लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (PTI)
नई दिल्ली : लंबी चर्चा के बाद लोकसभा ने बुधवार को केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 को पारित कर दिया. इसमें तंबाकू उत्पादों पर जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर (सेस) समाप्त होने के बाद समान कर बोझ रखने के लिए उत्पाद शुल्क लगाने का प्रावधान है.
विधेयक में बताया गया है कि तंबाकू उत्पादों, जैसे सिगरेट, चबाने वाला तंबाकू, सिगार, हुक्का, जर्दा और सुगंधित तंबाकू पर लगाए जा रहे जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर को हटाकर उसकी जगह उत्पाद शुल्क लगाया जाए. इस समय तंबाकू पर 28 प्रतिशत जीएसटी के साथ अलग-अलग दरों पर उपकर लगता है. इसमें अपरिष्कृत (कच्चे) तंबाकू पर 60–70 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाने का प्रस्ताव है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोविड के दौरान राज्यों को जो राजस्व घाटा हुआ, केंद्र सरकार उसे पूरा करेगी और इसे बहुत जल्द पूरा कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि कुछ हफ्तों के भीतर ही इसे चुका दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसे चुकाने के बाद मुआवजा उपकर लेना रोक दिया जाएगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि एक्साइज ड्यूटी फिर से केंद्र सरकार के पास आए, हम इसे फिर से लगाएं और फिर इसे राज्यों के बीच बांटेंगे. इस बिल पर बहस के दौरान कांग्रेस सांसद ने इसे सरकार के खजाने को भरने वाला बताया. हालांकि, वित्त मंत्री ने उनकी इस दलील का प्रतिवाद किया.
कांग्रेस सांसद शशिकांत सेंथिल ने यह आरोप लगाया. उन्होंने विधेयक को गुमराह करने वाला बताया. सेंथिल ने कहा कि यह सरकार का बिना सोच विचार वाला अस्थायी फैसला है. उन्होंने कहा कि सरकार ने जनता के स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखा है.
उनकी बातों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि उन्हें उनके बयान पर गहरी आपत्ति है. वित्त मंत्री ने कहा, “मुझे इस बयान पर गहरी आपत्ति है कि केंद्र अपने खुद के ऋण की भरपाई कर रहा है. मुआवजा उपकर जीएसटी परिषद की अनुमति से केंद्र के उस कर्ज की भरपाई के लिए लिया गया, जिससे राज्यों की व्यवस्था का ध्यान रखा गया. उस राजस्व के लिए जो कोविड के दौरान अर्जित नहीं किया जा सका.”
वित्त मंत्री ने कहा कि यह फैसला जीएसटी परिषद का है और इसके सदस्य राज्यों के वित्त मंत्री हैं. उन्होंने कहा कि आपको जीएसटी परिषद जैसी संवैधानिक संस्था पर भरोसा करना चाहिए. सेंथिल पर बरसते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सदन में बोलने से पहले कम से कम आप तथ्यों की जांच पड़ताल कर लिया करें, अन्यथा सदन को गुमराह न करें.
इस बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सेंथिल भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी हैं.
उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 में संशोधन वाले विधेयक को चर्चा और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जवाब के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. वित्त मंत्री ने कहा कि तंबाकू और इसके उत्पादों पर उत्पाद शुल्क लगाने से जीएसटी क्षतिपूर्ति कर समाप्त करने के बाद भी कर का बोझ समान रहेगा.
उन्होंने कहा कि क्योंकि जीएसटी कानून में अधिकतम कर दर 40 प्रतिशत तय है, इसलिए यदि जीएसटी उपकर हटा दिया जाता है और उत्पाद शुल्क नहीं लगाया जाता है तो तंबाकू पर कुल कर बोझ वर्तमान स्तर से कम हो जाएगा. उन्होंने कहा, “यह सुनिश्चित करने के लिए कि कर बोझ (इंसिडेंस) जीएसटी मुआवजा उपकर के दौरान जितना था, उससे कम न हो, हम यह कर लेकर आ रहे हैं. एक तरह से हम कह रहे हैं कि कर बोझ कम होने से सिगरेट सस्ती नहीं होनी चाहिए.”
वित्त मंत्री ने बताया कि जुलाई 2017 में जिस समय जीएसटी को लागू किया गया था, उस समय यह भी कहा गया था कि नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा उपकर तंत्र बनाया जा रहा है. इसकी समय सीमा पहले 2022 और बाद में बढ़ाकर 31 मार्च, 2026 कर दी गई. इस अंतराल में कलेक्टेड अमाउंट का उपयोग कोविड काल में राज्यों की जीएसटी कमी की भरपाई के लिए केंद्र द्वारा लिए गए 2.69 लाख करोड़ रुपये के ऋण के पुनर्भुगतान में किया जा रहा है.
वित्त मंत्री ने साफ कर दिया कि हम कोई नया कानून नहीं ला रहे हैं और न ही कोई एक्स्ट्रा टैक्स लगा रहे हैं. उन्होंने उन आशंकाओं को भी खारिज कर दिया, जिसमें कुछ सदस्यों ने कहा था कि यह एक उपकर है, जिसका लाभ केंद्र को ही मिलेगा. वित्त मंत्री ने कहा कि यह कोई भी उपकर नहीं है, बल्कि एक्साइज ड्यूटी है और यह डिविसिबल पूल में जाएगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे देशों में सिगरेट पर खुदरा मूल्य के अनुसार बोझ 80 से 85 फीसदी तक है, जबकि भारत में इस समय यह 53 प्रतिशत ही है. उन्होंने कहा कि डब्लूएचओ के मानक के अनुसार इसे 75 फीसदी होना चाहिए.
तंबाकू उत्पादक किसानों को लेकर कुछ सदस्यों की चिंताओं पर वित्त मंत्री ने कहा कि फसल विविधीकरण योजना के तहत 10 बड़े तंबाकू उत्पादक राज्यों में 2015 से तंबाकू किसानों को वैकल्पिक फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. उन्होंने तेलंगाना में मिर्च, ओडिशा में सब्जी और कर्नाटक में सोयाबीन तथा गन्ना जैसी फसलों के लिए तंबाकू किसानों को सहायता देने संबंधी सरकार के प्रयासों का जिक्र किया. सीतारमण ने कहा, “बीड़ी श्रमिकों के रोजगार पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि उसकी दर वैसे ही है. एक पैसे की बढ़ोतरी नहीं की गई है.”
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