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प्राकृतिक मुसीबत में घिरा देहरादून का बटोली गांव, रहस्यमयी खाई ने बढ़ाई मुसीबत, संकट में 'जिंदगी'


देहरादून (नवीन उनियाल): उत्तराखंड के देहरादून जिले के सहसपुर स्थित बटोली गांव एक अजीब सी प्राकृतिक मुसीबत में घिरा हुआ है. परेशानी ऐसी कि जो दिनों दिन बढ़ती जा रही है और इसका कारण भी ग्रामीण नहीं समझ पा रहे हैं. दरअसल, मामला इस गांव से ठीक पहले बनी 4 किलोमीटर लंबी और गहरी खाई का है, जो लैंडस्लाइड के चलते बढ़ती जा रही है. हालांकि, लैंडस्लाइड के पीछे की वजह को जानने के लिए भूवैज्ञानिक भी यहां पहुंचे थे. लेकिन अबतक फिलहाल ग्रामीणों के लिए ये गहरी खाई एक रहस्य ही बनी हुई है.

उत्तराखंड के नक्शे पर बटोली गांव भले ही राजधानी के नजदीक दिखता हो, लेकिन हकीकत में ये जगह अब लोगों के रहने लायक नहीं रह गई है. शायद यही कारण है कि ग्रामीणों ने अब इस गांव से पलायन करना भी शुरू कर दिया है. करीब 150 से 200 लोगों के जनसंख्या वाले इस गांव में यूं तो खेत, खलिहान और पशुपालन के जरिए लोग अच्छी खासी आमदनी कर पा रहे हैं. लेकिन कुछ प्राकृतिक घटनाएं ऐसी हो रही हैं जो ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन गई है.

प्राकृतिक मुसीबत में घिरा देहरादून का बटोली गांव (VIDEO- ETV Bharat)

ईटीवी भारत को जानकारी मिली कि इस गांव के पास एक ऐसी रहस्यमई दरार बन रही है, जिसके कारण कई किलोमीटर लंबी खाई तैयार हो चुकी है और लगातार इसके बढ़ने का सिलसिला जारी है. बटोली गांव की इस मुसीबत और रहस्यमई खाई को देखने और जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम देहरादून से सहसपुर के लिए रवाना हुई.

देहरादून से करीब 28 से 29 किलोमीटर सहसपुर की तरफ जाने के बाद ईटीवी भारत की टीम कोटी गांव पहुंची. जहां हमें समाजसेवक मंजुल रावत मिले. जिन्होंने ग्रामीणों की इस समस्या को हम तक पहुंचाया और ग्रामीणों के लिए रहस्य बन चुकी खाई की जानकारी दी.

देहरादून शहर से 29 किमी दूर बसा है बटोली गांव (PHOTO- ETV Bharat)

तेजी से बढ़ रहा लैंडस्लाइड: मंजुल रावत ने बताया कि करीब एक 1 किलोमीटर कच्ची सड़क के रास्ते से उस जगह पर पहुंचा जा सकता है, जहां पर बड़ा लैंडस्लाइड हुआ है और ये तेजी से बढ़ भी रहा है. हालांकि, वो कहते हैं कि इस जगह पर इतना बड़ा लैंडस्लाइड इतने कम वक्त में कैसे हो गया और इतनी बड़ी खाई यहां कैसे बन गई, ये किसी की समझ में नहीं आ रहा है.

DISASTER IN BATOLI VILLAGE

बटोली गांव में बनी है 4 किलोमीटर लंबी और गहरी खाई. (PHOTO- ETV Bharat)

मंजुल रावत ने बताया कि इसके लिए जिला प्रशासन के साथ ही भूवैज्ञानिक भी यहां अध्ययन करने पहुंचे थे. लेकिन अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है कि आखिरकार इस जगह पर बेहद कम वक्त में इतना ज्यादा लैंडस्लाइड कैसे हो गया?

पहाड़ के बीचों बीच बनी खाई: कच्चे रास्ते से होते हुए ईटीवी भारत की टीम आगे बढ़ी और फिर एक जगह ऐसी आई, जहां वाहनों के पहिये थम जाते हैं. क्योंकि इससे आगे जाने का कोई रास्ता ही नहीं बचा था. ईटीवी भारत की टीम स्थानीय लोगों के साथ पैदल ही खाई की तरफ बढ़ी. करीब 100 मीटर चलने के साथ ही वो मलबा दिखने लगा जो पहाड़ से गिर रहा था और इसके कारण पहाड़ के बीचों-बीच एक खाई बन रही थी.

DISASTER IN BATOLI VILLAGE

लैंडस्लाइड के कारण कोटी से बटोली जाने वाला मोटर मार्ग बदहाल. (PHOTO- ETV Bharat)

जान हथेली पर रखकर चल रहे बुजुर्ग और बच्चे: मौके पर पहुंचने पर स्थिति साफ हुई. स्पष्ट नजर आ रहा है कि पहाड़ के बीच में बड़ा लैंडस्लाइड हो रहा है, जिसमें किसी जल स्रोत से पानी भी निकल रहा है. जबकि चारों तरफ से मलबा गिर रहा था. न केवल भूरी मिट्टी बल्कि लाल मिट्टी भी कुछ जगह पर दिख रही थी. इसका मतलब साफ है कि यहां पर कुछ जगह पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा काफी गहराई तक टूट रहा है. इससे भी हैरानी वाली बात यह है कि गांव के बुजुर्ग और बच्चे जान हथेली पर रखकर भूस्खलन पार कर गांव की ओर जाने को मजबूर हैं.

