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तेल के दामों पर साफ दिख रहा ईरान-इजराइल युद्ध का असर, क्या भारत में भी महंगे होंगे पेट्रोल-डीजल?


नई दिल्ली: वैश्विक तेल बाजारों में बुधवार को उछाल आया, जो ईरान-इजराइल संघर्ष के बढ़ने के कारण रातों-रात अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आई तेज उछाल को दिखाता है. ब्रेंट क्रूड वायदा 4.4 फीसदी बढ़कर 76.45 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) 4.28 फीसदी बढ़कर 74.84 डॉलर पर पहुंच गया.

यह उछाल मिसाइल हमलों, गैस क्षेत्र निलंबन, तथा अमेरिका से संबंधित भू-राजनीतिक तनावों की बढ़ती लहर के बाद आया है, जिससे वैश्विक तेल आपूर्ति में संभावित रुकावट की चिंता बढ़ गई है.

स्ट्राइक से गैस क्षेत्र बाधित हुए
वैसे तो वैश्विक तेल प्रवाह पर कोई खास असर नहीं पड़ा है. लेकिन ईरान ने कतर के साथ साझा अपने साउथ पारस गैस क्षेत्र में उत्पादन रोक दिया, क्योंकि इजराइली हमले से आग लग गई थी.

इजराइल ने शाहरान तेल डिपो को भी निशाना बनाया, जिससे आपूर्ति संबंधी चिंताएं बढ़ गईं, हालांकि निर्यात बुनियादी ढांचे को अब तक काफी हद तक बचा लिया गया है.

जवाबी कार्रवाई में इजराइल ने अपने तीन प्रमुख गैस क्षेत्रों में से दो में परिचालन बंद कर दिया, जो मिस्र और जॉर्डन को आपूर्ति करते हैं. इस व्यवधान ने स्पॉट एलएनजी की कीमतों को संघर्ष से पहले ~$12 (1,035.71 रुपये) से बढ़ाकर $13.5/mmbtu (1,165.17) करने में मदद की.

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ईरान ने अपने साउथ पारस गैस क्षेत्र को आंशिक रूप से बंद कर दिया है… एक प्रमुख फ्यूल डिपो और गैस रिफाइनरी भी प्रभावित हुई. हालांकि, आपूर्ति पर प्रभाव घरेलू बाजारों तक ही सीमित लगता है.

ट्रंप की टिप्पणियों ने आग में घी डालने का काम किया
तनाव को और बढ़ाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मध्य पूर्व की स्थिति पर चर्चा करने के लिए अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम से मुलाकात की. बाद में उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भड़काऊ बयान पोस्ट किया.

पोस्ट में ट्रंप ने लिखा कि हमें ठीक से पता है कि तथाकथित ‘सर्वोच्च नेता’ कहां छिपा है. वह एक आसान लक्ष्य है, लेकिन वहां सुरक्षित है – हम उसे खत्म नहीं करने जा रहे हैं (मारने नहीं जा रहे हैं!), कम से कम अभी के लिए तो नहीं, ट्रंप ने लिखा, साथ ही ईरान से बिना शर्त आत्मसमर्पण करने का आह्वान भी किया.

इस टिप्पणी ने संभावित अमेरिकी सैन्य भागीदारी के बारे में अटकलों को हवा दी है, जो एक क्षेत्रीय युद्ध को वैश्विक ऊर्जा संकट में बदल सकता है.

स्थिर आपूर्ति से उछाल पर लगाम लग सकती है
युद्ध की आशंकाओं के बावजूद एमके ग्लोबल ने ओपेक+ और गैर-ओपेक उत्पादन में बढ़ोतरी और स्वस्थ इन्वेंट्री स्तरों का हवाला देते हुए वित्त वर्ष 26 के लिए ब्रेंट के 70 डॉलर प्रति बैरल रहने का पूर्वानुमान जारी रखा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 में अब तक तेल बाजारों में अच्छी आपूर्ति हुई है… हम इस साल के लिए औसत ब्रेंट मूल्य को USD70/bbl पर रखना जारी रखते हैं और उम्मीद करते हैं कि कुछ हफ़्तों में कीमतें स्थिर हो जाएंगी.

इस स्तर को अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम दोनों तेल कंपनियों के लिए सुरक्षित स्थान के रूप में देखा जाता है. एमके को उम्मीद है कि अगर ब्रेंट स्थिर होता है तो IOC, BPCL और HPCL जैसी OMC (तेल विपणन कंपनियां) को सबसे अधिक लाभ होगा, क्योंकि इससे खुदरा मूल्य में कटौती का जोखिम सीमित हो जाता है.

इन वजहों से होगा असर
इजराइल में शटडाउन और समय से पहले मानसून के कारण गैस की संभावनाओं पर असर हो सकता है. भारत में गैस की मांग, खास तौर पर बिजली क्षेत्र से, सामान्य से पहले मानसून के कारण कम हो रही है, जिससे वॉल्यूम में गिरावट की चिंता बढ़ रही है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात गैस, जीएसपीएल, पीएलएनजी और गेल जैसी कंपनियों का वित्त वर्ष 26 में वॉल्यूम उम्मीद से कम रह सकता है. ऐसा स्पॉट एलएनजी एक्सपोजर और बिजली की कम मांग के कारण हो सकता है.

दूसरी ओर, सिटी गैस कंपनियां आईजीएल और एमजीएल, जिनका वर्तमान में स्पॉट एक्सपोजर सीमित है, अल्पावधि में सुरक्षित रह सकती हैं.

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