Homeउत्तराखण्ड न्यूजउत्तराखंड से शुरू हो रही कैलाश मानसरोवर यात्रा, सीएम धामी बोले- 5...

उत्तराखंड से शुरू हो रही कैलाश मानसरोवर यात्रा, सीएम धामी बोले- 5 साल बाद खास अनुभव लेकर जाएंगे शिवभक्त


किरनकांत शर्मा, देहरादून: पिथौरागढ़ जिले से शुरू होने वाले कैलाश मानसरोवर यात्रा का पहला जत्था 4 जुलाई को उत्तराखंड पहुंच रहा है. सुबह दिल्ली से चलकर 52 लोग पिथौरागढ़ के टनकपुर पहुंचेंगे. जहां पर पूरे कुमाऊं संस्कृति और रीति रिवाज के साथ उनका स्वागत किया जाएगा. आखिरी बार साल 2020 में कैलाश मानसरोवर यात्रा की हुई थी.

चीन से विवाद और कोरोना के चलते यह यात्रा बंद करनी पड़ी. अब एक बार फिर से 5 साल बाद यह यात्रा शुरू हो रही है. इस बार उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से शिव भक्त अपनी यात्रा तय करेंगे. इस यात्रा में शिव भक्तों को 22 से 23 दिनों का वक्त लगेगा. कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) ने इस यात्रा की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है.

बेहद पवित्र है स्थान कैलाश मानसरोवर: कैलाश मानसरोवर यात्रा न केवल हिंदू बल्कि, जैन, बुद्ध समेत अन्य धर्म के लिए भी बेहद पवित्र यात्रा मानी जाती है. न केवल भारत, बल्कि विश्व के कई देशों से लोग इस यात्रा पर पहुंचते हैं. भारत से इस यात्रा का संचालन दो जगह से होता है.

कैलाश मानसरोवर यात्रा का इतिहास (फोटो- ETV Bharat GFX)

हाल में ही सिक्किम के नाथुला दर्रा से वैसे तो इस यात्रा की विधिवत शुरुआत हो गई है, लेकिन उत्तराखंड से इसकी शुरुआत 4 जुलाई को होगी. पहले दिन में 52 श्रद्धालु दल में होंगे, जो 52 किलोमीटर की परिक्रमा में शामिल होंगे. पहला जत्था दिल्ली से 4 जुलाई 2025 को टनकपुर (चंपावत, उत्तराखंड) पहुंचेगा. यह यात्रा अगस्त 2025 तक चलेगी.

इस बार क्या होगा खास: कैलाश मानसरोवर की ये यात्रा उत्तराखंड के लिपुलेख मार्ग से होगी. जिसकी अवधि 22-23 दिन की होगी. इसमें भारत और तिब्बत में विभिन्न पड़ावों पर ठहरने और कैलाश पर्वत की 52 किलोमीटर की परिक्रमा शामिल है.

इस साल उत्तराखंड के लिपुलेख मार्ग से कुल 250 तीर्थ यात्रा यात्रा करेंगे, जिन्हें 50-50 यात्रियों के 5 जत्थों में विभाजित किया जाएगा. हर एक जत्था अलग-अलग तारीखों पर यात्रा शुरू करेगा और अंतिम जत्था 22 अगस्त 2025 तक वापस लौटेगा.

Kailash Mansarovar Yatra

कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर कुछ जानकारी (फोटो- ETV Bharat GFX)

कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 दिल्ली से शुरू होकर उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से तिब्बत तक जाएगा. इस बार मार्ग में कुछ बदलाव किए गए हैं. यह पारंपरिक काठगोदाम-अल्मोड़ा मार्ग के बजाय टनकपुर-चंपावत-पिथौरागढ़ के रास्ते जाएगा.

यात्रा की शुरुआत दिल्ली से होगी, जहां यात्रियों की प्रारंभिक स्वास्थ्य जांच और औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी. इसके बाद जत्था टनकपुर में शाम को पहुंचने के बाद वहीं रुकेगा और यहीं उनके स्वागत के साथ ही कुमाऊं मंडल विकास निगम ठहरने, भोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की व्यवस्था करेगा.

