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NATO के एक फैसले के बाद भारत के डिफेंस सेक्टर के शेयर में जबरदस्त उछाल


नई दिल्ली: भारतीय डिफेंस कंपनियों के शेयरों में गुरुवार 26 जून को तेजी देखने को मिली. नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) के सहयोगियों ने 2035 तक अपने रक्षा खर्च को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पांच फीसदी तक बढ़ाने की योजना बनाई है. जिससे निवेशकों का डिफेंस शेयरों को लेकर मनोबल बढ़ा.

नाटो ने क्या कहा?
नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (नाटो) के सदस्य देशों ने बुधवार को 2035 तक अपने वार्षिक रक्षा खर्च को अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5 फीसदी तक बढ़ाने की योजना बनाई है. साथ ही इस बात पर जोर दिया कि एक सहयोगी के खिलाफ हमला सभी के खिलाफ हमला माना जाएगा. यह घोषणा डच शहर द हेग में एक कड़े सुरक्षा सम्मेलन में की गई, जहां सामूहिक रक्षा, बोझ साझा करना और भविष्य की युद्ध की तैयारी एजेंडे में सबसे ऊपर थी.

नाटो अपने खर्च लक्ष्य को क्यों बढ़ा रहा है?
यह निर्णय वर्तमान 2 फीसदी लक्ष्य से एक बड़ा बदलाव दिखाता है, जो रूस के उत्पन्न खतरे, सैन्य बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण की आवश्यकता और नाटो की अमेरिका पर निर्भरता कम करने की इच्छा पर बढ़ती चिंता को दिखाता है. 5 फीसदी के आंकड़े में मुख्य रक्षा खर्च और साइबर सुरक्षा, रसद, बुनियादी ढांचे और नागरिक लचीलापन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए पैसे दोनों शामिल हैं.

भारतीय शेयरों पर असर
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी भारत स्थित रक्षा कंपनियों में तेज खरीदारी देखी गई, जो एक-एक फीसदी तक बढ़ गई. इसके अलावा निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स में भी एक फीसदी की बढ़त दर्ज की गई, जिसमें गार्डन रीच शिपबिल्डर्स, डीसीएक्स सिस्टम्स और भारत डायनेमिक्स ने बढ़त दर्ज की.

भारतीय डिफेंस सेक्टर
वित्त वर्ष 2016 से भारतीय कंप नियों से रक्षा निर्यात में 13 गुना बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि निजी क्षेत्र का निर्यात 67 गुना बढ़ा है और घरेलू खरीद का हिस्सा बढ़कर 75 फीसदी हो गया है, जिसमें बढ़ोतरी की काफी गुंजाइश है.

इनक्रेड इक्विटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 से 2023-24 तक निर्यात में 32.5 फीसदी की बढ़ोतरी के आधार पर, 2028-29 तक रक्षा निर्यात को 5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य है.

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