नई दिल्ली, 17 जून (आईएएनएस)। आज के आधुनिक जीवन में मोटापा और फिटनेस में तेजी से आती गिरावट एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बन गए हैं। इस संबंध काफी हद तक कुपोषण के साथ जुड़ा हुआ है। इस समस्या से निपटने के लिए भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने आहार में “5 पी” के सिद्धांत को अपनाने के लिए बढ़ावा दिया है।
यह नई पहल न केवल सुरक्षित भोजन को बढ़ावा देती है, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने के लिए प्रेरित करती है। यह अभियान मोटापा कम करने और फिट रहने और लोगों को बेहतर भोजन की आदतें अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
‘5 पी’ क्या हैं? एफएसएसएआई ने “5 पी” की अवधारणा को पेश किया है। अपने आहार में ताजे फल, सब्जियां और पर्याप्त पानी शामिल करना आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। यह आपके शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, आपको हाइड्रेटेड रखता है, और कई बीमारियों से बचाने में मदद करता है।
‘5 पी’ में पहले ‘पी’ से ‘प्लेंटी ऑफ फ्रूट्स वेजिटेबल एंड वॉटर’ है; यानी फलों, सब्जियों और पानी की प्रचुरता। आप अपने आहार में ताजे फल और हरी पत्तेदार सब्जियां और पर्याप्त पानी शामिल कर सकते हैं, यह न केवल पोषण देता है, बल्कि मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाने और शरीर को हाइड्रेट रखता है।
दूसरी ‘पी’ है ‘पिक हेल्दी फैट’, जिसका मतलब है- आहार में स्वस्थ वसा चुनें। ‘गुड फैट’ वह वसा होती है जो शरीर की कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से चलाने में योगदान देने के अलावा शरीर में हृदय रोग, कोलेस्ट्रॉल का स्तर और शरीर में मोटापे को कम करने में मदद करते हैं। ये मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट होते हैं, जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए। नट्स, सीड्स या ऑलिव ऑयल से प्राप्त होने वाली वसा ‘गुड फैट’ के अच्छे उदाहरण हैं।
तीसरा ‘पी’ है- ‘पावर योर प्लेट विद बैलेंस्ड न्यूट्रिशन’ – यह संतुलित आहार बनाए रखने के बारे में है। संतुलित आहार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा का संतुलन होता है। प्रोटीन शरीर की कार्यप्रणाली के लिए अहम पोषक तत्व होने के अलावा मांसपेशियों को मजबूत रखने के लिए जरूरी है। कार्बोहाइड्रेट से हमें दैनिक कार्यों को करने की ऊर्जा मिलती है। वसा भी ऊर्जा का एक सोर्स है जो संतुलित मात्रा में लेने से शारीरिक कार्यप्रणाली में अपनी भूमिका निभाता है।
चौथा ‘पी’ है- ‘प्लान मिल टाइम माइंडफुली’ – यानी भोजन की टाइमिंग पर सजगता से ध्यान देना। इसके लिए आप नियत समय पर भोजन करें। दो मील के बीच में कम से कम चार घंटे का गैप रखने की सलाह कई विशेषज्ञ देते हैं। इससे शरीर को भोजन पचाने में पर्याप्त समय मिल जाता है, जो बेहतर पाचन में अहम भूमिका अदा करता है। इसलिए बार-बार बेवजह कुछ ना कुछ खाने की आदत से छुटकारा पाना चाहिए। इसके अलावा आयुर्वेद के अनुसार भोजन को चबा-चबाकर खाना चाहिए। भोजन करते समय पानी न पीएं। हालांकि आप भोजन करने के आधा घंटा पहले पहले और बाद में पानी पी सकते हैं।
पांचवां ‘पी’ है- ‘पे अटेंशन टू पोर्सन्स एंड फूड च्वाइस’ यानी अपने भोजन के चयन और उसकी मात्रा पर खास ध्यान देना। इसके लिए सही मात्रा में भोजन करें और प्रोसेस्ड या जंक फूड से दूर रहें। पेट को ज्यादा भरने से भी पाचन प्रभावित होता है। साथ ही, जंक फूड का ज्यादा सेवन करने से कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जबकि पोषक भोजन शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
इस तरह से संतुलित आहार के साथ, आहार में विविधता न सिर्फ मोटापे के जोखिम को कम कर सकती है, क्योंकि यह मेटाबॉलिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाती है।
भारत में पिछले दो दशकों में प्रोसेस्ड फूड की खपत बहुत तेजी से बढ़ी है। यह मोटापे की बढ़ती समस्या का एक प्रमुख कारण है। ‘5 पी’ के तहत प्लान किया गया भोजन आपका जीवन शैली का वह हिस्सा हो सकता है जो केवल वजन कम करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक समग्र स्वास्थ्य दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। समग्र स्वास्थ्य के तहत संतुलित, विविध आहार के साथ व्यायाम, योग और मेडिटेशन जैसी चीजों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। तो आज से ही अपने आहार में बदलाव शुरू करें और मोटापे से लड़ने में योगदान दें।
–आईएएनएस
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