Kailash Mansarovar Yatra

कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर जानकारी (फोटो- ETV Bharat GFX)

यहां से शुरू होगी यात्रा होगी: कुमाऊं मंडल विकास निगम के जीएम विजय नाथ शुक्ला के मुताबिक, जितने भी दिन दल उत्तराखंड में रहेगा, उन्हें तीनों टाइम के खाने में एक डिश कुमाऊं की परोसी जाएगी. पहले दिन की यात्रा के बाद अगले दिन दल टनकपुर से चंपावत होते हुए आगे बढ़ेगा.

दल के साथ KMVN के कुछ लोग रहेंगे, जिसमें लोकेशन ऑफिसर साथ होंगे. जो दल को हर एक रास्ते और उसके पौराणिक महत्त्व के साथ पहाड़ की संकृति के बारे में बताएंगे. चंपावत से पिथौरागढ़ तक का सफर होगा, जहां से यात्री धारचूला की ओर प्रस्थान करेंगे.

Kailash Mansarovar Yatra

एक नजर में कैलाश मानसरोवर यात्रा (फोटो- ETV Bharat GFX)

धारचूला यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव भी माना जाता है. यहां पर भक्त एक दिन स्टे करेंगे और यहीं के बाजार में स्थानीय कारीगरों के बनाए उत्पाद भी भक्त अपने साथ लेकर जाते हैं. इसके बाद अगले दिन दल गुंजी के लिए सफर तय करेगा.

एक दिन यही विश्राम की व्यवस्था भी कुमाऊं मंडल विकास निगम ने की है. यहां रुकने के बाद भक्तों की एक बार फिर से स्वास्थ्य जांच होगी. ये जगह चूंकि काफी ऊंचाई पर है, इसलिए उन्हें कोई तकलीफ तो नहीं है, इसकी जांच की जाएगी.

Kailash Mansarovar Yatra

कैलाश मानसरोवर यात्रा की दूरी (फोटो- ETV Bharat GFX)

देश में ये होगा आखिरी पड़ाव, उसके बाद तिब्बत में प्रवेश: अगले दिन भक्तों का दल नाभीढांग के लिए निकलेगा. यह लिपुलेख दर्रे से पहले अंतिम भारतीय पड़ाव भी है. जहां दल को 2 रात रुकेंगे. यहां से निकलने के बाद भक्त भारत-चीन सीमा पर स्थित लिपुलेख दर्रा पर पहुंचेंगे. यह स्थान समुद्र तल से 17,000 फीट की ऊंचाई पर है. यहीं से दल तिब्बत में प्रवेश करेगा.

यहीं तक कुमाऊं मंडल विकास निगम के अधिकारी और कर्मचारी दल के साथ रहते हैं. उसके बाद दल तकलाकोट (तिब्बत) पहुंच जाएगा और फिर धीरे-धीरे दारचेन, डिरापुक और जुथुलपुख तक जाकर कैलाश की परिक्रमा शुरू करेगा.

Kailash Mansarovar Yatra

उत्तराखंड से कैलाश मानसरोवर यात्रा का रूट (फोटो- ETV Bharat GFX)

दल को यहां एक-एक दिन के लिए रूकना होता है. उत्तराखंड से बाहर होने के बाद भक्तों को लगभग 200 किलोमीटर की पैदल ट्रेकिंग भी करनी होती है. इसी के लिए ही दिल्ली में विशेष स्वास्थ्य परीक्षण और मानसिक परीक्षण होता है.

KMVN अधिकारी ने दी ये जानकारी: उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल से चलने वाली इस कैलाश मानसरोवर यात्रा का पूरा जिम्मा कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) के जिम्मे ही होता है. लिहाजा, यात्रियों के स्वागत से लेकर उनके खाने-पीने, रुकने, मेडिकल संबंधित तमाम व्यवस्था और परमिट भी कुमाऊं मंडल विकास निगम ही जारी करता है.

