अनामिका रत्ना
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए संगठनात्मक प्रक्रिया को तेज कर दिया है. पार्टी के संविधान के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तब तक नहीं हो सकता, जब तक कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों (37 संगठनात्मक इकाइयों में से 19) में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव पूरा न हो जाए.
इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए बीजेपी ने हाल ही में कई राज्यों में अपने प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है. दरअसल, वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2024 में समाप्त हो चुका है, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 और संगठनात्मक प्रक्रिया में देरी के कारण उन्हें विस्तार दिया गया था.
22 राज्यों में प्रक्रिया शुरू
जानकारी के मुताबिक अब तक 22 राज्यों में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. पार्टी ने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मिजोरम, पुडुचेरी और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव के लिए कदम उठाए हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी को नया अध्यक्ष इसी माह जुलाई में मिल सकता है.
जानकारी देतीं ईटीवी भारत संवाददाता (ETV Bharat)
कई नामों पर विचार
फिलहाल जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी के लिए कई नामों पर विचार चल रहा है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, यह निर्णय जुलाई 2025 के दूसरे सप्ताह तक हो सकता है. बता दें कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए कई नाम चर्चा में हैं, जिनमें विनोद तावड़े, शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर और सुनील यादव जैसे नेता शामिल हैं.
सुनील यादव ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव, 2023 के मध्य प्रदेश चुनाव और 2024 के महाराष्ट्र चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे उनका दावा मजबूत माना जा रहा है. हालांकि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रभाव के कारण किसी अप्रत्याशित उम्मीदवार की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा रहा.
इस बीच कुछ अन्य राज्यों के अध्यक्षों के नाम की घोषणा भी जल्दी ही कर दी जाएगी. महाराष्ट्र में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को चुनाव प्रक्रिया की निगरानी के लिए नियुक्त किया गया था.
पश्चिम बंगाल में समिक भट्टाचार्य बन सकते हैं अध्यक्ष
रविंद्र चव्हाण को महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चुना गया है. जबकि उत्तराखंड में राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट को दोबारा प्रदेश अध्यक्ष चुना गया है. पश्चिम बंगाल , जहां पार्टी ने रवि शंकर प्रसाद को चुनाव प्रक्रिया का पर्यवेक्षक नियुक्त किया. वहां समिक भट्टाचार्य का नाम संभावित उम्मीदवार के रूप में चर्चा में है.
उत्तर प्रदेश में नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए चर्चा तेज है. यहां स्वतंत्र देव सिंह, धर्मपाल सिंह और बीएल वर्मा जैसे ओबीसी नेताओं के नाम भी सामने आ रहे हैं.आंध्र प्रदेश और पुडुचेरी में क्रमश: पीवीएन माधव और वीपी रामलिंगम को इन राज्यों का अध्यक्ष चुना गया है.
बिहार विधानसभा चुनाव पर नजर
अगर पार्टी की आगामी रणनीति की बात करें तो भाजपा की नजर 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव और 2026 में पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और असम जैसे राज्यों के चुनावों पर है. नए नेतृत्व का चयन पार्टी की रणनीति को और मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगा.
आंतरिक असंतोष की खबरें
सूत्रों की मानें तो पार्टी में कुछ राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर आंतरिक असंतोष की खबरें भी सामने आ रहीं हैं. उदाहरण के लिए, तेलंगाना में एन रामचंदर राव की नियुक्ति के बाद टी राजा सिंह ने इस्तीफा दे दिया. फिर भी, भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व संगठन को एकजुट रखने और आगामी चुनावों के लिए तैयार करने में जुटा है. यह प्रक्रिया न केवल पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र को दर्शाती है, बल्कि इसके भविष्य के राजनीतिक लक्ष्यों के लिए भी महत्वपूर्ण है.
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