देहरादून: उत्तराखंड से सिविल एविएशन को लेकर रीजनल कॉन्फ्रेंस की शुरुआत की गई है. वैसे तो देश भर में कुल पांच कॉन्फ्रेंस होनी हैं, लेकिन नॉर्दर्न स्टेट्स के लिए उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में इससे जुड़ी कॉन्फ्रेंस की गई है. इस दौरान अब तक हुए प्रयासों को बताने के साथ ही आने वाले समय में जरूरी बातों को भी कॉन्फ्रेंस में रखा गया.
उत्तराखंड समेत देश भर में डोमेस्टिक हवाई सेवाओं को बढ़ाने के प्रयास किया जा रहे हैं. कोशिश यह है कि ज्यादा से ज्यादा क्षेत्र को हवाई मार्ग से जोड़ा जाए, ताकि इन क्षेत्रों में पर्यटकों या आम लोगों की भी पहुंच आसान की जा सके. नॉर्दर्न रीजन कांफ्रेंस के दौरान उत्तर भारत के कुल सात राज्यों के मिनिस्टर या प्रतिनिधि शामिल हुए जबकि तीन केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने भी इसमें हिस्सा लिया.
केंद्रीय मंत्री राम मोहन नायडू ने कहा कि पिछले 10 सालों में डोमेस्टिक स्तर पर भी सिविल एविएशन को 10% तक की ग्रोथ मिली है. बड़ी बात यह है कि भारत दुनिया का तीसरा डोमेस्टिक सिविल एविएशन नेटवर्क वाला देश बन गया है. इससे साफ है कि राज्यों में तेजी से उड़ान योजना समेत विभिन्न प्रयासों के तहत क्षेत्रीय हवाई सेवाओं को बढ़ाया जा रहा है.
कॉन्फ्रेंस के दौरान नागरिक उड्डयन से जुड़े विशेषज्ञों ने भी प्रस्तुतीकरण देते हुए इसमें विभिन्न संभावनाओं की भी जानकारी दी. बताया गया कि देश में अब तक उड़ान योजना के तहत 625 RCS रूट कनेक्ट किया जा चुके हैं. इस योजना का लाभ अब तक 1.53 करोड़ से ज्यादा यात्री ले चुके हैं. इतना ही नहीं अगले 10 सालों में 4 करोड़ यात्रियों को हवाई सेवा का लाभ देने के लिए उड़ान योजना को अपडेट भी किया जाएगा. कल 120 क्षेत्र को इस योजना के तहत आपस में जोड़ा जाएगा.
कॉन्फ्रेंस में सिविल एविएशन में काम करने वाले प्रशिक्षित कर्मितों से भी बात की गई. इसमें पायलट, टेक्नीशियन, ग्राउंड स्टाफ और एयर ट्रैफिक कंट्रोल तक में मानव संसाधन की जरूरत को प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा पूरा किए जाने की बात कही गईय जानकारी दी गई की हवाई अड्डों की संख्या 162 से बढ़कर 2047 तक 350 से 400 तक किए जाने के प्रयास किया जा रहे हैं. जबकि इसके रखरखाव के लिए 45000 से ज्यादा टेक्नीशियन की भी जरूरत होगी. इसके लिए राज्यों को अपने प्रशिक्षण संस्थान खोलने होंगे.
हेलीकॉप्टर इमरजेंसी मेडिकल सर्विस को लेकर भी कॉन्फ्रेंस में चर्चा हुई. इसमें बताया गया कि मेडिकल हेली सेवा को बढ़ावा देने के लिए प्रोजेक्ट संजीवनी शुरू किया गया है. इसमें चिकित्सा सेवाओं को दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंचाना मकसद है और अब तक 65 से ज्यादा सफल राहत एवं बचाव अभियान पूरे किए गए.
उत्तराखंड के लिहाज से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जिस तरह पहले ही कांफ्रेंस के लिए नॉर्दर्न राज्यों में उत्तराखंड को चुना गया है, उसे यह साफ है कि सीमावर्ती क्षेत्रों को हवाई सेवाओं को लेकर प्राथमिकता से देखा जा रहा है. राज्य सरकार भी इस पर प्रयास कर रही है. ऐसे में केंद्र सरकार इसमें राज्यों को किस तरह से सहयोग कर सकती है इस पर भी विचार किया गया है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड में जिस तरह से हवाई घटनाएं हो रही है, उसके लिए एक विशेष नीति पहाड़ी राज्यों के लिए बनाई जानी चाहिए. हालांकि उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इसके लिए प्रयास कर रहा है, लेकिन इस पर तकनीकी रूप से भी और गंभीर रूप में प्रयास किए जाने चाहिए जिसके लिए केंद्र से मदद की जरूरत है.
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