देहरादून (किरणकांत शर्मा): तीन दिन पहले रविवार 15 जून को उत्तराखंड की केदारघाटी में हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ था. इस हादसे में पायलट समेत सात लोगों की मौत हुई थी. इस घटना के बाद से हेली सुरक्षा को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. पहले बताया जा रहा था कि कोहरे की वजह से ये हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ है, लेकिन अब दुर्घटना वाले दिन का सीसीटीवी फुटेज सामने आ गया है, जिसमें काफी बातें साफ हो गई हैं.
एक मिनट के इस सीसीटीवी फुटेज में क्रैश होने वाले हेलीकॉप्टर को लैंड और टेकऑफ करते हुए देखा जा सकता है. सीसीटीवी वीडियो में दिख रहा है कि हेलीकॉप्टर केदारनाथ के हेलीपैड पर लैंड करता है और फिर यात्रियों को लेकर टेकऑफ करता है. वीडियो में जो टाइम दिख रहा है, उसके हिसाब से हेलीकॉप्टर सुबह करीब 5.20 पर केदारनाथ पहुंचा. एक मिनट में हेलीकॉप्टर से यात्री उतरे और दूसरे यात्री बैठे. इसके बाद 5.21 मिनट हेलीकॉप्टर उड़ गया. कुल मिलाकर हेलीकॉप्टर ने एक मिनट में ही लैंड और टेकऑफ किया.
केदारनाथ हेलीकॉप्टर क्रैश से पहले का आखिरी वीडियो (VIDEO- UCADA)
टाइमलाइन से समझिए—
नोट: लाल रंग का पहला हेलीकॉप्टर ही गौरीकुंड मे दुर्घटनाग्रस्त हुआ था. |
वीडियो में ये कुछ हैरान करने वाली दृश्य भी देखे जा सकते हैं. दरअसल, ये साफ दिख रहा है कि मात्र 3 मिनट में एक के बाद एक तीन हेलीकॉप्टर केदारनाथ हेलीपैड पर उतरने और जाते हुए दिखाई दे रहे हैं. इतनी जल्दी हेलीकॉप्टरों की आवाजाही देखकर कुछ सवाल मन में उठे, जिनका जवाब हमने एक वरिष्ठ पायलट से जाना.
टाइमलाइन से समझिए (ETV BHARAT)
एक कंपनी के साथ जुड़े पायलट ने (नाम न बताए जाने की शर्त पर) हेलीकॉप्टर के टेक ऑफ और लैंडिंग के बारे में बताया कि केदारनाथ जैसे क्षेत्र में डीजीसीए ने कुछ छूट दी हुई है. ऐसा नहीं है कि लैंडिंग और टेक ऑफ में कोई फिक्स्ड टाइम हो. यहां जब यात्री बैठ जाएंगे तब हेलीकॉप्टर उड़ सकता है. वो वक्त 40 सेकंड भी हो सकता है या 1 मिनट भी. क्योंकि भीड़भाड़ वाले इलाके में हेलीकॉप्टर को बंद कर दोबारा से शुरू करना जल्दी संभव नहीं होता.
DGCA के नियम: पायलट ने बताया कि केदारनाथ में डीजीसीए ने कुछ नियम जरूर बनाए हैं. नियमों के मुताबिक, हेलीकॉप्टर में चढ़ने वाले यात्रियों को पहले ब्रीफ किया जाएगा. ये बताया जाएगा कि उनको किस रास्ते से कैसे जाना है. यात्रियों को गर्दन ऊपर नहीं करनी, हेलीकॉप्टर के पिछले हिस्से की तरफ बिल्कुल भी नहीं जाना.
इसके साथ ही डीजीसीए का रूल ये भी कहता है कि हेलीकॉप्टर में बैठने वाला व्यक्ति किसी भी तरह की कोई टोपी, ढीला कपड़ा या कोई भी ऐसा सामान सिर पर रखकर हेलीकॉप्टर में चढ़ेगा और उतरेगा नहीं, जिससे उसकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है. लिहाजा हेलीकॉप्टर से यात्रा करने वाले यात्रियों को इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है.
