देहरादून: उत्तराखंड सरकार अपने ही एक आदेश को जल्द पलटने जा रही है. दरअसल शासन ने यह आदेश कई सालों पहले किया था, जिसके चलते डिप्टी रेंजर्स को टेरिटोरियल रेंज का चार्ज देने में दिक्कतें आ रही थी. हालांकि अब इस शासनादेश को खत्म करने के बाद ऐसी कोई भी बाध्यता वन विभाग में नहीं रहेगी.
उत्तराखंड वन विभाग में डिप्टी रेंजर्स के लिए बड़ी खुशखबरी है. दरअसल, वन विभाग अब डिप्टी रेंजर्स की तैनाती को लेकर एक ऐसा निर्णय लेने जा रहा है, जिससे पिछले कई सालों से चली आ रही दिक्कतों का समाधान हो जाएगा. यही नहीं डिप्टी रेंजर्स की तैनाती के खिलाफ हाईकोर्ट में चल रहे मामले भी खुद-ब-खुद निस्तारित हो जाएंगे.
बात डिप्टी रेंजर्स को टेरिटोरियल रेंज देने से जुड़ी है, इसके खिलाफ रेंजर्स संगठन हाईकोर्ट तक का रास्ता तैयार कर चुका है, मामला कई साल पुराना है जब वन विभाग में तैनात डिप्टी रेंजर्स के लिए शासन स्तर से एक शासनादेश किया गया था. इसमें यह स्पष्ट किया गया था कि डिप्टी रेंजर्स को टेरिटोरियल रेंज की अहम जिम्मेदारी नहीं दी जा सकेगी और इसके बाद से ही डिप्टी रेंजर्स को टेरिटोरियल रेंज का चार्ज नहीं दिया जा सका.
वन विभाग में रेंजर्स की भारी कमी होने के बाद भी डिप्टी रेंजर्स को रेंज का चार्ज नही दिया जा रहा है. विभाग में करीब 100 रेंजों के लिए रेंजर्स की कमी रही है, जिसके कारण पूर्व में डिप्टी रेंजर्स को प्रभारी रेंजर्स के रूप में प्रमोट किया गया. लेकिन इसके बावजूद भी बड़ी संख्या में ऐसी रेंज रही है, जिनमें फुल फ्लैश रेंजर या प्रभारी रेंजर तैनात नहीं किया जा सके. इन्हीं स्थितियों को देखते हुए अब उस आदेश को ही खत्म करने की तैयारी है, जिसके कारण डिप्टी रेंजर्स टेरिटोरियल रेंज से महरूम रहे हैं.
इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित कर दिया है और जल्द ही आदेश को रद्द कर दिया जाएगा.
सुबोध उनियाल, वन मंत्री
इस मामले में पहले ही रेंजर्स संगठन हाईकोर्ट की शरण लिए हुए है. दरअसल रेंजर्स का मानना है कि जब राज्य सरकार ने खुद एक शासनादेश करते हुए टेरिटोरियल रेंज में डिप्टी रेंजर्स को चार्ज नहीं दिए जाने के आदेश किए हैं तो फिर कुछ जगह पर डिप्टी रेंजर्स को क्यों चार्ज दिए जा रहे हैं. इन्हीं स्थितियों को देखते हुए वन विभाग अब उस आदेश में ही बदलाव करने जा रहा है, जिसके कारण मामला हाईकोर्ट तक जा पहुंचा है.
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