देहरादून: उत्तराखंड सरकार, सहकारिता विभाग में पारदर्शिता, तकनीक, और स्थानीय सहभागिता पर जोर दे रही है. जिसके तहत निर्णय लिया गया है कि सहकारिता के नियमावली में न सिर्फ बदलाव किया जाएगा बल्कि 5 नए सहकारी संस्थाओं की भी स्थापना की भी जाएगी. उत्तराखंड सहकारिता विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला (सहकार मंथन- 2025) के समापन के दौरान विभागीय मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में व्यापक सुधार के लिए सहकारी अधिनियम, नियमों में बदलाव किया जायेगा ताकि सहकारी व्यवस्था को फ्यूचर ओरिएंटेड और पारदर्शी बनाया जा सके.
सहकारिता मंत्री ने कहा उत्तराखंड में सहकारिता अब केवल बैंकिंग तक सीमित नहीं है बल्कि, एक सामाजिक-आर्थिक आंदोलन बन रही है. जिसके लिए पारदर्शिता, तकनीक और स्थानीय सहभागिता जरूरी है. प्रदेश में 670 पैक्स समितियां हैं. जिनमें 11 लाख सदस्य रजिस्टर्ड हैं. 10 जिला सहकारी बैंक और 1 राज्य सहकारी बैंक में करीब 19 लाख खाताधारक हैं. यानी 30 लाख लोग सहकारिता व्यवस्था से जुड़े हैं. यह राज्य की कुल जनसंख्या का करीब 30 फीसदी है.
ऐसे में 31 दिसंबर 2025 तक “कोऑपरेटिव ड्राइव” के तहत एक लाख नए सदस्य बनाए जाएंगे. इसके साथ ही एक लाख नए बैंक खाते खोले जाएंगे. विभाग में प्रमोशन-ट्रांसफर अब अधिकारियों/कर्मचारियों के प्रदर्शन के आधार पर किए जाएंगे. सहकारी बैंकों में ट्रांसफर नीति लागू है. वर्किंग स्टाइल में बदलाव के लिए निर्देश जारी किए गए हैं. प्रदेश की 6500 सहकारी समितियों में से लगभग 1500 सहकारी समितियां निष्क्रिय हैं. ऐसी समितियों को समाप्त करने की कार्रवाई जल्द ही शुरू की जाएगी. साथ ही उनका पुनर्गठन किया जाएगा.
पंचायत चुनाव के दृष्टिगत लागू आदर्श आचार संहिता के समाप्त होने के बाद अन्य जिलों में सहायक निबंधक उप निबंधक, संयुक्त निबंधक स्तर पर अभियान संचालित किया जायेगा. पहले प्रथम चरण में 24 जुलाई को हरिद्वार और आचार संहिता के बाद अन्य सभी जिलों में सुधार और निरीक्षण अभियान चलाया जाएगा. पहली बार लिखित परीक्षा के जरिए 350 सचिवों की नियुक्ति की जाएगी. इस प्रक्रिया का ड्राफ्ट एक सप्ताह में तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं. उत्तराखंड में सहकारिता के पांच नए आधुनिक मॉडल शुरू किए जाएंगे. जिसमें मेडिकल को- ऑपरेटिव, युवा सहकार, वन सहकारिता, टूरिज्म कोऑपरेटिव और मल्टीनेशनल फिशरीज कोऑपरेटिव शामिल हैं.