Homeबिजनेसएक बार नहीं...साल में तीन बार जन्मदिन मनाते हैं गौतम अडाणी, जानें...

एक बार नहीं…साल में तीन बार जन्मदिन मनाते हैं गौतम अडाणी, जानें इसके पीछे की कहानी


नई दिल्ली: पिछले सप्ताह ही उद्योगपति गौतम अडाणी ने अपना 64वां जन्मदिन मनाया है. ज्यादातर लोग यह जानते हैं कि गौतम अडाणी साल में एक नहीं बल्कि तीन बार जन्मदिन मनाते हैं. यह बात हैरान करने वाली लग सकती है. लेकिन अपने जन्मदिन के अलावा अडाणी दो और दिन मनाते हैं.

अडाणी का पहला जन्मदिन
24 जून 1962 को अहमदाबाद में जन्मे गौतम अडाणी का जन्म हुआ. आठ बच्चों में से सातवें थे अडाणी जिनका बचपन एक गुजराती जैन परिवार के साधारण माहौल में बीता, जहां उनके पिता एक छोटे से कपड़ा व्यापारी के रूप में काम करते थे. शिक्षा शेठ चिमनलाल नागिनदास विद्यालय में हुई. बाद में उन्होंने पढ़ाई छोड़ने का फैसला किया और 16 साल की उम्र में उन्होंने अपने भीतर की उद्यमी चिंगारी को का विकल्प चुना. अपनी जेब में सिर्फ कुछ सौ रुपये लेकर, वे सपनों के शहर मुंबई चले गए, जहां उन्होंने हीरे की छंटाई करने वाले के रूप में अपनी पहली शिक्षा शुरू की. 19 साल की उम्र में अडाणी ने अपना खुद का हीरा ब्रोकरेज स्थापित कर लिया.

1981 तक, वे अपने बड़े भाई की प्लास्टिक इकाई की ओर आकर्षित होकर अहमदाबाद वापस आ गए. 1988 तक अडाणी एक्सपोर्ट्स का जन्म हुआ.

दूसरा जन्मदिन
दूसरा जन्मदिन 1 जनवरी, 1998 को पड़ता है. यह एक ऐसा दिन है जो उनके लिए जश्न मनाने के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ जीवित रहने पर ध्यान केंद्रित करने की याद के रूप में याद किया जाता है. यह तब की बात है, जब वे अहमदाबाद के कर्णावती क्लब से अपने एक सहयोगी शांतिलाल पटेल के साथ निकले थे, तभी उनकी गाड़ी पर घात लगाकर हमला किया गया. हथियारबंद लोगों कथित तौर पर गैंगस्टरों ने उन्हें जबरन बंदी बना लिया. अडाणी ने लगातार तत्काल संकट से ऊपर उठकर संभावित हार को गहन लचीलेपन की कहानी में बदल दिया है

तीसरा जन्मदिन
ग्यारह साल बाद नियति ने गौतम अडाणी को एक बार फिर 26 नवंबर 2008 को परखा. यह वह समय था जब मुंबई में एक भयानक आतंकी हमला हुआ. अडाणी मुंबई के ताज होटल के मसाला क्राफ्ट रेस्तरां में खाना खा रहे थे. उनके साथ टेबल पर दुबई पोर्ट के सीईओ मोहम्मद शराफ भी बैठे थे. वे अपना बिल चुका चुके थे और जाने ही वाले थे, तभी आखिरी समय में कॉफी पीने के फैसले ने अनजाने में उनकी जान बचा ली. अगर वे उस समय लॉबी में चले जाते, तो वे सीधे आतंकवादियों की क्रूर गोलीबारी का शिकार हो जाते.

एक नजर