do clouds burst? When, how and where do cloudbursts occur more often?

पहाड़ी इलाकों में ही क्यों बढ़ रही हैं बादल फटने की घटनाएं, विशेषज्ञों ने आने वाले वर्षों के लिए भी दी चेतावनी (GETTY IMAGES)

बादल फटने की संभावना कहां अधिक होती है?
दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम में बादल फटना बहुत आम है. भारत के हिमालयी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश, में इस प्राकृतिक आपदा के कारण नियमित रूप से हर वर्ष जान-माल का भारी नुकसान होता है. पहाड़ी इलाकों में इसके लिए अनुकूल परिस्थितियां आसानी से बन जाती हैं. इसी वजह से वहां ऐसी घटनाएं ज्यादा होती हैं.

विशेषज्ञों के अनुसार, क्लाइमेट चेंज के कारण आने वाले वर्षों में बादल फटने की घटनाओं में और भी ज्यादा बढ़त होने की संभावना है. पेड़ों की कटाई और बढ़ती अवैध निर्माण गतिविधियां इसके लिए जिम्मेदार हैं.

Why do clouds burst? When, how and where do cloudbursts occur more often?

पहाड़ी इलाकों में ही क्यों बढ़ रही हैं बादल फटने की घटनाएं, विशेषज्ञों ने आने वाले वर्षों के लिए भी दी चेतावनी (GETTY IMAGES)

बादल फटने का क्या प्रभाव पड़ता है?
बादल फटने की घटनाएं तबाही लाती हैं. इससे बिजली गिर सकती है, ओलावृष्टि हो सकती है और भारी बारिश हो सकती है, जिससे नदियों और नालों का जलस्तर अचानक बढ़ जाता है. इससे किनारे बसे इलाकों में जान-माल का नुकसान होता है. पहाड़ों की ढलानों से आने वाले भारी पानी के कारण लैंडस्लाइड होता है, जिससे सड़कें अवरुद्ध हो जाती हैं. पानी का तेज बहाव रास्ते में आने वाली हर चीज को नष्ट कर देता है.

(डिस्क्लेमर: यह सामान्य जानकारी केवल पढ़ने के उद्देश्य से प्रदान की गई है. ईटीवी भारत इस जानकारी की वैज्ञानिक वैधता के बारे में कोई दावा नहीं करता है. अधिक जानकारी के लिए कृपया विशेषज्ञों से सलाह लें.)

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