“हम इस यात्रा को लेकर बेहद उत्साहित हैं. इस बार यात्रा में आने वाले भक्तों को हम और भी बेहतर सुविधा देंगे. 5 साल बाद शुरू हो रही इस यात्रा को लेकर सभी कर्मचारी बेहद उत्साहित हैं. दिल्ली से यह दल 4 जुलाई की रात को टनकपुर पहुंच जाएगा. 5 जुलाई की सुबह या 4 जुलाई की शाम तक अगर दल पहुंच जाता है तो उनका पारंपरिक तरीके से स्वागत किया जाएगा. अगले दिन फ्लैग ऑफ का कार्यक्रम भी रखा गया है.”– विजय नाथ शुक्ला, जीएम, कुमाऊं मंडल विकास निगम

केएमवीएन जीएम विजय नाथ शुक्ला ने बताया कि हमारी व्यवस्थाएं इसलिए भी पहले से पूरी है, क्योंकि हम आदि कैलाश की यात्रा पहले से ही चला रहे हैं. इसलिए और अतिरिक्त व्यवस्था जैसी कोई बात नहीं है. इतना जरूर है कि हाल ही में हमारी टीम कैलाश मानसरोवर के अंतिम छोर तक भ्रमण करके आई है. जिसमें ये सुनिश्चित किया गया है कि मार्ग फिलहाल पूरी तरह से सही है.

Kailash Mansarovar Yatra

हिमालय को निहारते हुए जाएंगे शिव भक्त (फोटो सोर्स- KMVN)

खुद सड़क मार्ग से किया है हाल में दौरा: उत्तराखंड में जिस तरह से बारिश का दौर जारी है. उसके मद्देनजर कुमाऊं मंडल विकास निगम इस बात का भी ध्यान रख रहा है कि दल जब टनकपुर से रवाना होगा तो मौसम की वजह से उन्हें कहीं रुकना ना पड़े. लिहाजा, हाल ही में खुद कुमाऊं मंडल विकास निगम के जीएम विजय नाथ शुक्ला सड़क मार्ग से होकर वापस लौटे हैं.

उन्होंने तमाम गेस्ट हाउस कर्मचारी की व्यवस्था और सड़क पर होने वाले भूस्खलन को लेकर अपना यह दौरा किया था. उन्होंने बताया कि सड़क मार्ग पूरी तरह से सुरक्षित है और जहां पर भूस्खलन होने की संभावना है. वहां पर हमने मशीनों को तैनात किया है. ताकि, अगर मार्ग बंद भी होता है तो तत्काल प्रभाव से मार्ग को खोलकर यात्रा सुचारू रूप से चलती रहे.

कैसे कर पाते हैं ये यात्रा? ऑनलाइन या ऑफ लाइन रजिस्ट्रेशन करवाने पर ही यात्रा की शुरुआत हो सकती है. रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज जैसे पासपोर्ट की स्कैन कॉपी (पहला और आखिरी पेज), पासपोर्ट साइज फोटो, ईमेल आईडी, और फोन नंबर होना जरूरी है. यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया KMVN की आधिकारिक वेबसाइट kmy.gov.in पर आवेदन करना होता है.

Kailash Mansarovar Yatra

पिथौरागढ़ जिले में कैलाश मानसरोवर यात्रा का रूट (फोटो सोर्स- KMVN)

इसके बाद स्वास्थ्य जांच (फिटनेस टेस्ट) भक्तों की दिल्ली में दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट की ओर से अनिवार्य रूप से किया जाता है. इसके बाद राज्य सरकार भी उत्तराखंड पहुंच कर गुंजी में दूसरी स्वास्थ्य जांच करती है. यात्रा में अनुमानित खर्च 1.74 लाख रुपए प्रति व्यक्ति तक आ जाता है. इसमें रहना और भोजन केएमवीएन (KMVN) और तिब्बत में TAR (तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र) की ओर से प्रदान किया जाएगा.

“हम उत्तराखंड से शुरू होने वाली यात्रा में यहां आने वाले श्रद्धालुओं को एक बेहतर अनुभव देने वाले हैं. मैं खुद कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले जत्थे के साथ उनके अनुभव को जानने की कोशिश करूंगा. उत्तराखंड सरकार ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के मार्ग पर यात्रियों की सुविधा के लिए कई और बेहतर इंतजाम किए हैं. जो हमारे उत्तराखंड की संस्कृति को और ज्यादा महत्व दिलवाएंगे. इस बार 5 साल बाद शुरू हो रही यात्रा इसलिए खास है, क्योंकि जब भक्त तिब्बत की तरफ बढ़ेंगे तो उनके जहन में उत्तराखंड की सरकार की छवि वापस लौटने तक याद में रहे.”– पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड

ये भी पढ़ें-

एक नजर