Homeउत्तराखण्ड न्यूजट्रंप ने फिर जताई शांति के नोबेल प्राइज की इच्छा, बोले-चाहे जो...

ट्रंप ने फिर जताई शांति के नोबेल प्राइज की इच्छा, बोले-चाहे जो कर लूं, मुझे कतई नहीं मिलेगा


वॉशिंगटन: डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और रवांडा के पूर्वी कांगो में चल रही हिंसा को समाप्त करने के लिए एक समझौता किया है. इन दोनों देशों ने यह समझौता अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में देर रात किया. इस समझौते में अमेरिका की बड़ी भूमिका मानी जा रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते को लेकर एक पोस्ट भी किया है. इस पोस्ट के माध्यम से ट्रंप ने एक बार फिर शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए इच्छा जाहिर की है.

डॉनल्ड ट्रंप ने ट्रुथ सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि मुझे इसके लिए (कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और रवांडा गणराज्य के बीच संधि) नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा. मुझे भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रोकने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा, मुझे सर्बिया और कोसोवो के बीच युद्ध रोकने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा, मुझे मिस्र और इथियोपिया के बीच शांति बनाए रखने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा, और मुझे मध्य पूर्व में अब्राहम समझौते करने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा, जो अगर सब कुछ ठीक रहा, तो अतिरिक्त देशों के हस्ताक्षर से भर जाएगा, और ‘युगों’ में पहली बार मध्य पूर्व को एकीकृत करेगा! नहीं, मुझे नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा चाहे मैं कुछ भी करूं, जिसमें रूस/यूक्रेन और इज़राइल/ईरान शामिल हैं, जो भी परिणाम हों, लेकिन लोग जानते हैं, और यही मेरे लिए मायने रखता है!”

इन बिंदुओं को समझौते में किया शामिल
जानकारी के मुताबिक रवाडा और कांगो के बीच लगातार तीन दिनों से अमेरिका में बातचीत जारी थी. आखिरकार शुक्रवार को दोनों देशों ने यह समझौता किया. वहीं, आने वाले दिनों पर मुहर लगने की उम्मीद है. खबर मिली है कि इस समझौते में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को शामिल किया गया है, जैसे- दोनों देश हथियार का इस्तेमाल नहीं करेंगे, नॉन स्टेट आर्म्ड ग्रुप्स को भी खत्म करेंगे. इसके साथ-साथ रिफ्यूजी और आंतरिक माइग्रेंट्स की घर वापसी पर भी सहमति जताई है.

बता दें, पूर्वी कांगो काफी लंबे समय से आर्म्ड विवाद का सामना कर रहा है. यहां कई ऐसे आर्म्ड ग्रुप हैं, जो प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करने के लिए लड़ रहे थे. इस साल की शुरुआत में जनवरी के महीने में हिंसा भड़क उठी, जब रवांडा समर्थित माने जाने वाले M23 नाम के एक विद्रोही संगठन ने गोमा शहर पर जबरन कब्जा कर लिया. यह इलाका प्राकृतिक संसाधनों से भरा हुआ है, लेकिन रवांडा ने इस ग्रुप को अपना समर्थन देने से इंकार कर दिया था. वहीं, दोनों देशों के बीच हिंसा में हजारों लोगों की जान जा चुकी है. लाखों लोग विस्थापित भी हुए हैं.

पढ़ें: ‘भारत-पाक के दो नेताओं ने संघर्ष रोकने का फैसला किया’, पहली बार ट्रंप ने नहीं लिया क्रेडिट

एक नजर