देहरादून (उत्तराखंड): हेली सेवाओं को लेकर उत्तराखंड में सबसे ज्यादा फ्लाइंग केदारनाथ वैली में होती हैं. ये वो हवाई मार्ग है जो देशभर में सबसे ज्यादा संवेदनशील माना जाता है. खास बात ये है कि अकसर यहां हवाई दुर्घटनाएं या इमरजेंसी लैंडिंग भी देखने को मिलती हैं, जो इस रूट को लेकर चिंताएं बढ़ाती हैं. इसी को देखते हुए अब इस रूट पर इसरो की मदद से तकनीकी अपडेट्स के प्रयास शुरू किया जा रहे हैं, ताकि ऐसी दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके.
केदारघाटी में पल-पल बदलता है मौसम: केदार वैली में मौसम को समझना बेहद मुश्किल है. कब इस क्षेत्र में अचानक तेज धूप के बीच घने बादल छाने लगे और कब तेज बारिश मौसम को पूरी तरह से बदल दे, कुछ कहा नहीं जा सकता. यही स्थिति इस पूरी वैली में हेली उड़ान को लेकर अनिश्चितता भी पैदा करती है. स्थिति यह है कि कई बार साफ मौसम में उड़ने वाला हेली अगले 7 मिनट में केदारनाथ तक पहुंचने से पहले ही बादलों के बीच फंस जाता है और कई बार यही हालत पायलट के लिए मुश्किलें खड़ी कर देते हैं.
केदारनाथ में हेली सेवा के लिए इसरो से मदद लेगा यूकाडा (Video-ETV Bharat)
मौसम बनता है हेली उड़ान के लिए बाधक: वैसे तो इसके लिए मौसम विभाग हेली सेवाओं को लेकर अपडेट देता है, लेकिन लोकल मौसमीय कारणों के चलते अचानक होने वाले बदलाव को कई बार मौसम विभाग भी उतनी जल्दी हेली सेवाएं उड़ाने वाली कंपनियों तक नहीं पहुंच पाता. बस यही स्थिति बीच केदार वैली में मुसीबत बन जाती है और अचानक आए बादल के चलते पायलट का निर्णय इस यात्रा की सुरक्षा के लिए निर्णायक बन जाता है.
केदार वैली में इसरो की मदद से कई तकनीक पायलट को फ्लाइंग में मदद कर सकती है. इसमें अलग-अलग डाटा और मॉडल के अलावा कुछ हाईटेक सिस्टम भी उपयोग में लाये जा सकते हैं.
दुर्गेश पंत, निदेशक, यूसेक
इसरो की मदद से हवाई सेवा को सुरक्षित बनाने की कोशिश: हाल ही में इसरो के चेयरमैन समेत तमाम वैज्ञानिक भी उत्तराखंड पहुंचे थे, जिसमें विभिन्न विभागों के लिए सैटेलाइट इमेजरी के उपयोग को कैसे अधिक उपयोगी बनाया जाए इस पर भी चर्चा की गई. इस दौरान हवाई सेवाओं में इसरो कैसे मदद कर सकता है, इस पर भी मंथन हुआ था. दरअसल, इसरो की सैटेलाइट बेस्ड तकनीक को फ्लाइंग के दौरान उपयोग कर उड़ान क्षेत्र की बेहतर मैपिंग पर काम होने जा रहा है. इससे केदार वैली में अचानक बादल आने के बाद भी पायलट सही डायरेक्शन में हेली को फ्लाई कर पाए, इसके लिए इसरो के साथ मिलकर प्रयास किए जाएंगे. यही नहीं मौसम को लेकर मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट से कैसे और अधिक मदद मिल सकती है और इसरो से पहले ही इमेज के जरिए कैसे पता चल सकता है, इसपर भी बात की जा रही हैं.
इसरो के साथ मिलकर केदार वैली में हवाई सेवा को सुरक्षित बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं. इस मामले में सचिव सिविल एविएशन की तरफ से निर्देश जारी किए गए थे, हालांकि अभी इस मामले में विस्तृत चर्चा होनी बाकी है. फिलहाल कोशिश यह है कि फ्लाइंग करने वाले पायलट को तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बादल आने की स्थिति में और अधिक जानकारी मिल सके. आशीष चौहान, सीईओ, यूकाडा
मौसम को लेकर सटीक जानकारी: इसरो के साथ विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसेक) के निदेशक दुर्गेश पंत कहते हैं कि ऐसा मुमकिन है कि हवाई सेवा में इसरो की मदद ली जाए. ऐसा करने से इसरो की मदद के जरिए केदार वैली में नेविगेशन को लेकर सटीक स्थिति की जानकारी पायलट को मिल सकती है. हालांकि वह यह भी कहते हैं की मौसम विभाग के पास मौसम से जुड़ी तमाम जानकारी और डाटा उपलब्ध होता है, लेकिन स्लोप्स और माइक्रो क्लाइमेट कंडीशन के लिए और अधिक प्रयास किया जा सकते हैं. इसमें खास तौर पर सिंथेटिक विजन सिस्टम का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. उधर पायलट के लिए सिचुएशनल अवेयरनेस को लेकर डाटा भी इसरो से उपलब्ध हो सकता है. यहां डिजिटल एलिवेशन मॉडल केदार वैली का बेहतर रेजोल्यूशन के साथ उपलब्ध होता है तो यह भी बेहद कारगर साबित हो सकता है.
केदारनाथ वैली में हवाई सेवा बेहद कठिन है. यहां 90% मौसम खराब ही रहता है, ऐसे में सरकार यदि कोई ऐसा सेटअप केदार वैली में तैयार करें, जिससे की मौसम को लेकर जल्द से जल्द सटीक अपडेट मिल सके तो इससे यहां सुरक्षित हेली सेवा दी जा सकेगी.
अंकित वर्मा सीईओ, एयरकॉप्टर कंपनी
केदारनाथ के लिए हवाई सेवाएं: उत्तराखंड में अधिकतर हवाई दुर्घटनाएं रुद्रप्रयाग जिले में ही होती हैं और इनमें भी केदारनाथ वैली सबसे मुश्किल फ्लाइंग के चलते दुर्घटनाओं की वजह बनती है. यहां चारधाम यात्रा सीजन के दौरान 9 हवाई कंपनियां केदारनाथ तक श्रद्धालुओं को पहुंचती हैं. एक दिन में मौसम खुला होने पर हेलीकॉप्टर कई बार उड़ान भरते हैं. पिछले महीने ही रुद्रप्रयाग में हेलीकॉप्टर क्रैश होने के चलते सात लोगों की जान चली गई थी. यह हेलीकॉप्टर केदारनाथ रूट पर चल रहा था. अधिकतर दुर्घटनाएं मौसम खराब होने से मानी जाती रही हैं. इससे पहले जून महीने में ही एक हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग सड़क पर ही करवानी पड़ी थी. इस दौरान हेलीकॉप्टर क्षतिग्रस्त हो गया था.
वहीं लिंचोली में मंदाकिनी नदी के पास अचानक हेलीकॉप्टर को तकनीकी खराबी आने के कारण इमरजेंसी लैंड किया गया था. इसमें 6 लोगों की जान बाल बाल बची थी. साल 2023 में भी केदारनाथ के पुराने पैदल मार्ग पर इसी तरह एक हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग करवानी पड़ी थी. साल 2022 में भी इसी तरह गरुड़चट्टी के पास एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था, जिसमें सात लोगों की जान गई थी. इस तरह देखा जाए तो केदार वाली के लिए हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग या उसका दुर्घटनाग्रस्त होना कोई नई बात नहीं है.
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