नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय सब्सिडी वाले लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की बिक्री पर होने वाली हानि की भरपाई के लिए सरकारी तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के लिए मुआवजे को अंतिम रूप देने के करीब है. ये मनीकट्रोल की रिपोर्ट है. रिपोर्ट के मुताबिक मुआवजा पैकेज का वित्तपोषण एक्साइज ड्यूटी बढ़ोतरी से प्राप्त राशि से होने की उम्मीद है और इसे भारत की संचित निधि के माध्यम से भेजा जाएगा.
बता दें कि पेट्रोलियम एक्साइज पर एक्साइज ड्यूटी का यूज आमतौर पर सामान्य राजस्व उद्देश्यों के लिए किया जाता है. कुछ मामलों में सरकार जमा के एक हिस्से को तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) की सहायता के लिए पुनर्निर्देशित कर सकती है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि वैश्विक मूल्य अस्थिरता से उपभोक्ताओं को बचाने का राजकोषीय बोझ आंशिक रूप से खर्च बजट पर तत्काल दबाव डाले बिना प्रणाली के भीतर समाहित हो जाए.
तेल कंपनियां सरकारी परिवार का हिस्सा
तेल विपणन कंपनियों के बकाया पर विचार करने के लिए खर्च वित्त समिति (ईएफसी) की प्रमुख बैठकें मार्च और मई में पहले भी हो चुकी हैं. केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल दोनों पर एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है. यह अब अंतिम चरण में है. तेल कंपनियां आखिरकार सरकारी परिवार का हिस्सा हैं. इसलिए सरकार नहीं चाहती की कंपनियां अकेले ही नुकसान उठाएं. इसलिए जल्द ही मुआवजा दिया जाएगा.
हालांकि सरकार ने अभी तक औपचारिक रूप से मुआवजे की राशि की घोषणा नहीं की है, लेकिन उन्होंने पुष्टि की कि इसका वित्तपोषण एक्साइज ड्यूटी संग्रह के माध्यम से किया जाएगा, ताकि उपभोक्ताओं के लिए ईंधन मूल्य के झटकों को झेलने वाली तेल विपणन कंपनियों को सहायता दी जा सके.
सरकार से मुआवजे की मांग
अंतरराष्ट्रीय ईंधन की ऊंची कीमतों के कारण, तेल विपणन कंपनियों को अप्रैल-दिसंबर 2024 के दौरान लगभग 30,000 करोड़ रुपये की संचयी एलपीजी अंडर-रिकवरी का सामना करना पड़ा. वित्तीय दबाव को देखते हुए तेल मंत्रालय ने बजट 2025 से पहले वित्त मंत्रालय से संपर्क किया था और इन नुकसानों को कम करने के लिए मुआवजे की मांग की थी.
सरकार ने पहले भी वैश्विक अस्थिरता के बावजूद एलपीजी की कीमतों को स्थिर रखने से होने वाले नुकसान के लिए तेल विपणन कंपनियों को मुआवजा दिया है. अक्टूबर 2022 में, उसने वित्त वर्ष 22 में हुई अंडर-रिकवरी के लिए एकमुश्त मुआवजे के रूप में 22,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी.
पहले जो आई थी खबर
एलपीजी घाटे को कम करने के लिए तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) – हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसी) एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में 50 रुपये की बढ़ोतरी के माध्यम से वित्त वर्ष 26 में 9,000 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी में हैं. ये सीएनबीसी-टीवी 18 की रिपोर्ट है.
अगर गैस की कीमतें ऐसी ही रहती हैं और एलपीजी सिलेंडर में कोई मूल्य बढ़ोतरी नहीं होती है, तो वित्त वर्ष 26 में ओएमसी को वित्त वर्ष 25 में हुए नुकसान की पुनरावृत्ति देखने को मिल सकती है.
वहीं, तेल विपणन कंपनियों को वित्त वर्ष 2025 में एलपीजी से हुए 41,338 करोड़ रुपये के नुकसान की भरपाई के लिए, सरकार ने पैसे जुटाने के लिए पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये की बढ़ोतरी की है. इस कदम से अनुमानित 32,000 करोड़ रुपये की राशि सरकारी खजाने में जाएगी.