DISASTER IN BATOLI VILLAGE

ग्रामीण जान हथेली में रखकर मार्ग से गुजरने को मजबूर. (PHOTO- ETV Bharat)

10-15 साल से धीरे-धीरे हो रहा था लैंडस्लाइड: इस स्थिति को लेकर ईटीवी भारत ने बटोली गांव के लोगों से भी बात की. स्थानीय लोगों ने बताया कि इस क्षेत्र में पिछले 10-15 साल से भूस्खलन हो रहा है. पहले हल्का होता था तो उससे सड़क ठीक थी. उससे बचाव के लिए कुछ तरीके भी अपनाए गए लेकिन वो इतने कारगर साबित नहीं हुए. हालांकि, इस साल ये लैंडस्लाइड कई गुना बढ़ा और हालात ये हैं कि पैदल रास्ता ही खत्म हो गया है.

इससे पूरा गांव प्रभावित हो गया है. प्रभावित गांवों के बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है. कुछ लोग ऐसे हैं जो पलायन कर चुके हैं. उधर गांव में सब्जियां सड़ रही हैं, जोकि बाजार में अब तक पहुंच जानी चाहिए थी. इसी तरह पशुपालन करने वाले लोग पशुओं का दूध बाजार में नहीं पहुंचा पा रहे हैं. यानी की पूरा गांव रोजी रोटी के संकट की तरफ बढ़ रहा है. ग्रामीणों को ऐसा महसूस हो रहा है जैसे वो गांव में कैद हो गए हों.

DISASTER IN BATOLI VILLAGE

मार्ग बदहाल होने के कारण गर्भवती महिलाओं का अस्पतालों तक पहुंचना मुश्किल. (PHOTO- ETV Bharat)

गर्भवती महिला और बीमार सबसे ज्यादा परेशान: लोगों का कहना है कि सबसे ज्यादा दिक्कत मेडिकल से जुड़ी परेशानियों को लेकर आ रही है. गर्भवती महिलाओं का अस्पतालों तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है. बीमार लोगों को भी स्वास्थ्य सुविधा कैसे मिले, यह एक बड़ी परेशानी बन गई है. इतना ही नहीं, गांव के बच्चे स्कूल कैसे जाएंगे, ये भी किसी की समझ नहीं आ रहा है.

लोगों का कहना है कि ऐसा नहीं है कि बटोली गांव की स्थितियां ऐसी ही रही हों, पहले कोटी से बटोली के लिए मोटर मार्ग था और लोग गाड़ियों के जरिए गांवों तक पहुंचते थे. लेकिन न जाने ऐसा क्या हुआ कि यहां लैंडस्लाइड होना शुरू हो गया और देखते ही देखते कुछ ही समय में करीब 4 किलोमीटर लंबी गहरी खाई यहां बन गई.

DISASTER IN BATOLI VILLAGE

पहाड़ के बीच में लैंडस्लाइड के साथ ही पानी भी निकल रहा है. (PHOTO- ETV Bharat)

इम मामले पर क्षेत्रीय विधायक सहदेव पुंडिर ने ईटीवी भारत को फोन में बताया कि उन्होंने इस मामले को सीएम धामी के संज्ञान में भी लाया है. सीएम धामी ने देहरादून जिलाधिकारी को इस बाबत निर्देश दिया, जिसके बाद डीएम के निर्देश पर एडीएम क्षेत्र के लोगों से बातचीत कर उनकी समस्या का निस्तारण करनी की प्रक्रिया तेज करेंगे.

मेन बाउंड्री थ्रस्ट (MBT) इस इलाके में बनता है. दून घाटी में उत्तर से आने वाले जल स्त्रोत पहाड़ पर गहरा कटान करते हैं. इसे हेडवर्ड इरोजन कहा जाता है. लेसर हिमालय और शिवालिक को ये क्षेत्र जोड़ता है. इस बीच गहराई से कटान करने वाली यह जल स्रोत यहां मौजूद कच्चे पहाड़ों के लिए बड़े भूस्खलन की वजह बन रहे हैं.
– महेंद्र प्रताप सिंह बिष्ट, भू वैज्ञानिक –

वैकल्पिक मार्ग बनाने की मांग: ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन के लोग हर बार आते हैं लेकिन इसका कोई हल नहीं निकल पा रहा. जबकि इस गांव को जोड़ने के लिए दूसरे रास्ते से वैकल्पिक मार्ग बनना चाहिए था और फिलहाल लोगों की समस्याओं को देखते हुए कोई हल निकल जाना चाहिए था. उधर इस मामले पर जिलाधिकारी देहरादून से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया.

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