जांच में आएंगे कई सच: वीडियो से ये भी साफ हो गया कि जिस दिन यह हादसा हुआ, उस दिन न तो केदारनाथ और न ही केदारघाटी में मौसम खराब था. सीसीटीवी में भी किसी तरह कोहरा नहीं दिख रहा है. वीडियो में हेलीकॉप्टर दूर तक आते-जाते हुए साफ दिख रहे हैं. यानी उस दिन मौसम साफ था. अब सवाल ये खड़ा हो रहा है कि फिर आखिर हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ कैसे?
वीडियो को देखकर तो ऐसा लगता है कि हेलीकॉप्टर्स के टेकऑफ और लैंडिंग में समय सीमा का ध्यान नहीं रखा जा रहा है. हालांकि, इस मामले पर फिलहाल कुछ नहीं कहा जा रहा है, क्योंकि ये जांच का विषय है. मामले की जांच डीजीसीए (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) और उत्तराखंड उड्डयन विभाग (युकाडा) कर रहा है.
डीजीसीए की जांच रिपोर्ट का इंतजार: बता दें कि, आर्यन एविएशन के इस हेलीकॉप्टर क्रैश के बाद डीजीसीए की टीम उत्तराखंड पहुंची थी. डीजीसीए की जांच टीम ने न केवल घटनास्थल का निरीक्षण किया था, बल्कि मौसम की भी जानकारी ली थी. क्रैश के बाद तत्काल एक्शन लेते हुए सीएम धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में आर्यन एवियशन की चारधाम सर्विस को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया था. इस बैठक में डीजीसीए, युकाडा, सिविल एविएशन सेक्रेटरी सहित तमाम संबंधित अफसर मौजूद थे. हालांकि, अभी तक डीजीसीए की जांच में क्या कुछ निकलकर आया है, ये साफ नहीं हो पाया है.
दो पायलटों पर कार्रवाई: वहीं, सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड तस्वीर के सामने आने के बाद डीजीसीए ने इस पर भी एक्शन लिया है. क्रैश वाले दिन ही दो अन्य पायलटों का लाइसेंस भी रद्द किया गया. दोनों पायलट एम/एस ट्रांसभारत एविएशन कंपनी के हैं, जिनका नाम पायलट कैप्टन योगेश ग्रेवाल और पायलट कैप्टन जितेंद्र हरजाई है. वीडियो सामने आने के बाद दोनों का ही लाइसेंस तीन महीने के लिए सस्पेंड कर दिया गया है.
डीजीसीए ने अपनी शुरुआती जांच में ये पाया है कि दोनों ही पायलट ने खराब मौसम और सुबह 5 बजे से लेकर 6 बजे के बीच में ही हेलीकॉप्टर का संचालन शुरू कर दिया था. हालांकि, ये वही पायलट हैं जिन्होंने सबसे पहले सूचना दी थी कि केदारनाथ से उड़ान भरने वाला हेलीकॉप्टर गुप्तकाशी अब तक नहीं पहुंचा है. इसके बाद हेलीकॉप्टर दुर्घटना की आशंका बढ़ गई थी.
बनाया गया कंट्रोल सेंटर: उधर, हादसे के बाद सरकार ने सहस्त्रधारा हेलीपैड पर एक कंट्रोल सेंटर शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो दिन पहले हादसे के तुरंत बाद कहा था कि राजधानी देहरादून के इस हेलीपैड पर कमांड एंड कंट्रोल सेंटर बनाकर सभी अधिकारियों को एक साथ बैठना होगा. इसमें मौसम वैज्ञानिक, डीजीसीए के अधिकारी और उत्तराखंड एविएशन डिपार्मेंट के अधिकारियों के साथ-साथ जिन एजेंसियों के हेलीकॉप्टर चल रहे हैं उनसे संबंधित अधिकारी भी यहां बैठेंगे. इस सेंटर से न केवल हेलीकॉप्टरों पर निगरानी रखी जाएगी, बल्कि हेलीकॉप्टर एजेंसियों और पायलटो तक मौसम से संबंधित जानकारी भी समय-समय पर भेजी जा रही है.
ज्यादा जानकारी देते हुए युकाडा सीईओ सोनिका सिंह ने बताया कि सुरक्षा से संबंधित तमाम मानकों को देखने के लिए यह केंद्र बनाया गया है और इसका संचालन आज से शुरू हो गया है. इसमें सभी विभागों के अधिकारियों को बैठने के निर्देश दिए हैं, ताकि हेलीकॉप्टर संचालन में किसी भी तरह के समन्वय की कमी न हो.
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