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Explainer: एक क्लिक में जानिए कब फटते हैं बादल, कितनी होती है क्षति, कैसे बचें


हैदराबाद: पूरे देश में इन दिनों मॉनसून का जोर है. हर राज्य भारी बारिश से जूझ रहा है. हर दिन मौसम विभाग मूसलाधार बारिश को लेकर अलर्ट जारी करता है. वहीं, इस बार पहाड़ी इलाकों में हाल ज्यादा बेहाल हैं. बात हिमाचल प्रदेश की करें तो यहां कुदरत का कहर लगातार जारी है.

यहां के मंडी जिले में बादल फटने की घटना ने आमजन-जीवन बुरी तरह प्रभावित हैं. इस घटना में अभी तक 13 लोगों की मौत और 5 लोगों के घायल होने की जानकारी सामने आई है. वहीं, 29 लोग गायब भी हैं. इसके अलावा 154 लोगों का रेस्क्यू भी किया गया है.

हिमाचल प्रदेश के मंढी में कुदरत का कहर (PTI Videos)

मंडी के अलावा करसोग, थुनाग और सुंदरनगर में भी काफी नुकसान हुआ है. आइये जानते हैं कि आखिर बादल कैसे फटते हैं और इससे कितनी भारी बारिश होती है.

बादल फटने से जनजीवन बदहाल (ETV Bharat)

सबसे पहले जानते हैं बादल फटना क्या होता है?
मौसम विभाग के मुताबिक बादल फटना मौसमी घटना है. यह बरसात का सबसे खतरनाक स्वरूप है. जिस भी इलाके में बादल फटने की घटना होती है, वहां भीषण और बहुत तेज बारिश होती है. इस घटना को मूसलधार बारिश या क्लाउडबर्स्ट भी कहते हैं. इस घटना में एक ही जगह पर बादल से पानी बहुत तेजी से साथ गिरता है. इससे जानमाल को काफी क्षति होती है. जानकारों के मुताबिक इस दौरान बारिश लगभग 100 मिलीमी. प्रति घंटे की रफ्तार से होती है.

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पूरे इलाके में अफरातफरी का माहौल (ETV Bharat)

जानिए कब फटते हैं बादल
आमतौर पर बादल फटने की घटनाएं मॉनसून के समय जून-जुलाई से लेकर सितंबर तक होती हैं. आपको बता दें, यह घटनाएं ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में ही देखने को मिलती है. मैदानी इलाकों में बहुत कम होती हैं. इस घटना की मुख्य वजह यह है कि जब बादल पानी से पूरी तरह भरे होते हैं और आगे की ओर बढ़ते हैं तो वे पहाड़ों में फंस जाते हैं. पहाड़ों की ऊंचाई के चलते फंसने से बादल पानी के रूप में बदलकर बरसने लगते हैं. बादल पानी से भरे होते हैं इस वजह से उनका घनत्व ज्यादा होता है और बहुत तेज बरसात होने लगती है.

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कुदरत का कहर लगातार जारी (ETV Bharat)

किस समय होती है यह घटना
अब जानना यह जरूरी है कि यह घटना कब घटित होती है. जानकारी के लिए बता दें, कि यह घटना अक्सर दोपहर या रात के समय फटते हैं. इस समय वातावरण में नमी और गर्मी का लेवल काफी हाई रहता है. ऐसे में एक इलाके में कई लाख लीटर पानी एकसाथ जमीन पर गिरने लगता है. इससे नदी और नालों का जलस्तर काफी बढ़ जाता है और बादल से आफत आ जाती है. पहाड़ ऊंचाई पर होते हैं इस वजह से पानी वहां रुकता नहीं और तेजी से नीचे की ओर बहने लगता है. पानी अपने साथ काफी मिट्टी, कीचड़ और छोटे-बड़े पत्थर साथ ले आते हैं.

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बादल फटने के मुख्य कारण (ETV Bharat)

अब जानते हैं बादल फटने के कारण क्या हैं?

  • विभाग के मुताबिक यह सारी प्रक्रिया मौसम विभाग से संबंधित है. वैसे कई कारण भी मायने रखते हैं.
  • पानी से पूरी तरह भरे बादलों के रास्तों में जब कोई ऊंचा पहाड़ आता है, तब बादल फट जाते हैं.
  • इलाके से हरियाली का लगातार कम होना और पेड़ों की कटाई भी मुख्य वजह
  • तापमान का बढ़ना भी एक मुख्य कारण है.
  • जब बादल आपस में टकराते हैं, तब भी बादल फटने की यह घटना होती है.
  • मॉनसून में कम दबाव वाले क्षेत्रों में गर्म और नम हवाएं तेजी से ऊपर उठती हैं. इससे भी बादल फट जाते हैं.
  • आपको बता दें, गर्म हवा में नमी अधिक होती है, जो ठंडी हवा के संपर्क में आने से तेजी से बारिश बनकर गिरती है.
  • मैदानी इलाकों की बात करें तो यहां ऐसी घटनाएं कम ही होती हैं. वैसे बता दें, जब गर्म हवा बादलों की तरफ अचानक चली जाए तो बादल फट सकते हैं. यहां गर्म हवाएं ज्यादा बहती हैं. ऐसे में यह घटना होती है.
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जानिए इस घटना से कैसे बच सकते हैं (ETV Bharat)

कैसे करें बचाव

1. बादल फटने की घटनाओं से बचने के लिए लोगों को पहले से अलर्ट रहना होगा.
2. मौसम विभाग (IMD) इन घटनाओं को लेकर अलर्ट जारी करता हैं.
3. ये चेतावनियां संवेदनशील क्षेत्रों को समय पर खाली करने उपायों को फौरन में कार्यान्वयन की अनुमति देती हैं.
4. पहाड़ी इलाकों में जल निकलने की उचित व्यवस्था करनी चाहिए. इससे यह होगा कि बादल फटने के समय पानी का जलजमाव नहीं होगा.
5. आसपास के लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थान पर जाने की जानकारी देनी होगी.
6. नुकसान कम से कम हो इसके लिए लोगों को ढलान वाली कच्ची जगह पर मकान बनाने से बचना चाहिए.
7. ढलान वाली जगहों पर निर्माण जब भी कराएं तो वह मजबूती से कराना चाहिए. वहीं, नदी और नालों के पास भी जाने से बचना चाहिए.
8. मॉनसून के समय में ढलान वाली जगह पर नहीं जाना चाहिए. ऐसे मौसम में जहां जमीन समतल हो या मैदानी इलाकों में रहना चाहिए.
9. जहां से जमीन दरकने की खबर आ रही गई हो, वहां बारिश के पानी को रुकने नहीं देना चाहिए.

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प्रमुख घटनाओं पर भी डालें एक नजर (ETV Bharat)

एक नजर प्रमुख घटनाओं पर

1: अगस्त 1998 में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के मालपा गांव में बादल फटने से भारी भूस्खलन हुआ था.
2: इस घटना में 60 कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्री सहित करीब 225 लोगों की मौत हुई थी.
3: साल 2004 में उत्तराखंड के बद्रीनाथ में बादल फटा था. इस घटना में करीब 17 लोगों की मौत हुई थी.
4: मुंबई में 26 जुलाई 2005 को बादल फटा था. इस घटना में सैकड़ों लोग मारे गए थे.
5: केदारनाथ में जून 2013 को बादल फटा था, जिसमें 5000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी.

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