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धराली आपदा: '147 शव दबे, जिम्मेदार चुनौतियों से बचते हैं', कोठियाल के सवाल, बीजेपी बोली- देखकर रखें अपनी बात


बीजेपी नेता अजय कोठियाल का धराली आपदा पर बड़ा बयान. (ETV Bharat)

धीरज सिंह सजवाण

देहरादून: इसी साल पांच अगस्त को उत्तरकाशी जिले के धराली में भीषण आपदा आई थी. इस आपदा में पूरा धराली बाजार मलबे के ढेर के नीचे दब गया था. अब इस आपदा को लेकर बीजेपी नेता व रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल का बयान आया है, जिससे सियासी संग्राम मच गया है. अजय कोठियाल का बयान जहां सरकार को असहज करने वाला है, तो वहीं कांग्रेस के लिए सरकार को घेरने वाला है.

दरअसल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीजेपी नेता और नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIM) के पूर्व प्रिंसिपल रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल को आपदा के बाद धराली को फिर से खड़ा करने की बड़ी जिम्मेदारी दी थी. इसके बाद अजय कोठियाल को धराली भेजा गया. अब उन्हीं के एक बयान ने सरकार को मुश्किल में डाल दिया है. अजय कोठियाल ने इस बयान की वजह से सरकारी घिरती हुई नजर आ रही है.

बीजेपी नेता अजय कोठियाल ने धराली आपदा के राहत कार्यों को लेकर बड़ा बयान दिया (ETV Bharat)

हुआ ये कि अजय कोठियाल के अपने फेसबुक पर खुद का एक वीडियो पोस्ट किया है. ये वीडियो एक बैठक का है. देहरादून में UCOST द्वारा आयोजित ‘World Summit on Disaster Management’ पर चर्चा के दौरान कोठियाल ये बातें कह रहे हैं. इस वीडियो में अजय कोठियाल धराली आपदा पर अधिकारियों से बात कर रहे हैं. वीडियो में अजय कोठियाल कह रहे हैं कि धराली में आज भी 147 डेड बॉडी मलबे के नीचे दबी हुई हैं. ऐसा नहीं है कि उन डेड बॉडी को निकाला नहीं जा सकता है.

अपनी पोस्ट में कोठियाल लिखते हैं कि, उत्तरकाशी जिले के धराली में हुई बदहाली हालत हमारी नकारात्मक सोच का उदाहरण है. चार महीने बाद भी वहां से हालात खराब हैं. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा उन्हीं पीड़ितों को भुगतना पड़ता है, जो पहले ही आपदा की मार से बुरी तरह टूटे हैं. कोठियाल ने उन आपदा प्रबंधन तंत्र के ‘जिम्मेदार अधिकारियों, जियोलॉजिस्ट, साइंटिस्ट्स, और पर्यावरण विशेषज्ञों और इंस्टिट्यूशंस’ पर सवाल उठाए जो पुनर्वास के सही रास्ते निकालने के बजाय चुनौतियों से बचने का बहाना खोजते हैं.

आपदा के बाद धराली में एक भी काम नहीं हुआ: अजय कोठियाल ने यहां तक कहा है कि पांच अगस्त के बाद धराली में कोई काम नहीं हुआ है. वहां के लिए एक कोशिश तो की जाए. काम से उनका मतलब निर्माण कार्य से नहीं है, बल्कि मबले में दबे हुए घरों की खुदाई से है.

सिस्टम की खोली पोल: अजय कोठियाल ने सिस्टम की पोल खोलते हुए कहा कि धराली आपदा से बाद वहां चार साइंटिस्ट गए थे. वो खुद नीचे रहे. उन्होंने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के दो इंस्ट्रक्टर को ऊपर भेजा (जहां से आपदा आई थी). वहां ऊपर उन्हीं से फोटो खिंचवाई और उसी पर अपनी रिपोर्ट बना दी. सुनने में आया है कि वो रिपोर्ट सरकार को दी जाने वाली है और उसी रिपोर्ट के आधार पर डिसीजन आएगा कि धराली रहने लायक नहीं है.

मैंने एनआईएम में रहकर केदारनाथ का कंस्ट्रक्शन किया. ये मैंने अकेला नहीं किया, बल्कि धराली के लड़के ही मेरे साथ केदारनाथ गए थे. आज वही लड़के मुझे देख रहे हैं कि मैं उनकी आवाज नहीं उठा सकता. आपदा के कारण पहाड़ों को नहीं छोड़ा जा सकता है. हम ये सोचकर चल रहे हैं कि धराली से बॉडी को नहीं निकाल सकते हैं, जबकि पास में ही आर्मी के भी तो 10 लोग दबे थे. उन्होंने सात को निकाल लिया. हम 147 में से एक को भी नहीं निकाल पाए, ये कैसे हो सकता है? अभी भी कई लोग धराली में अपनों की तलाश में भटक रहे हैं. मलबे में दबे अपने लोगों को ढूंढ रहे हैं.
– अजय कोठियाल, बीजेपी नेता –

