नई दिल्ली: अमेरिका से भारत पैसा भेजने वाले अप्रवासियों के लिए यह काम जल्द ही महंगा पड़ सकता है. इसकी वजह यह है कि यहां भेजे गए पैसों पर 3.5 फीसदी एक्साइज टैक्स लगाने का प्रस्ताव है. अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ पारित कर दिया है. इसमें गैर अमेरिकी नागरिकों को लक्षित करने का प्रावधान शामिल किया गया है. इस टैक्स से भारत में पैसा पाने वाले परिवारों को आर्थिक नुकसान होगा.
भारतीय पर पड़ेगा महंगा
भारत दुनिया में सबसे ज्यादा पैसा भेजने वाला देश है. विशेषज्ञों का सुझाव है कि टैक्स का बोझ कम करने के लिए कम बार बड़ी रकम भेजने के बजाय कम बार भेजना बेहतर होगा. अमेरिका से अपने घर पैसा भेजने वाले अप्रवासियों के लिए यह काम जल्द ही महंगा पड़ जाएगा.
अमेरिका का बिल
रेमिटेंस पर 3.5 फीसदी एक्साइज टैक्स लगाने का प्रस्ताव है. इसका मतलब यह है कि अगर कोई अमेरिका से भारत 83000 रुपये ट्रांसफर करता है तो उसके 2900 रुपये टैक्स में कट जाएंगे. अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ पारित कर दिया है.
शुरुआत में यह टैक्स 5 फीसदी प्रस्तावित था, जो मौजूदा इनकम टैक्स के अतिरिक्त होगा. इस कदम से एच-1बी, एल-1, एफ-1 वीजा और यहां तक कि ग्रीन कार्ड धारक भी प्रभावित हो सकते हैं.
भारतीय प्रवासियों में चिंता बढ़ा
भारतीय प्रवासियों को चिंता है कि इससे भारत में अपने परिवारों का भरण-पोषण करने की लागत में बढ़ोतरी हो सकती है. यह टैक्स अभी लागू नहीं हुआ है. लेकिन, यह वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट का हिस्सा है. इसका उद्देश्य डिजिटल लेन-देन में बढ़ोतरी के साथ वैश्विक पैसों की आवाजाही को रेगुलेट करना है. कई लोगों के लिए, ये भेजा हुआ पैसा केवल वित्तीय लेन-देन नहीं, बल्कि जीवन रेखा हैं.
भारत वैश्विक स्तर पर पैसे भेजने का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है. इसे वित्तीय वर्ष 2023-24 में अमेरिका से लगभग 33 बिलियन डॉलर मिले. यह इसके कुल भेजे पैसे का लगभग 28 फीसदी है. भेजे हुए पैसे में कमी से कई परिवारों के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक चुनौतियां पैदा हो सकती हैं. वे अपनी दैनिक जरूरतों के लिए ऐसे फंड पर निर्भर हैं.
विशेषज्ञों की चेतावनी
विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि प्रस्तावित टैक्स का असर पैसे भेजने पर निर्भर विकासशील देशों पर भी पड़ सकता है, जिससे घरेलू खर्च, छोटे व्यवसाय और राष्ट्रीय भंडार प्रभावित हो सकते हैं. भारत, मेक्सिको, फिलीपींस और नाइजीरिया में, रेमिटेंस विदेशी आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. रेमिटेंस प्रवाह में कमी से व्यापक आर्थिक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि परिवारों को बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में संघर्ष करना पड़ सकता है. रेमिटेंस में संभावित कमी छोटे व्यवसायों को भी प्रभावित कर सकती है जो निवेश और विकास के लिए इन निधियों पर निर्भर हैं.