कोठियाल आगे कहते हैं कि, हम आपदा को ऐसे नहीं ले सकते कि जो सुन लिया वो हो गया. हमें पूरा इतिहास देखने की जरूरत है. हम हिमालय के रहने वाले लोग हैं. हम अपने घर को नहीं छोड़ सकते. अगर सरकार की ओर से ऐसा फैसला लिया गया तो वहां रहने वाले लोग नीचे आ जाएंगे. पहले ही पहाड़ खाली हो रहे हैं और हम ऊपर से पलायन का कारण बना रहे हैं. आज साइंस और साइंटिस्ट का एडवांटेड लेना चाहिए, उनकी मदद से हमें ये देखना चाहिए कि हम आपदाओं से लड़ेंगे कैसे और वहां कैसे रहेंगे. ऐसा नहीं करके हम अपना ही नुकसान कर रहे हैं.

बड़ा सवाल: सवाल ये है कि अजय कोठियाल ने धराली आपदा में 147 लोगों के मलबे में दबे होने की बात कही है, लेकिन सरकार की तरफ से जो आंकड़ा जारी किया गया वो 53 लोगों का ही था. क्या सरकार ने मलबे में दबे लोगों की सही आंकड़ा नहीं बताया. यही कारण है कि अजय कोठियाल का ये बयान सरकार के लिए मुसीबत और विपक्षी दल कांग्रेस के लिए मुद्दा बन गया है.

कांग्रेस ने सरकार को घेरा: अजय कोठियाल के बयान पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल की भी प्रतिक्रिया आई. उन्होंने कहा कि अजय कोठियाल ने धराली आपदा में सरकार के राहत कार्यों की पोल खोल कर रखी दी है. अजय कोठियाल को ऐसे क्षेत्रों में काम करने के अच्छा खासा अनुभव रहा है.

गणेश गोदियाल ने कहा कि अजय कोठियाल ने बताया कि किस तरह के धराली आपदा में मलबे के नीचे 150 के करीब लोग दबे हुऐ हैं, जिन्हें निकालने का प्रयास नहीं किया. सरकार ने मलबे के नीचे दबे हुए लोगों के ऊपर ही सड़क बनाकर खोल दी. ये आरोप न सिर्फ आपराधिक बल्कि अमानिवय भी है. इसको स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

मैं याद दिलाना चाहता हूं कि 2013 की आपदा में तत्कालीन मुख्यमंत्री जिन्हें पूरा राज्य जनता है, उन्हें कांग्रेस हाईकमान ने सिर्फ इसीलिए हटाया, क्योंकि कांग्रेस हाईकमान को लगा की आपदा के दौरान उन्होंने अपने फर्ज को ईमानदारी से नहीं निभाया. आज स्थिति फिर वैसी ही है. अजय कोठियाल के बोलने के बाद ये बात साफ हो चुकी है कि सरकार ने धराली में आपदा में राहत के कार्यों को इस तरह किया कि तमाम सबूत मिटाए जा सके.
– गणेश गोदियाल, प्रदेश अध्यक्ष, उत्तराखंड कांग्रेस –

गणेश गोदियाल ने बताया कि चार दिसंबर वो अपनी पार्टी के नेताओं के साथ धराली जाएंगे और वहां के लोगों से बात करेंगे. इसके बाद वहां की एक रिपोर्ट बनाकर सरकार को देंगे और उम्मीद करेंगी कि सरकार पीड़ितों तक मदद पहुंचाए.

बीजेपी का बयान: वहीं, अजय कोठियाल को बयान के बाद जिस तरह से कांग्रेस ने सरकार को घेरा है, उस पर बीजेपी का भी बयान आया है.

अगर बीजेपी नेता की ओर कोई बात कही जाएगी तो निश्चित तौर पर कांग्रेस उस पर बोलेगी भी. राहत कार्यों में कहीं पर कोई कमी रही है तो उस पर कांग्रेस का सवाल उठाना लाजमी है और मैं गलत नहीं कह सकता, लेकिन मैं इतना कहूंगा कि अजय कोठियाल की भी समझ में आ गया होगा कि बात कहां रखनी चाहिए.
– विनोद चमोली, बीजेपी प्रवक्ता, उत्तराखंड –

सरकारी आंकड़ों में 53 लोग लापता: उत्तरकाशी जिला आपदा प्रबंधन से मिली अधिकृत सूचना के अनुसार, धराली आपदा के दौरान शुरुआत में 69 लोग गुमशुदा रिपोर्ट किए गए थे. इसके बाद कई बिहार और नेपाल के लोगों के मिलने की बाद में पूछताछ हुई और आंकड़ा घटकर 53 हो गया. इसके अलावा बरामद किए गए शवों की बात करें तो धराली आपदा में कुल चार शव अब तक बरामद किए गए हैं, जिसमें से एक व्यक्ति का शव धराली में ही पहले दिन बरामद किया गया था. वहीं तीन शव आर्मी कैंप से अब तक बरामद किए गए हैं. जबकि अजय कोठियाल का कहना है कि 147 लोग मलबे के नीचे दफ्न हैं.

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